भारतीय स्टार्टअप्स में खत्म हुआ डेढ़ साल का सूखा, फिर से होने लगीं बड़ी फंडिंग डील्स; लेकिन इस बार कुछ अलग है तस्वीर – large funding deals back in indian startups after almost one-and-a-half year but with a catch

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करीब डेढ़ साल के सूखे के बाद भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में बड़ी फंडिंग डील्स की वापसी हो रही है। धन, रेबेल फूड्स और एरुडिटस जैसे कई स्टार्टअप 10 करोड़ डॉलर से ज्यादा की फंडिंग पर बातचीत कर रहे हैं। जेप्टो, मीशो, रैपिडो, पॉकेट एफएम और अन्य जैसे कई स्टार्टअप्स ने 2024 में पहले ही बड़ी रकम हासिल कर ली है। जेप्टो तो दो महीने के अंदर 1 अरब डॉलर की फंडिंग क्लोज करने की तैयारी कर रहा है।

इन सौदों से जाहिर है कि निवेशकों की भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम में दिलचस्पी फिर से बढ़ी है। इतने बड़े साइज के सौदे 2021 में देखे गए थे। इस साल कई कंपनियों ने फंडिंग डील्स कंप्लीट कर ली हैं या फिर उन्हें अंतिम रूप देने की प्रक्रिया में हैं।

फंडिंग राउंड में सेकंडरी शेयर सेल का भी बड़ा हिस्सा

एक फैक्ट यह भी है कि 2021 की तुलना में स्टार्टअप्स के फंड जुटाने के तरीके में बदलाव आया है। 2021 में जहां ज्यादातर डील्स पूरी तरह से प्राइमरी नेचर की होती थीं, वहीं अब ज्यादातर फंडिंग राउंड्स में सेकंडरी शेयर बिक्री का भी एक बड़ा हिस्सा है। नतीजतन, बड़ी डील्स को बढ़ावा मिला है, वैल्यूएशंस कम हैं और स्टेकहोल्डर्स फायदे में हैं। प्राइमरी सेल में पैसा सीधे फर्म के बैंक खातों में जाता है और सेकेंडरी लेनदेन में कंपनी के शेयर सिर्फ एक निवेशक से दूसरे निवेशक को ट्रांसफर होते हैं। कंपनी के खजाने में कुछ भी नहीं जाता।

उदाहरण के लिए क्लाउड किचन स्टार्टअप रेबेल फूड्स को ही ले लें। यह 12 करोड़ डॉलर जुटा रहा है। कुल फंडिंग में 50 प्रतिशत हिस्सा सेकेंडरी शेयर सेल के तौर पर होगा। इसी तरह पर्पल के 12 करोड़ डॉलर के फंडिंग राउंड में लगभग 70 प्रतिशत सेकेंडरी शेयर बिक्री का है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, मीशो के 55-60 करोड़ डॉलर के फंडिंग राउंड में भी 27.5-32.5 करोड़ डॉलर का सेकेंडरी शेयर सेल कंपोनेंट होगा। लेंसकार्ट में हाल ही में हुए 20 करोड़ डॉलर के निवेश में सिंगापुर की टेमासेक और फिडेलिटी ने कंपनी के और शेयर खरीदकर अपनी हिस्सेदारी बढ़ाई है। यूनिकॉर्न बन चुके फिनटेक SaaS प्लेटफॉर्म परफियोस के ताजा फंडिंग राउंड में भी प्राइमरी और सेकंडरी लेनदेन दोनों शामिल थे।

फंडिंग राउंड में प्राइमरी और सेकंडरी दोनों तरह के ट्रांजेक्शन के फायदे

लाइटस्पीड में पार्टनर राहुल तनेजा कहते हैं कि फंडिंग राउंड में प्राइमरी और सेकंडरी दोनों तरह के ट्रांजेक्शन रहने से किसी स्टार्टअप के शुरुआती निवेशकों के लिए एग्जिट के मौके क्रिएट होते हैं और नए इनवेस्टर को बेहतर कीमत मिलती है। साथ ही सही एंट्री प्राइस रहने से सौदा सभी स्टेकहोल्डर्स के लिए फायदेमंद हो जाता है।

जैसे कि रेबेल के मामले में कंपनी की प्राइमरी मार्केट में वैल्यूएशन लगभग 1.3 अरब डॉलर थी, लेकिन कोट्यू और लाइटबॉक्स जैसे निवेशक 70-80 करोड़ डॉलर की वैल्यूएशन पर शेयर बेचने की सोच रहे हैं। यह लगभग 1 अरब डॉलर की ब्लेंडेड वैल्यूएशन तैयार करता है, जो टेमासेक जैसे आने वाले निवेशक के लिए सौदे को थोड़ा और आकर्षक बनाती है।

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