भविष्य का भोजन – Drishti IAS


भविष्य का भोजन

स्रोत: लाइवमिंट

हाल ही में भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था, पर्यावरण और रोजगार के लिये जैव प्रौद्योगिकी (Bioe3) नीति को मंज़ूरी दी है, जिसमें प्रमुख फोकस क्षेत्र के रूप में “स्मार्ट प्रोटीन” के उत्पादन को प्राथमिकता दी गई है।

  • स्मार्ट प्रोटीन: 
    • वैकल्पिक या स्मार्ट प्रोटीन से तात्पर्य अपरंपरागत स्रोतों जैसे शैवाल, कवक या कीटों से प्राप्त प्रोटीन या किण्वन और प्रयोगशाला में विकसित कोशिकाओं जैसे उन्नत तरीकों का उपयोग करके उत्पादित प्रोटीन से है।
    • इस शब्द में पादप-आधारित प्रोटीन (जो दशकों से उपलब्ध हैं) भी शामिल हैं, जिसे पशुधन ब्रीडिंग की आवश्यकता के बिना पशु उत्पादों के स्वाद और पोषण मूल्य को परिवर्तित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
    • आँकड़ों के अनुसार वैकल्पिक प्रोटीन उत्पादन से पर्यावरण पर नकारात्मक प्रभाव में कमी आती है इसमें 72-99% तक कम जल के साथ 47-99% तक कम भूमि का उपयोग होता है और इससे जल प्रदूषण 51-91% तक कम होने के साथ इससे पारंपरिक मांस उत्पादन की तुलना में ग्रीनहाउस गैसों का 30-90% तक कम उत्सर्जन होता है।

  • सुरक्षित एवं धारणीय:
    • आय बढ़ने के साथ लोग अधिक प्रोटीन का उपभोग करते हैं। भारत में प्रोटीन का सेवन वर्ष 1991 के कुल कैलोरी के संदर्भ में 9.7% से बढ़कर वर्ष 2021 में 11% हो गया है। 
    • वैकल्पिक प्रोटीन से ज़ूनोटिक रोगों के जोखिम में कमी आने के साथ खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा मिलता है।

  • Bioe3 नीति:

अधिक पढ़ें: भारत में BioE3 नीति और जैव प्रौद्योगिकी





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