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अरे ब्रो मैं तेरे घर नहीं जा सकता हूं, तेरे घर में एक कुत्ता है, जिसे देखकर मुझको बहुत डर लगता है। कल ही मेरे एक दोस्त ने मुझसे ये बात कहीं और उसकी बातों को सुनने के बाद मैं बहुत हैरान हो गई थी। एक कुत्ते से किसे डर लग सकता है? जब मैंने ये बात अपने हसबैंड के साथ शेयर की तो उन्होंने मुझको बताया कि उन्हें भी बिल्लियों से डर लगता है, क्योंकि जब वह बहुत छोटे थे, जब बिल्ली ने उनके पैरों को काट लिया था और तब से बिल्ली को देखते ही उन्हें परेशानी होने लगती है। किसी भी विशेष प्रकार के जानवर को देखकर डर क्यों लगता है, इस विषय पर मैंने तुलसी हेल्थकेयर के सीईओ और वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. गौरव गुप्ता बात (Dr. Gorav Gupta CEO, Senior Psychiatrist, Tulasi Healthcare) की।
डॉ. गौरव गुप्ता ने कहा कि जानवरों से ज्यादा डरना एक तरह का फोबिया है। मेडिकल की भाषा में इसे जोफोबिया कहा जाता है। जोफोबिया से पीड़ित कई लोग एक खास तरह के जानवर से डरते हैं। वहीं, जोफोबिया से ज्यादा पीड़ित लोग हर तरह के जानवर से डरते हैं। आइए इस लेख में आगे जानते हैं क्या होता है जोफोबिया और इससे पीड़ित होने पर क्या करना चाहिए।
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जोफोबिया क्या है?
डॉ. गौरव गुप्ता के अनुसार, जोफोबिया एक तरह का मानसिक विकार है। इस मानसिक विकार में व्यक्ति को विशेष प्रकार या सभी प्रकार के जानवरों से डर लग सकता है। यह समस्या बचपन में हुए किसी हादसे से पीड़ित लोगों में ज्यादा देखने को मिलती है। हेल्थ एक्सपर्ट का कहना है कि अगर बचपन में शिशु को किसी तरह के जानवर से डर लगता है, तो उसे निकालने की कोशिश करनी चाहिए, ताकि बड़े होने पर उसे किसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े।
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जोफोबिया के लक्षण क्या हैं?
जोफोबिया का प्राथमिक लक्षण जानवरों से बहुत ज्यादा डरना है। जोफोबिया से पीड़ित लोग चिड़ियाघर जाने या पालतू जानवर रखने वाले किसी दोस्त से मिलने से भी बचने की कोशिश करते हैं। जोफोबिया से पीड़ित व्यक्ति में नीचे बताए गए 5 लक्षण नजर आ सकते हैं:
- जानवरों को देखते ही सीने में दर्द या जकड़न
- जानवर को देखते ही दिल की धड़कन बढ़ जाना
- चक्कर आना, मतली या उल्टी जैसा महसूस होना
- अचानक से ब्लड प्रेशर का बढ़ जाना
- पसीना बहना
अगर आपको किसी विशेष प्रकार के जानवर को देखकर ऊपर बताए गए लक्षण नजर आते हैं, तो इस विषय पर डॉक्टर से बात करें।
जोफोबिया का इलाज क्या है?
जोफोबिया के उपचार में अक्सर कई तरह की थेरेपी शामिल होती हैं। अगर जोफोबिया के लक्षणों का पता कम उम्र में चल जाता है, तो इसे बातों के जरिए ठीक किया जा सकता है।
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एक्सपोजर थेरेपी: डॉ. गौरव गुप्ता का कहना है कि जोफोबिया के 10 में से 9 मामलों में एक्सपोजर थेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें एक्सपर्ट, पीड़ित लोगों को उनके डर से बाहर निकालने के लिए थेरेपी का सहारा लेते हैं। उदाहरण के लिए, आप जानवरों की तस्वीरें देखने, प्रकृति के वीडियो देखने या जानवरों के बारे में सोचने का अभ्यास कर सकते हैं।
संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (CBT) में लक्षणों के बारे में एक्सपर्ट से बात करना शामिल है। एक्सपर्ट के अनुसार, किसी भी फोबिया के इलाज में दवाओं का इस्तेमाल नहीं होता है। इसलिए घबराने की कोई भी बात नहीं है।
डॉ. गौरव गुप्ता का कहना है कि जोफोबिया या किसी भी मानसिक विकार को लंबे समय तक छुपाना नहीं चाहिए और इस विषय पर डॉक्टर से बात करके समस्या का समाधान करना चाहिए।
Image Credit: Freepik.com
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