Chaitra Navratri 2024 Day 3: मां चंद्रघंटा को समर्पित है नवरात्र का तीसरा दिन, जानिए इनका स्वरूप, महत्व और मंत्र


धार्मिक मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इस दिन साधक का मन ‘मणिपुर’ चक्र में रहता है।

By Ekta Sharma

Publish Date: Wed, 10 Apr 2024 12:06 PM (IST)

Updated Date: Wed, 10 Apr 2024 12:06 PM (IST)

मां चंद्रघंटा को समर्पित नवरात्र का तीसरा दिन

HighLights

  1. मां चंद्रघंटा शांति और दयालुता का प्रतिनिधित्व करती हैं।
  2. नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित माना जाता है।
  3. मां की दस भुजाएं अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं।

धर्म डेस्क, इंदौर। Chaitra Navratri 2024 Day 3: 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्र का शुभ समय शुरू हो चुका है। इन नौ दिनों में मां दुर्गा के अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। ऐसे में नवरात्र का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित माना जाता है। मां चंद्रघंटा शांति और दयालुता का प्रतिनिधित्व करती हैं। मां का स्वरूप अत्यंत कल्याणकारी और शांति देने वाला है। धार्मिक मान्यता है कि मां चंद्रघंटा की पूजा करने से आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है। इस दिन साधक का मन ‘मणिपुर’ चक्र में रहता है। आइए, जानते हैं माता का स्वरूप, पूजा विधि और महत्व।

मां चंद्रघंटा का स्वरूप

माता चंद्रघंटा का वाहन सिंह है। मां की दस भुजाएं अस्त्र-शस्त्रों से सुशोभित हैं। घंटे के आकार का अर्धचंद्र मां के माथे पर सुशोभित होता है। इसलिए मां को चंद्रघंटा कहा जाता है। मां राक्षसों का वध करने के लिए प्रकट हुई थीं। इनमें त्रिदेव की शक्तियां समाहित हैं। मां का स्वरूप अलौकिक और अतुलनीय है, जो वात्सल्य की प्रतिमूर्ति है।

मां चंद्रघंटा पूजा विधि

  • इस दिन सुबह उठकर स्नान-ध्यान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर लें।
  • व्रत करने का संकल्प लें।
  • इसके बाद फल, फूल, दूर्वा, सिन्दूर, अक्षत, धूप और दीप से मां चंद्रघंटा की पूजा करें। धार्मिक ग्रंथों में लिखा है कि मां को हलवा और दही बहुत प्रिय है। मां को प्रसाद के रूप में फल, हलवा और दही चढ़ाएं।
  • अंत में आरती के साथ पूजा समाप्त करें।
  • दिन भर व्रत रखें और शाम को आरती करने के बाद फलाहार करें।

इन मंत्रों का करें जाप

1. पिण्डजप्रवरारुढा चण्डकोपास्त्रकैर्युता |

प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता ||

2. या देवी सर्वभू‍तेषु मां चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ॐ देवी चन्द्रघंटाय नमः॥

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’



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