China planning research station on the moon by 2045 details revealed


अंतरिक्ष के क्षेत्र में धाक जमाने के चीन के मंसूबे रुकने का नाम नहीं ले रहे। चीन की योजना स्‍पेस में अमेरिका को पीछे छोड़ देने की है। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, पृथ्‍वी पर विस्‍तारवादी नीति अपनाने वाला ड्रैगन स्‍पेस के लिए भी ऐसे ही ख्‍वाब देख रहा है। वह चंद्रमा (Moon) पर कब्‍जा चाहता है! बीते कई वर्षों से चीन चांद पर एक रिसर्च स्‍टेशन बनाने की योजना तैयार कर रहा है। इस दफा उसने अपना प्‍लान शेयर किया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन साल 2045 तक चंद्रमा पर अपनी स्‍थायी मौजूदगी चाहता है और वह इंटरनेशनल लूनार रिसर्च स्‍टेशन (ILRS) तैयार करने जा रहा है।  

पिछले महीने एक रिपोर्ट में हमने आपको बताया था कि चीन की स्‍पेस एजेंसी और रूस की स्‍पेस एजेंसी मिलकर चंद्रमा पर बेस बनाना चाहते हैं। मून बेस का नाम इंटरनेशनल लूनार रिसर्च स्‍टेशन (ILRS) होगा। प्रोजेक्‍ट में और भी देशों को जोड़ा जाएगा, लेकिन अमेरिका इसका हिस्‍सा नहीं होगा।  

नई रिपोर्ट के अनुसार, चीन के इस महत्‍वाकांक्षी प्रोजेक्‍ट को दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहला चरण साल 2035 तक पूरा हो सकता है। इस दौरान चांद पर बेसिक रिसर्च फैसिल‍िटी को स्‍थापित किया जाएगा। फैसिलिटी में रेगुलर रूप से वैज्ञानिक प्रयोग किए जाएंगे। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर इस स्‍टेशन को बनाने की तैयारी है। 

ILRS का सेकंड फेज साल 2045 तक पूरा होने का अनुमान है। तब तक चांद पर एक मजबूत और टिकाऊ मून बेस तैयार किया जाएगा। उसमें तमाम सुविधाएं मौजूद होंगी, जिससे वैज्ञानिकों को अपने मिशन पूरे करने में मदद मिलेगी।

चंद्रमा पर बेस बनाकर तमाम स्‍पेस एजेंसियां वहां से मंगल ग्रह के लिए उड़ान भरने का सपा देख रही हैं। नासा (Nasa) भी इनमें शामिल है। Nasa के आर्टिमिस मिशन (Artemis mission) मिशन का मकसद चंद्रमा पर इंसान को दोबारा भेजना और उन्‍हें वहां लंबे समय तक रहने के काबिल बनाना है। 

बहरहाल, चीन ने अपने मकसद को पूरा करने के लिए एक कॉन्‍सेप्‍ट वीडियो भी तैयार किया है। इसमें दिखाया गया है कि चंद्रमा पर बनने वाला स्‍ट्रक्‍चर और फैसिल‍िटीज किस तरह की होगी। 
 



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