यूट्यूब वीडियो हटाने की सूची में भारत शीर्ष पर, सिंगापुर दूसरे स्थान पर


दुनिया भर में लोकप्रिय वीडियो स्ट्रीमिंग सर्विस YouTube से वीडियो को हटवाने वाली लिस्ट में भारत का पहला स्थान है। यूट्यूब ने पिछले वर्ष अक्टूबर से दिसंबर की अवधि के लिए अपनी कम्युनिटी गाइडलाइंस एन्फोर्समेंट रिपोर्ट में बताया है कि इस लिस्ट में दूसरे स्थान पर सिंगापुर है। 

दुनिया भर में यूट्यूब से इस अवधि में 90,12,232 वीडियोज को हटाया गया। इनमें से 22,54,902 वीडियोज भारत में हटाए गए। इसके बाद सिंगापुर (12,43,871 वीडियोज) और अमेरिका (7,88,354 वीडियोज) था। अमेरिकी कंपनी Google के कंट्रोल वाली यूट्यूब के डेटा के अनुसार, इन वीडियोज में से 96 प्रतिशत के लिए ऑटोमेटेड फ्लैगिंग के जरिए चेतावनी दी गई थी जिसका मतलब है कि इन्हें एक मशीन ने डिटेक्ट किया था। इनमें से लगभग तीन लाख वीडियोज के लिए यूजर्स की ओर से आपत्ति जताई गई थी। इसके अलावा संगठनों की ओर से लगभग 52,000 वीडियोज की रिपोर्ट दी गई। सरकारी एजेंसियों ने केवल चार वीडियोज को हटाने का निर्देश दिया था। 

यूट्यूब ने बताया कि हटाए गए वीडियोज में से 51.15 प्रतिशत के शून्य व्यू, 26.43 प्रतिशत के 0-10 व्यूज और लगभग 1.25 प्रतिशत के 10,000 से अधिक व्यूज थे। इन वीडियोज को हटाने के कारणों की भी जानकारी दी गई है। इनमें से 39.4 प्रतिशत वीडियोज को खतरनाक या हानिकारक पाया गया था, 32.4 प्रतिशत वीडियोज को बच्चों की सुरक्षा को लेकर आशंकाओं के कारण हटाया गया और लगभग 7.5 प्रतिशत वीडियोज हिंसक या अश्लील पाए गए थे। वीडियोज को हटाने के अन्य कारणों में नग्नता या सेक्सुअल कंटेंट, उत्पीड़न, हिंसा को बढ़ावना देना और कट्टरवाद थे। 

वीडियोज को हटाने की प्रक्रिया के बारे में यूट्यूब ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया है, “आपत्ति वाले वीडियोज के रिव्यू और हमारी कम्युनिटी गाइडलाइंस का उल्लंघन करने वाले कंटेंट को हटाने के लिए यूट्यूब दुनिया भर में अपनी टीमों पर निर्भर करती है।” हाल ही में Facebook और YouTube को डीपफेक्स को लेकर केंद्र सरकार ने चेतावनी दी थी। फेसबुक और यूट्यूब सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स को यह बताया गया था कि देश के कानून के तहत डीपफेक्स और ऐसे कंटेंट पोस्ट करने पर प्रतिबंध है जो अश्लीलता या गलत जानकारी फैलाता है। एक मीटिंग में इन कंपनियों को यह चेतावनी दी गई थी। इस बारे में चंद्रशेखर ने कहा था कि बहुत सी सोशल मीडिया कंपनियों ने पिछले वर्ष लागू किए गए रूल्स के बावजूद अपने यूजर्स के लिए नियम और शर्तें अपडेट नहीं की है। 
 

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