Madhabi Puri Buch invested in listed securities and foreign funds, violated SEBI code, alleges Congress Spokesperson Pawan Khera | कांग्रेस का SEBI चेयरपर्सन पर नया आरोप: माधबी बुच का लिस्टेड सिक्योरिटीज और फॉरेन फंड्स में निवेश, यह सेबी कोड का उल्लंघन

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नई दिल्ली42 मिनट पहले

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मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच। - Dainik Bhaskar

मार्केट रेगुलेटर सिक्योरिटी एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच।

कांग्रेस स्पोक्सपर्सन पवन खेड़ा ने एक बार फिर मार्केट रेगुलेटर SEBI चेयरपर्सन माधबी पुरी बुच पर आरोप लगाए हैं। पवन खेड़ा ने कहा कि माधबी पुरी बुच ने लिस्टेड सिक्योरिटीज और फॉरेन फंड्स में निवेश कर SEBI कोड का उल्लंघन किया है। कांग्रेस और उसके कुछ सहयोगी दलों ने भी माधबी पर यही आरोप लगाए हैं।

पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘माधबी बुच ने होल-टाइम मेंबर और सेबी चेयरपर्सन के रूप में 2017 से 2023 के बीच 36.9 करोड़ रुपए की वैल्यू का लिस्टेड सिक्योरिटीज में ट्रेड किया है। यह बोर्ड के मेंबर के लिए हितों के टकराव पर सेबी के कोड यानी संहिता (2008) की धारा-6 का उल्लंघन है।’

माधबी के पास फॉरेन एसेट्स भी थे

कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया है कि 2017 से 2021 के बीच ​​​​​​माधबी ​बुच के पास फॉरेन एसेट्स भी थे। इनमें अमेरिका में वैनगार्ड टोटल स्टॉक मार्केट ETF (VTI), ARK इनोवेशन ETF (ARKK), ग्लोबल एक्स MSCI चाइना कंज्यूमर (CHIQ) और इन्वेस्को चाइना टेक्नोलॉजी ETF (CQQQ) में निवेश शामिल हैं।

कांग्रेस स्पोक्सपर्सन पवन खेड़ा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में SEBI चेयरपर्सन माधबी बुच पर आरोप लगाए।

सेबी चेयरपर्सन चाइना के फंडों में निवेश कर रहीं, यह चिंताजनक

कांग्रेस ने प्रेस रिलीज में कहा, ‘यह जानना अत्यंत चिंताजनक है कि सेबी चेयरपर्सन माधबी बुच चाइना के फंडों में निवेश कर रही हैं। हमारे कुछ सवाल हैं- पहली बार उन्होंने अपने फॉरेन एसेट्स की घोषणा कब की थी और सरकार की किस एजेंसी के सामने की थी? क्या यह सच है कि माधबी बुच अगोरा पार्टनर्स PTE (सिंगापुर) में सक्रिय रूप से शामिल थीं, क्योंकि बैंक अकाउंट पर उनके साइन थे?’

एक दिन पहले बुच ने अगोरा एडवाइजरी के संबंध में दी थी सफाई

एक दिन पहले माधबी बुच और उनके पति धवल बुच ने अगोरा एडवाइजरी के संबंध में बयान जारी कर सफाई दी थी। बुच ने स्पष्ट किया था कि सेबी में शामिल होने के बाद उन्होंने कभी भी कंसल्टेंसी फर्म या हाल के आरोपों में नामित किसी भी बिजनेस ग्रुप से जुड़ी किसी भी फाइल को नहीं देखा है।

माधबी बुच और धवल बुच ने रेंटल इनकम को लेकर कांग्रेस के आरोपों पर भी सफाई दी थी। शुक्रवार को एक डीटेल्ड स्टेटमेंट में बुच ने कहा था, ‘यह आरोप न केवल अपमानजनक, झूठा और परेशान करने वाला है, बल्कि स्पष्ट रूप से गलत भावना से भरा और प्रेरित है।’

मुंबई में बुच दंपती ने लग्जरी अपार्टमेंट फार्मा कंपनी वॉकहार्ट ​​​​​​को रेंट पर दिया

दरअसल, कांग्रेस प्रवक्ता पवन खेड़ा ने शनिवार (7 सितंबर) को आरोप लगाया था कि मुंबई में बुच दंपती ने अपने एक लग्जरी अपार्टमेंट को फार्मा कंपनी वॉकहार्ट ​​​​​​को रेंट पर दिया। इससे 2018 से 2024 के बीच 2 करोड़ रुपए से ज्यादा का किराया वसूला गया। इसी दौरान कंपनी पर इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए SEBI की जांच चल रही थी। खेड़ा ने दावा किया कि किराए की व्यवस्था संभावित ‘क्विड प्रो क्वो’ यानी फायदे के बदले फायदा देने का संकेत देती है।

सेबी चीफ की ओर से जारी बयान की बड़ी बातें…

  • प्रॉपटी को सामान्य तरीके से लीज पर दिया गया था और लीज पर लेने वाली कंपनी ‘कैरोल इंफो सर्विसेज लिमिटेड’, वॉकहार्ट से जुड़ी हुई निकली।
  • माधबी पुरी बुच ने सेबी में अपने कार्यकाल के दौरान वॉकहार्ट से संबंधित किसी भी फाइल को डील नहीं किया है।
  • इन्वेस्टिगेशन और सर्विलांस का काम वेल-डिफाइन पावर की डेलिगेशन के तहत डेजिगनेटेड ऑफिसर्स द्वारा किया जाता है।
  • रेंटल एग्रीमेंट मार्केट के नियमों के हिसाब से ही किया गया। इसमें रेंटल इनकम की जानकारी दी गई और टैक्स भी जमा किया गया।
  • एक नॉर्मल इंटरनेट सर्च और एनालिसिस से पता चल जाएगा की प्रॉपर्टी से मिलने वाली रेंटल इनकम पूरी तरह से मार्केट रेट के हिसाब से थी।
  • यह दावा कि रेंटल रेट मार्केट रेट्स से ज्यादा था, स्पष्ट रूप से गलत है। 2017 में माधबी की फुल टाइम मेंबर के रूप में नियुक्ति के बाद से सेबी को सभी जरूरी जानकारी दी थी।

बुच दंपति ने कहा- हमारे IT रिटर्न से छेड़छाड़ हुई

  • आरोप लगाने वालों ने हमारा इनकम टैक्स रिटर्न अवैध रूप से प्राप्त किए हैं।
  • यह हमारी प्राइवेसी और फंडामेंटल राइट्स और इनकम टैक्स नियमों का उल्लंघन है।
  • गलत बयानी के लिए हमारे टैक्स रिटर्न की जानकारी के साथ छेड़छाड़ की गई।
  • इस मुद्दे को जीवित रखने के लिए लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं।

कांग्रेस ने कहा था- चार साल में 7 लाख बढ़कर 46 लाख हुआ रेंट

कांग्रेस ने दावा किया कि रेंटल इनकम 2018-19 में 7 लाख रुपए से बढ़कर 2023-24 में 46 लाख रुपए हो गई, जिससे वॉकहार्ट में सेबी की जांच के समय पर सवाल उठे। रिपोर्ट्स के मुताबिक, मुंबई के विवरिया कॉम्प्लेक्स के लग्जरी अपार्टमेंट में वॉकहार्ट हॉस्पिटल्स के मैनेजिंग डायरेक्टर जहाबिया खोराकीवाला और वॉकहार्ट के चेयरमैन हबील खोराकीवाला रहते हैं।

वॉकहार्ट ने कहा- आरोप पूरी तरह से बेबुनियाद और भ्रामक

वहीं, इन आरोपों के जवाब में वॉकहार्ट ने भी बयान जारी कर किसी भी गड़बड़ी के आरोप से इनकार किया है। वॉकहार्ट ने अपनी रेगुलेटरी फाइलिंग में कहा, ये आरोप पूरी तरह से निराधार और भ्रामक हैं। कंपनी ने सभी कानूनों का पालन किया है और करेगी।

10 सितंबर को ​​​​​​​कांग्रेस ने कहा था- सेबी चेयरपर्सन के पति को महिंद्रा से पैसा मिला

कांग्रेस ने मंगलवार (10 सितंबर) को भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की अध्यक्ष माधवी पुरी बुच पर नए आरोप लगाए थे। कांग्रेस ने कहा कि माधबी के पति धवल बुच को ऑटोमोबाइल कंपनी महिंद्रा एंड महिंद्रा (M&M) से 2019 और 2021 के बीच 4.78 करोड़ रुपए मिले थे।

पिछली बार कांग्रेस ने 3 जगह से लाभ लेने का आरोप लगाया था ​​​​​​​

इससे पहले 2 सितंबर को कांग्रेस ने माधवी पर SEBI से जुड़े होने के दौरान ICICI बैंक समेत 3 जगहों से सैलरी लेने का आरोप लगाया था। पवन खेड़ा ने कहा था- माधबी पुरी बुच 5 अप्रैल, 2017 से 4 अक्टूबर, 2021 तक SEBI में पूर्णकालिक सदस्य थीं। फिर 2 मार्च, 2022 को माधबी पुरी बुच SEBI की चेयरपर्सन बनीं। SEBI की चेयरपर्सन को नियुक्त करने वाली कैबिनेट में PM मोदी और अमित शाह शामिल हैं।

उधर, ICICI ने आरोपों को नकारते हुए कहा था- ‘बैंक से रिटायर होने के बाद माधवी को कोई सैलरी या एम्प्लॉई स्टॉक ऑप्शन नहीं दिया गया। उन्होंने सिर्फ रिटायरमेंटल बेनिफिट्स लिए।’

जानिए क्या है SEBI और हिंडनबर्ग रिपोर्ट से जुड़ा विवाद ​​​​​​​

SEBI यानी सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया, भारत सरकार की संस्था है। शेयर मार्केट के निवेशकों की सुरक्षा के लिए साल 1992 में इसकी स्थापना हुई थी। जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग ने गौतम अडाणी पर अपने ग्रुप के शेयरों की कीमतें बढ़ाने के लिए ऑफशोर फंड का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था। अडाणी ने आरोपों से इनकार किया, लेकिन मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया। SEBI को मामले की जांच सौंपी गई थी।

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