Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रतकी महिमा, श्रद्धापूर्वक करें भगवान शिव परिवार की पूजा-अर्चना

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रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

By Manoj Kumar Tiwari

Publish Date: Fri, 03 May 2024 03:43:10 PM (IST)

Updated Date: Fri, 03 May 2024 03:43:10 PM (IST)

HighLights

  1. पति-पत्नी के बीच मधुर होंगे संबंध, खत्म होंगे तनाव
  2. पहला प्रदोष व्रत पांच मई को रखा जाएगा
  3. भोलेनाथ की विशेष कृपा

नईदुनिया प्रतिनिधि, बिलासपुर। मई मास का पहला प्रदोष व्रत पांच मई को है। यह दिन भगवान शिव परिवार की पूजा-अर्चना का है। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धापूर्वक भगवान शिव के परिवार की पूजा-अर्चना करते हैं, उसके सभी दुखों का नाश होता है। पति-पत्नी के बीच टकराव या तनाव खत्म हो जाते हैं, मधुर संबंध स्थापित होते हैं। सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य पंडित देव कुमार पाठक बताते हैं कि सनातन धर्म में प्रदोष व्रत का खास महत्व है। इस दिन शिवजी के साथ मां पार्वती की पूजा की जाती है। मई महीने का पहला प्रदोष व्रत पांच मई को रखा जाएगा जो कि रवि प्रदोष व्रत होगा। ज्योतिष शास्त्र में विशेष महत्व माना गया है। यह हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पड़ता है। रविवार के दिन पड़ने वाले प्रदोष व्रत को रवि प्रदोष व्रत कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन देवों के देव महादेव की पूजा-अर्चना करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है।

भोलेनाथ की विशेष कृपा

मान्यता है कि जो भी व्यक्ति इस पवित्र दिन पर कठिन व्रत का पालन करता है, उन्हें सुख और समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होती है। कुछ लोग इस विशेष दिन पर भगवान शिव के नटराज रूप की भी पूजा करते हैं। वैशाख प्रदोष व्रत के दिन अगर संभव है तो पवित्र नदी में स्नान करें।

सात बार कलावा लपेटें

भगवान शिव जी का ध्यान करें और धतूरे के पत्ते को पानी से धोकर पत्तों को दूध से धोकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। इस दिन शिव मंदिर में जाकर भगवान शिव और माता पार्वती पर एक साथ सात बार कलावा लपेटें। इस उपाय को करते समय ध्यान रखें कि मौली बांधते समय वह बीच से टूटे नहीं और ना ही उसमें कहीं गांठ लगे। ऐसा करने से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और रिश्तों की दूरियां भी समाप्त होती हैं।

  • ABOUT THE AUTHOR

    वर्ष 2010 में गुरु घासीदास विश्‍वविद्यालय, बिलासपुर से ग्रेजुएशन किया है। तत्पश्चात शिक्षा एवं कार्य को आगे बढ़ते हुए मैं दैनिक प्रजापति, इवनिंग टाइम्स एवं लोकस्वर में पत्रकारिता करियर की शुरुआत की 2012—13 मैंन

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