तनाव पहुंचाता है आपके दिल को नुकसान, जानिए कैसे – stress kaise karta hai heart health ko prabhavit


यह सबसे ज्यादा चुनौतियों का समय होता है। जब आपको अपने कॅरियर, फैमिली और सोशल लेवल पर बहुत सारी अपेक्षाएं पूरी करनी होती हैं। इनमें होने वाली खींचतान युवाओ को तनाव और फिर हृदय संबंधी रोगों का शिकार बना देती है।

आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में, युवाओं के सामने कई तरह की चुनौतियां हैं। जिनमें करियर का दबाव, सामाजिक अपेक्षाएं, और निजी ज़िंदगी में संतुलन बनाना शामिल है। इन चुनौतियों के कारण युवाओं में तनाव का स्तर दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। यह तनाव उनके शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को गहराई से प्रभावित कर रहा है। विशेष रूप से, तनाव और हृदय स्वास्थ्य (Stress and heart health) के बीच एक महत्वपूर्ण संबंध है, जिसे अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। इस लेख में हम यह समझने की कोशिश करेंगे कि तनाव युवा हृदय (stress effect on heart) को कैसे प्रभावित करता है और मानसिक स्वास्थ्य का हृदय स्वास्थ्य से क्या संबंध है।

तनाव और हृदय स्वास्थ्य (stress effect on heart)

तनाव, विशेष रूप से जब यह लंबे समय तक बना रहता है, तो हृदय पर अत्यधिक दबाव डालता है। जब हम तनाव महसूस करते हैं, तो शरीर में “फाइट-ऑर-फ्लाइट” प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है, जिसमें एड्रेनलिन जैसे हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है।

इससे हृदय की धड़कनें तेज़ हो जाती हैं, रक्तचाप बढ़ जाता है, और रक्त वाहिकाएँ संकुचित हो जाती हैं। यह अस्थायी प्रतिक्रिया शरीर को तात्कालिक खतरों से निपटने में मदद करती है, लेकिन अगर तनाव लंबे समय तक बना रहता है, तो यह हृदय पर स्थायी रूप से नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।

stress ko kaise karein kum
छोटी छोटी बातों पर चितिंत होने की आदत आपके माइंड के लिए नुकसानदायक साबित होने लगती है। चित्र- अडोबी स्टॉक

वर्तमान शोध यह दिखाते हैं कि लगातार तनाव के परिणामस्वरूप उच्च रक्तचाप (High blood pressure), दिल की धड़कन संबंधी समस्याएं (Heart Arrhythmia), और यहां तक कि दिल का दौरा (Heart Attack) होने की संभावना भी बढ़ जाती है। युवाओं में, खासकर 30 से 40 साल की उम्र के लोगों में, इस प्रकार की समस्याओं का बढ़ना चिंता का विषय है।

मानसिक स्वास्थ्य और हृदय रोग (Mental health and heart disease)

तनाव का सीधा संबंध मानसिक स्वास्थ्य से है। तनाव से ग्रसित युवा अक्सर चिंता (Anxiety), अवसाद (Depression), और नींद न आना (Insomnia) जैसी मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझते हैं। इन समस्याओं का हृदय पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। उदाहरण के लिए, चिंता के कारण दिल की धड़कन अनियमित हो सकती है, जिससे दिल की बीमारियाँ हो सकती हैं।

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एक और महत्वपूर्ण पहलू यह है कि तनावग्रस्त व्यक्ति अक्सर अस्वस्थ जीवनशैली अपनाने लगते हैं। जैसे कि धूम्रपान, शराब का सेवन, अनियमित खान-पान, और व्यायाम की कमी। ये सभी आदतें हृदय रोगों के जोखिम को और बढ़ा देती हैं। इसके अलावा, तनाव के कारण इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ सकता है, जिससे डायबिटीज का खतरा बढ़ता है और यह हृदय रोगों का एक और कारण बन सकता है।

युवा पीढ़ी में बढ़ता तनाव (Stress in young adults)

आज की पीढ़ी के युवाओं पर समाज और परिवार की अपेक्षाओं का बहुत दबाव है। एक सफल करियर बनाने की चाहत, आर्थिक स्थिरता की चिंता, और सामाजिक मान्यताओं पर खरा उतरने का दबाव उनकी मानसिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही, सोशल मीडिया पर दूसरों से तुलना करने की आदत और लगातार जुड़े रहने का दबाव युवाओं में तनाव को और बढ़ा रहा है।

इसके अलावा, आज के डिजिटल युग में युवाओं का शारीरिक रूप से निष्क्रिय होना और उनकी दिनचर्या में प्राकृतिक गतिविधियों का अभाव भी उनके हृदय और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक असर डालता है। नींद की कमी, अनियमित दिनचर्या और अत्यधिक स्क्रीन समय इन तनावों को और बढ़ा देता है।

तनाव को कैसे कम करें? (How to control stress)

1. सक्रिय जीवनशैली:

नियमित व्यायाम न केवल शरीर के लिए अच्छा है बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। व्यायाम से एंडॉर्फिन्स नामक “हैप्पी हार्मोन” रिलीज होते हैं, जो तनाव को कम करते हैं।

2. ध्यान और योग:

ध्यान (मेडिटेशन) और योग तनाव को कम करने के लिए अत्यधिक प्रभावी साबित हुए हैं। ये मानसिक शांति प्रदान करते हैं और हृदय की सेहत में सुधार करते हैं।

3. संतुलित आहार:

एक संतुलित आहार हृदय और मानसिक स्वास्थ्य दोनों को सुधारने में मदद करता है। फल, सब्जियाँ, और ओमेगा-3 फैटी एसिड युक्त खाद्य पदार्थ मानसिक शांति और हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं।

ऐसे आहार का सेवन करें जो आपके हार्ट की हेल्थ के लिए फायदेमंद हो। चित्र : अडोबीस्टॉक

4. सोशल कनेक्शन:

अपने दोस्तों और परिवार के साथ समय बिताना, खुलकर अपनी भावनाएँ साझा करना मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बना सकता है। सामाजिक समर्थन से तनाव का स्तर कम होता है और व्यक्ति अधिक आत्मविश्वास महसूस करता है।

5. समय प्रबंधन:

काम और जीवन के बीच संतुलन बनाना जरूरी है। काम के दबाव को कम करने के लिए समय का सही प्रबंधन करें, और खुद के लिए भी समय निकालें।

याद रखें 

युवाओं में तनाव के बढ़ते स्तर को नजरअंदाज करना हृदय और मानसिक स्वास्थ्य के लिए खतरनाक हो सकता है। हृदय की बीमारियाँ और मानसिक स्वास्थ्य का गहरा संबंध है, और दोनों को संतुलित रखना अत्यंत आवश्यक है। तनाव प्रबंधन की तकनीकों को अपनाकर और स्वस्थ जीवनशैली का पालन करके हम न केवल हृदय को बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं।

हमें यह समझना चाहिए कि तनाव सिर्फ एक मानसिक स्थिति नहीं है, बल्कि यह शरीर के हर अंग को प्रभावित करता है, खासकर हृदय को। इसीलिए, अपनी मानसिक और शारीरिक सेहत का ध्यान रखें और तनाव को जीवन पर हावी न होने दें।

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