ऑप्शन राइटिंग – Drishti IAS

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ऑप्शन राइटिंग

स्रोत : बिज़नेस लिंक

खुदरा निवेशक और संपन्न व्यक्ति तेज़ी से ऑप्शन राइटिंग में निवेश कर रहे हैं, परंतु यह एक जोखिम भरा क्षेत्र है जिस पर संस्थागत भागीदारों और विशेषज्ञों का वर्चस्व था।

  • ऑप्शन राइटिंग में यह वृद्धि ,डेरिवेटिव ट्रेडिंग के रिटेल भागीदारों के संबंध में भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के लिये चिंताओं का कारण है, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड के एक अध्ययन के अनुसार फ्यूचर एवं ऑप्शन (F&O) ट्रेडिंग क्षेत्र में 90% ट्रेडर्स को नुकसान होता है।
  • ऑप्शन राइटिंग का अर्थ ऑप्शन अनुबंधों को बेचने की रणनीति से है, जो विक्रेता (ऑप्शन राइटर )को एक निर्दिष्ट अवधि (समाप्ति तिथि) के भीतर पूर्व निर्धारित मूल्य (स्ट्राइक प्राइस) पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का दायित्व देता है।
    • यह रणनीति अक्सर उन निवेशकों द्वारा अपनाई जाती है जो प्रीमियम एकत्र करके आय सृजित करना चाहते हैं परंतु यदि बाज़ार, विक्रेता के प्रतिकूल चलता है तो इससे असीमित हानि की संभावना का संकट उत्पन्न हो सकता है।

  • दैनिक तथा साप्ताहिक ऑप्शन समाप्ति के प्रारंभ से ऑप्शन राइटिंग को और बढ़ावा मिला है, जिससे ट्रेडर्स को अल्पकालिक बाज़ार के उतार-चढ़ावों एवं प्रीमियम हानि पर निवेश करना सुगम हुआ है।
    • ऑप्शन ट्रेडर्स को थीटा क्षय (विकल्प के मूल्य में लगातार हो रही गिरावट) से लाभ होता है,जबकि खरीदारों को तेज़ी से प्रीमियम पर हानि के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।

  • डेरिवेटिव एवं अंतर्निहित प्रतिभूतियों से प्राप्त वित्तीय उपकरणों में फॉरवर्ड्स, फ्यूचर्स और ऑप्शंस सम्मिलित हैं।
    • फॉरवर्ड्स और फ्यूचर्स खरीदारों को भविष्य की तारीख पर पूर्व-सहमत मूल्य पर संपत्ति खरीदने के लिये बाध्य करते हैं।
    • ऑप्शंस, खरीदारों को परिपक्वता अवधि पर या उससे पूर्व निर्धारित मूल्य पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने या बेचने का अधिकार देते हैं, परंतु दायित्व का नहीं।

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