एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि Igla-S को सेना की बहुत कम दूरी की एयर डिफेंस (VSHORAD) क्षमताओं को बढ़ाने के लिए खरीदा दया है। यह हाथ में पकड़ा जाने वाला डिफेंस सिस्टम है जिसे एक व्यक्ति या क्रू ऑपरेट कर सकता है। इससे कम ऊंचाई पर उड़ने वाले विमानों को गिराया जा सकता है। यह क्रूज मिसाइलों और ड्रोन जैसे टारगेट्स को भी नष्ट कर सकता है। Igla-S सिस्टम में 9M342 मिसाइल, 9P522 लॉन्चिंग मैकेनिज्म, 9V866-2 मोबाइल टेस्ट स्टेशन और 9F719-2 टेस्ट सेट शामिल हैं। ये कंपोनेंट्स एक विस्तृत एयर डिफेंस सॉल्यूशन उपलब्ध कराने के लिए एक साथ कार्य करते हैं।
पिछले वर्ष नवंबर में भारत ने रूस के साथ 400 मिसाइलों और 120 लॉन्चर्स के लिए कॉन्ट्रैक्ट किया था। इसका पहला बैच रूस से पहुंच गया है। इस कॉन्ट्रैक्ट के बाकी हिस्सों की मैन्युफैक्चरिंग रूस से ट्रांसफर ऑफ टेक्नोलॉजी के जरिए एक भारतीय कंपनी करेगी। Igla-S सिस्टम उत्तरी बॉर्डर पर ऊंचे पहाड़ी क्षेत्रों में इस्तेमाल के लिए है। सूत्रों ने बताया कि एक रेजीमेंट को ये सिस्टम मिल गया है और कुछ अन्य को इसकी जल्द सप्लाई की जाएगी। भारतीय सेना के लिए बहुत कम दूसरी की एयर डिफेंस क्षमताओं को बढ़ाने के उद्देश्य से रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) कांग्रेस की अगुवाई वाली UPA सरकार के कार्यकाल में लगभग 14 वर्ष पहले जारी किया गया था। Igla-S को बनाने वाली रूस की Rosoboronexport ने इसके लिए बिड जीती थी। इसने इस कॉन्ट्रैक्ट के लिए फ्रांस की MBDA की ओर से निर्मित Mistral और स्वीडन की कंपनी SAAB के RBS 70 NG को मात दी थी।
यह एयर डिफेंस सिस्टम Igla-1M की जगह लेगा। मौजूदा आवश्यकता के पूरा होने पर, भारतीय की योजना पुराने Igla सिस्टम्स को एडवांस्ड लेजर-बीम राइंडिंग और इंफ्रारेड VSHORAD से बदलने की है। हाल ही में डिफेंस रिसर्च एंड डिवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (DRDO) ने स्वदेशी VSHORADS मिसाइलों को दो टेस्ट फ्लाइट की थी।
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