Navratri 2024: नवरात्र में तिथियों की घट-बढ़ से आप भी हैं कंफ्यूज… यहां जानिए महाअष्टमी, महानवमी और दशहरा की सही-सही तारीख


शक्ति की उपासना के पर्व नवरात्र (Navratri 2024) की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। माता के दरबार सजाए जा रहे हैं और भक्तों की भीड़ को ध्यान में रखते हुए व्यवस्था की जा रही है। इस बार तिथियों के घटने-बढ़ने के कारण अष्टमी और महानवमी पूजन के साथ ही दशहरा पर्व को लेकर दुविधा की स्थिति है।

By Arvind Dubey

Publish Date: Tue, 24 Sep 2024 02:47:20 PM (IST)

Updated Date: Tue, 24 Sep 2024 02:47:20 PM (IST)

पर्व की तैयारी शहरभर के माता मंदिरों के साथ ही मठ-आश्रम में शुरू हो गई है।

HighLights

  1. शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्र 3 अक्टूबर से
  2. इस बार पालकी में सवार होकर आएंगी मां दुर्गा
  3. अष्टमी के साथ दो दिनी नवमी पूजन किया जाएगा

धर्म डेस्क, इंदौर। शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्र तिथियों की घट-बढ़ के साथ तीन से 12 अक्टूबर तक हर्षोल्लास से मनाया जाएगा। इस बार मां दुर्गा का आगमन जहां पालकी में होगा, वहीं माता के नौ स्वरूप के पूजन का उल्लास 10 दिन छाएगा।

अष्टमी पूजन के साथ 11 अक्टूबर के अतिरिक्त 12 अक्टूबर को भी नवमी पूजन किया जाएगा। 12 को ही विजया दशमी भी मनाई जाएगी। सिंदूर तृतीया में वृद्धि होने के चलते उक्त तिथि पांच अक्टूबर और छह अक्टूबर को रहेगी, लेकिन चंद्रघंटा स्वरूप का पूजन पांच अक्टूबर को किया जाएगा।

गुरुवार से नवरात्र, पालकी में आएंगी माता

  • काली मंदिर खजराना के आचार्य शिव प्रसाद तिवारी ने बताया कि अश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि तीन अक्टूबर को रात 2.58 से दिवस पर्यंत रहेगी।
  • हस्त और चित्रा नक्षत्र में माता की स्थापना की जाएगी। इंद्र योग भी बनेगा, जिसे बहुत शुभ फलदायी माना जा रहा है।
  • पांच अक्टूबर को सिंदूर तृतीया पर चंद्रघंटा पूजन और इसके बाद सीधे चतुर्थी पर होने वाली कूष्मांडा पूजा सात अक्टूबर को होगी।
  • ज्योतिर्विद् विनायक तिवारी ने बताया कि नवरात्र की शुरुआत गुरुवार को हो रही है। इसके चलते शक्ति का आगमन पालकी में होगा।
  • रविवार-सोमवार को घट स्थापना होने पर माता का आगमन हाथी पर, शनिवार और मंगलवार को अश्व यानी घोड़े होता है।
  • इसी तरह गुरुवार और शुक्रवार को घट स्थापना होने पर माता का आगमन डोली या पालकी में बुधवार को माता नाव पर आरूढ़ होकर आती हैं।

किस दिन होगा किस स्वरूप का पूजन

  • 3 अक्टूबर को घट स्थापना के साथ शैलपुत्री पूजा।
  • 4 अक्टूबर को चंद्र दर्शन और ब्रह्मचारिणी पूजा।
  • 5 अक्टूबर को सिंदूर तृतीया पर चंद्रघंटा पूजा।
  • 6 अक्टूबर को विनायक चतुर्थी।
  • 7 अक्टूबर को कूष्मांडा पूजा, उपांग ललिता पूजा।
  • 8 अक्टूबर को पंचमी पर स्कंदमाता पूजा।
  • 9 अक्टूबर को षष्टी पर सरस्वती आह्वान, कात्यायनी पूजा।
  • 10 अक्टूबर को सप्तमी पर कालरात्रि पूजा।
  • 11 अक्टूबर को दुर्गा अष्टमी पर महागौरी पूजा।
  • 12 अक्टूबर को नवमी पर सिद्धिदात्री पूजन के साथ विसर्जन।



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