Masik Shivratri 2024: भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए मासिक शिवरात्रि पर करें ये उपाय


चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 7 अप्रैल को सुबह 6.53 बजे शुरू होगी। वहीं, यह तिथि 8 अप्रैल को 03:21 बजे तक रहेगी।

By Ekta Sharma

Publish Date: Sat, 06 Apr 2024 03:17 PM (IST)

Updated Date: Sat, 06 Apr 2024 03:17 PM (IST)

मासिक शिवरात्रि पर करें खास उपाय

HighLights

  1. शिवरात्रि के दौरान रात्रि में भगवान शिव की पूजा करने की परंपरा है।
  2. मासिक शिवरात्रि का व्रत 7 अप्रैल, रविवार को रखा जाएगा।
  3. सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव और मां पार्वती का ध्यान करें।

धर्म डेस्क, इंदौर। Masik Shivratri 2024: मासिक शिवरात्रि हर माह कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। इस दिन भगवान शिव की पूजा की जाती है, साथ ही उनके निमित्त व्रत भी रखा जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से भगवान शिव प्रसन्न होकर अपनी कृपा जातक पर बरसाते हैं। आइए, जानते हैं कि मासिक शिवरात्रि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए क्या उपाय करना चाहिए।

मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त

चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 7 अप्रैल को सुबह 6.53 बजे शुरू होगी। वहीं, यह तिथि 8 अप्रैल को 03:21 बजे तक रहेगी। मासिक शिवरात्रि के दौरान रात्रि में भगवान शिव की पूजा करने की परंपरा है। ऐसे में मासिक शिवरात्रि का व्रत 7 अप्रैल, रविवार को रखा जाएगा। इस दौरान पूजा का शुभ समय दोपहर 12 बजे से 12.45 बजे तक रहेगा।

इस तरह करें शिव जी की पूजा

मासिक शिवरात्रि के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर भगवान शिव और मां पार्वती का ध्यान करें। इसके बाद स्नान कर साफ कपड़े पहन लें। सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें। पूजा के समय भगवान शिव का कच्चे दूध, गंगाजल और जल से अभिषेक करें। इसके बाद बेलपत्र, धतूरा, भांग आदि के साथ काले तिल और चंदन अर्पित करें। इससे भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं।

इसके बाद घी का दीपक जलाएं और भगवान शिव के मंत्रों का जाप करें। आरती के साथ पूजा संपन्न करें और अंत में भोग लगाएं और प्रसाद लोगों में बांट दें। शाम को फिर से भगवान शिव और पार्वती की विधि-विधान से पूजा करें। फलाहार करके अपना व्रत खोलें।

इन मंत्रों का जाप करें

  • ओम नम:शिवाय.
  • शंकराय नमः
  • ॐ महादेवाय नमः.
  • ॐ महेश्वराय नमः.
  • ॐ श्री रुद्राय नमः.
  • ॐ नील कंठाय नमः.
  • ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्. उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’



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