पीरियड्स में कमर और जांध का दर्द बेहद आम है, और बहुत सी महिलाएं इससे बेहद परेशान रहती हैं। इसकी वजह से उनकी नियमित दिनचर्या पर भी नकारत्मक असर पड़ता है। इसलिए आज हम इसपर बात करेंगे (Thighs and back Pain in Periods)।
सभी महिलाओं का शरीर एक-दूसरे से अलग होता है और सबकी बॉडी अलग-अलग तरह से रिस्पॉन्स करती है। यही हाल मेंस्टुअल साइकल का भी है। कुछ महिलाओं के पीरियड्स बहुत आराम से गुजर जाते हैं, तो कुछ का इस दौरान दर्द से बुरा हाल हो जाता है। दर्द भी सिर्फ एक जगह नहीं। कुछ को पेट के निचले हिस्से में ऐंठन होती है, तो कुछ को जांघों और कमर में दर्द का सामना करना पड़ता है। इस दर्द की तीव्रता भी सभी के लिए अलग-अलग हो सकती है। चलिए जानते हैं आखिर क्या है पीरियड्स में जांघों और कमर दर्द का कारण। साथ ही इससे डील करने के उपाय भी (Thighs and back Pain in Periods)।
असल में पीरियड्स में यह बेहद आम है, और बहुत सी महिलाएं इससे बेहद परेशान रहती हैं। इसकी वजह से उनकी नियमित दिनचर्या पर भी नकारत्मक असर पड़ता है। इसलिए आज हम पेट दर्द नहीं, बल्कि पीरियड्स में होने वाले कमर और जांध के दर्द पर बात करेंगे (Thighs and back Pain in Periods)। डेफोडिल्स बाई आर्टेमिस, न्यू दिल्ली की ओब्स्टेट्रिक्स और गाइनीकोलॉजिस्ट पूजा शर्मा ने बैक और थाइज पेन के कारण और उनसे डील करने के घरेलु उपाय भी सुझाए हैं (Thighs and back Pain in Periods)।
क्यों होता है पीरियड्स में लोअर बैक और थाइज में दर्द (causes of pain in lower back and thigh in period)
पीरियड्स के दौरान यूट्रस कॉन्ट्रैक्ट होता है यानि की वह सिकुड़ता है, वहीं इसकी लाइनिंग मेंस्ट्रुअल ब्लड के साथ बाहर निकल जाती है। यह कांट्रेक्शन कई बार तेज होता है और यूटराइन मसल्स पर ब्लड को बाहर निकालने के लिए दबाव बनता है, जिसकी वजह से लोअर बैक और थाइज में दर्द का अनुभव हो सकता है। पीरियड्स के दौरान पेल्विक रीजन में ब्लड और टिशु की मौजूदगी होने से बॉडी में इन्फ्लेमेटरी रिस्पांस बढ़ जाता है, जिसकी वजह से आपको लोअर बैक के साथ ही जांघों में भी तेज दर्द का अनुभव होता है।
एंडोमेट्रियोसिस तब होता है जब एंडोमेट्रियल टिश्यू गर्भाशय या गर्भ के बाहर मौजूद होते हैं। टिश्यू बढ़ता है और यूट्रस की परत की तरह हार्मोन परिवर्तन के साथ खून बाहर निकलता है। यह पेल्विस नर्व पर जलन, सूजन या दबाव डाल सकता है, जिससे पैर में दर्द महसूस होता है।
वहीं पीरियड्स के दौरान बॉडी हार्मोन में कई सारे बदलाव आते हैं, खास कर एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरॉन का स्तर बदलता है, जिसकी वजह से पीरियड्स के दौरान महिलाओं को दर्द का अनुभव होता है। वहीं जिनमें इन हॉर्मोन्स का फ्लकचुएशन अधिक होता है, उनमें पेट दर्द के साथ-साथ कमर के निचले हिस्से और थाइज में भी दर्द बढ़ जाता है।
लोअर बैक और थाइज में होने वाले दर्द के कुछ घरेलू उपाय (Thighs and back Pain in Periods)
1. मसाज से मिलेगी मदद
यदि आपको पीरियड्स के दौरान पीठ और जांघों में असहनीय दर्द का अनुभव होता है, तो मसाज इससे राहत पाने में मदद कर सकता है। यह सच है की मसाज से आपको लंबे समय तक राहत नहीं प्रदान करता पर यह आपको कुछ समय के लिए आराम जरूर देता है। कमर और थाइज पर उंगलियों का दबाव बनाकर मसाज करने से ब्लड फ्लो बढ़ता है और शरीर का दर्द निकलता है। ऐसा करने से आप खुदको एक्टिव रख सकती हैं। इसके साथ ही गुनगुने तेल की मदद से प्रभावित मांसपेशियों को मसाज करने से मांसपेशियां एक्टिव हो जाती है, जिससे दर्द से राहत प्राप्त होता है।
2. ऑर्गज्म प्राप्त करने की कोशिश करें
ऑर्गेज्म पीरियड्स में थाइज और कमर के ऐंठन को कम करने में मदद कर सकता है। सेक्स के दौरान, यूट्रस सिकुड़ता है लेकिन फिर वे वापस से अपने शेप में आ जाता है। यह पीरियड्स के कंट्रक्शन के प्रभाव को कम करने में मदद कर सकता है। व्यायाम की तरह, सेक्स करने से भी एंडोर्फिन और अन्य हार्मोन रिलीज होते हैं, जो दर्द से राहत प्रदान करते हैं, जिससे आपको बेहतर महसूस होता है।
3. खुद को हीट थेरेपी दें
गर्म बोतल या हीटिंग पैड से अपने कमर और थाइज की सिकाई करें, इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है और ऐंठन से राहत मिलती है। गर्मी गर्भाशय की मांसपेशियों के साथ ही कमर और जाघों की मांसपेशियों को आराम देने में मदद करती है, जिससे ऐंठन और बेचैनी कम हो सकती है।
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पीठ दर्द से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति पीठ के निचले हिस्से पर हीटिंग पैड भी रख सकता है। दूसरा विकल्प हॉट शॉवर है, जिससे पेट, पीठ और पैरों की मांसपेशियों को आराम मिलता है।
4. स्ट्रेचिंग से कम होता है दर्द
स्ट्रेचिंग आपके पीरियड्स के दौरान कमर के निचले हिस्से और पैरों में होने वाले दर्द को कम करने में मदद कर सकती है, क्योंकि इससे आपके कूल्हों और नितंबों में तनाव कम होता है और फ्लेक्सिब्लिटी बढ़ती है। पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द के लिए प्रभावी स्ट्रेच में से एक है सुपाइन ट्विस्ट। यह योग मुद्रा आपके मासिक धर्म की परेशानी के दौरान कमर के निचले हिस्से में होने वाले तनाव को दूर करने के लिए बेहद कारगर हो सकती है। इसके अलावा आप अपने दोनों पैरों को राउंड घुमा सकती हैं, या इन्हे दिवार से लगाकर सीधा रखें, इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है साथ ही मांसपेशियां एक्टिवटे हो जाती है।
5. हाइड्रेशन और रेस्ट है जरुरी
पर्याप्त मात्रा में पानी पिएं और हाइड्रेटेड रहें, इससे मांसपेशियों में दर्द का अनुभव कम हो जाता है। वहीं पीरियड्स में शरीर को आराम मिलना भी जरुरी है। क्युकी उन दिनों शारीरिक शक्ति अन्य दिनों की तुलना में कम होती है, ऐसे में जब आप लगातार काम कर रही होती हैं, तो थकान और क्रैम्स बढ़ जाते हैं। इसलिए बॉडी को जितना हो सके आराम करने की अनुमति दें।
6. डाइट का रखें खास ख्याल
स्वस्थ व संतुलित आहार तमाम परेशानियों का एक प्रभावी उपचार है। यदि आपको पीरियड्स के दौरान लोअर बैक और थाइज में दर्द का अनुभव होता है, तो आपको अपनी डाइट में विटामिन बी और मैग्नीशियम की मात्रा को बढ़ाने की आवश्यकता है। साथ ही ओमेगा-3 फैटी एसिड इन्फ्लेमेशन और मांसपेशियों के दर्द को कम करने में मदद करती है। कैफीन और नमक से जितना हो सके परहेज करें, क्युकी ये दर्द को बढ़ा देते हैं।
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