The government announced an increase in the minimum wage | सरकार ने न्यूनतम मजदूरी बढ़ने का ऐलान किया: अब कंस्ट्रक्शन में काम करने वाले लेबर को रोजाना ₹783 मिलेगा, हाई-स्किल्ड वर्कर को डेली ₹1035


नई दिल्ली29 मिनट पहले

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नया वेज तय करने के लिए सरकार कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में छह महीने की औसत बढ़ोतरी और इन्फ्लेशन को सोर्स बनाती है। - Dainik Bhaskar

नया वेज तय करने के लिए सरकार कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में छह महीने की औसत बढ़ोतरी और इन्फ्लेशन को सोर्स बनाती है।

केंद्र सरकार ने इनफॉर्मल सेक्टर में काम करने वाले वर्कर्स के मिनिमम वेज (मजदूरी) में बढ़ोतरी करने का ऐलान किया है। बढ़ी हुई मजदूरी 1 अक्टूबर से लागू होगी।

इस बढ़ोतरी के बाद कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम करने वाले लेबर्स की मिनिमम मजदूरी 783 रुपए प्रतिदिन यानी एवरेज 23,430 रुपए महीना हो जाएगी।

सरकार ने गुरुवार (26 सितंबर) को बताया कि कॉस्ट ऑफ लिविंग बढ़ने के चलते कंस्ट्रक्शन, माइनिंग और एग्रीकल्चर सेक्टर में काम करने वाले मजदूरों के लिए न्यूनतम मजदूरी में मामूली बढ़ोतरी की जा रही है।

सरकार साल में दो बार रिवाइज करती है मजदूरी

  • सरकार साल में दो बार- अप्रैल और अक्टूबर में इंडस्ट्रियल सेक्टर में काम करने वाले श्रमिकों को मिलने वाली मजदूरी को रिवाइज करती है।
  • नया वेज तय करने के लिए सरकार कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स में छह महीने की औसत बढ़ोतरी और इन्फ्लेशन को सोर्स बनाती है।
  • मिनिमम वेज रेट में बढ़ोतरी के बाद एरिया A में कंस्ट्रक्शन, स्विपिंग, क्लीनिंग, लोडिंग और अनलोडिंग में काम करने वाले अनस्किल्ड वर्कर्स की मजदूरी 783 रुपए प्रति दिन होगी।
  • सेमी स्किल्ड वर्कर्स के लिए 868 रुपए प्रति दिन और स्किल्ड, क्लेरीकल और बगैर हथियार के वॉच एंड वार्ड के लिए मजदूरी 954 रुपए प्रति दिन होगी।
  • जो वर्कर्स बहुत ज्यादा स्किल्ड हैं उनके और हथियार से लैस वॉच एंड वार्ड के लिए मजदूरी बढ़ाकर 1035 रुपए प्रति दिन होगी।

मजदूरी पर फैसला लेने के लिए सरकार महंगाई को सोर्स बनाती है, ऐसे में यह देखना जरूरी है कि देश रिटेल महंगाई, होलसेल महंगाई और एक थाली शाकाहारी भोजन की औसत कीमत क्या है…

महंगाई कैसे प्रभावित करती है?

महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।

महंगाई कैसे बढ़ती-घटती है?

महंगाई का बढ़ना और घटना प्रोडक्ट की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है। अगर लोगों के पास पैसे ज्यादा होंगे तो वे ज्यादा चीजें खरीदेंगे। ज्यादा चीजें खरीदने से चीजों की डिमांड बढ़ेगी और डिमांड के मुताबिक सप्लाई नहीं होने पर इन चीजों की कीमत बढ़ेगी।

इस तरह बाजार महंगाई की चपेट में आ जाता है। सीधे शब्दों में कहें तो बाजार में पैसों का अत्यधिक बहाव या चीजों की शॉर्टेज महंगाई का कारण बनता है। वहीं अगर डिमांड कम होगी और सप्लाई ज्यादा तो महंगाई कम होगी।

CPI से तय होती है महंगाई

एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है।

कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।

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भारत में एक वेजिटेरियन थाली की कीमत अगस्त में (सालाना आधार पर) 8% घटकर 31.2 रुपए हो गई। पिछले साल अगस्त 2023 में वेज थाली की कीमत 34 रुपए थी। क्रिसिल ने शुक्रवार (6 सितंबर) को जारी किए अपने फूड प्लेट कॉस्ट के मंथली इंडिकेटर में इस बात की जानकारी दी।

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