जलवायु परिवर्तन मामले में स्विस महिलाएँ


जलवायु परिवर्तन मामले में स्विस महिलाएँ

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

यूरोपीय मानवाधिकार न्यायालय (European Court of Human Rights – ECHR) द्वारा स्विस महिलाओं के एक समूह के पक्ष में दिये गए हालिया निर्णय का जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के मामले पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।

स्विस महिलाओं से संबंधित जलवायु परिवर्तन मामला क्या था?

  • याचिकाकर्ता: यह मामला 64 वर्ष से अधिक आयु की महिला जलवायु कार्यकर्त्ताओं के एक समूह, क्लिमासेनियोरिनेन श्वेइज़ (एसोसिएशन ऑफ सीनियर वुमेन फॉर क्लाइमेट प्रोटेक्शन स्विट्जरलैंड) द्वारा स्विस सरकार के खिलाफ लाया गया था।
  • दावा: महिलाओं ने तर्क दिया कि स्विस सरकार की अपर्याप्त जलवायु नीतियाँ मानव अधिकारों पर यूरोपीय कन्वेंशन के तहत उनके जीवन के अधिकार और अन्य गारंटी का उल्लंघन करती हैं।
  • चिकित्सा भेद्यता: याचिकाकर्त्ताओं ने वरिष्ठ नागरिकों के रूप में जलवायु परिवर्तन के कारण होने वाली अत्यधिक ऊष्मा के प्रति अपनी चिकित्सा भेद्यता पर प्रकाश डाला है।
    • इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) की रिपोर्ट से पता चलता है कि स्विस आबादी की वरिष्ठ महिलाएँ, विशेष रूप से 75 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में गर्मी से संबंधित चिकित्सा समस्याओं जैसे ‘डिहाइड्रेशन, अतिताप, थकान, हीट क्रेम्प्स और हीट स्ट्रोक का खतरा अधिक होता है।

  • न्यायालय का निर्णय:
    • ECHR ने कहा कि अभिसमय के अनुच्छेद 8 के तहत व्यक्तियों को अपने जीवन, स्वास्थ्य, कल्याण और जीवन की गुणवत्ता पर जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रतिकूल प्रभावों से सुरक्षा का अधिकार है।
      • मानवाधिकार अभिसमय के अनुच्छेद 8 में व्यक्तियों को उनके जीवन पर जलवायु परिवर्तन के गंभीर प्रभावों से राज्य द्वारा संरक्षित करने का अधिकार शामिल है।

    • न्यायालय ने पाया कि स्विस सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिये उचित कानून नहीं बनाए हैं और वह ग्रीनहाउस गैस (GHG) उत्सर्जन लक्ष्यों को पूरा करने में विफल रही है।

  • निर्णय का महत्त्व:
    • ECHR का निर्णय 46 सदस्य देशों पर लागू होता है, जिसमें सभी यूरोपीय संघ के देश, साथ ही यूनाइटेड किंगडम (UK) और कई अन्य गैर-EU देश शामिल हैं।
      • यूरोपीय न्यायालयों में जलवायु और मानवाधिकार मामलों को अब ECHR के फैसले पर ध्यान देना चाहिये, संभावित रूप से सदस्य देशों में इस तरह की फाइलिंग को बढ़ावा मिलेगा।

    • ग्लोबल क्लाइमेट लिटिगेशन रिपोर्ट: स्टेटस रिव्यू, 2023 के अनुसार, ग्लोबल क्लाइमेट लिटिगेशन में वृद्धि के कारण वर्ष 2022 तक 2,180 मामले दर्ज़ किये गए हैं, जिनकी संख्या वर्ष 2017 में 884 और वर्ष 2020 में 1,550 थी।
      • यह प्रवृत्ति आगे जवाबदेही को बढ़ावा दे सकती है, जिसके निर्णय संभावित रूप से विश्व में जलवायु संबंधी मुकदमेबाज़ी को प्रभावित कर सकते हैं।

    • निर्णयों में नीतियों को जलवायु विज्ञान के साथ संरेखित करने की आवश्यकता पर बल दिया गया है।

पूर्ववर्ती मामले:

  • वर्ष 2017 में उत्तराखंड की एक 9 वर्षीय लड़की ने भारत में एक मामला दायर किया, जिसमें तर्क दिया गया कि देश के पर्यावरण कानूनों एवं जलवायु नीतियों को जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिये अधिक कार्रवाई करने की आवश्यकता है। हालाँकि, यह याचिका अंततः खारिज़ कर दी गई।
  • अगस्त 2023 में मोंटाना के युवाओं ने राज्य सरकार के खिलाफ मामला जीता, जिसने जीवाश्म ईंधन परियोजनाओं को मंज़ूरी देते समय जलवायु परिवर्तन की उपेक्षा की, जिससे स्वच्छ पर्यावरण के उनके संवैधानिक अधिकार का उल्लंघन हुआ।

जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के विरुद्ध भारत में संरक्षण अधिकार:

Climate_Change




  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.‘भूमंडलीय जलवायु परिवर्तन संधि (ग्लोबल क्लाइमेट, चेंज एलाएंस)’ के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (2017)

  1. यह यूरोपीय संघ की पहल है। 
  2. यह लक्ष्याधीन विकासशील देशों को उनकी विकास नीतियों और बजटों में जलवायु परिवर्तन के एकीकरण हेतु तकनीकी एवं वित्तीय सहायता प्रदान करना है। 
  3. इसका समन्वय विश्व संसाधन संस्थान (WRI) और धारणीय विकास हेतु विश्व व्यापार परिषद् (WBCSD) द्वारा किया जाता है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 3
(c) केवल 2 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (a)

Please enable JavaScript to view the comments powered by Disqus.





Source link

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
Exit mobile version