रुपया डेरिवेटिव बाजारों में भारतीय संस्थानों की भागीदारी बढ़ाएं बैंक: RBI


बैंकों को विवेकपूर्ण नजरिये के साथ घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुपया डेरिवेटिव बाजारों में भारतीय संस्थानों की भागीदारी बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने सोमवार को यह बात कही।

दास ने कहा कि कुछ प्रगति के बाद भी डेरिवेटिव बाजारों में घरेलू बैंकों की भागीदारी सीमित है और सक्रिय बाजार निर्माताओं की संख्या भी सीमित है। उन्होंने कहा कि भारतीय बैंक धीरे-धीरे वैश्विक बाजार में अपनी भागीदारी बढ़ा रहे हैं, लेकिन अभी उनका पदचिह्न अपेक्षाकृत छोटा है।

फिलहाल घरेलू बैंक मुख्यतः अंतिम ग्राहक के बजाय वैश्विक बाजार निर्माताओं के साथ बातचीत कर रहे हैं और उन्हें अभी भी वैश्विक स्तर पर महत्त्वपूर्ण बाजार निर्माताओं के रूप में खुद को स्थापित करना बाकी है। सोमवार को एफआईएमएमडीए-पीडीएआई के वार्षिक सम्मेलन में दास ने कहा, ‘डेरिवेटिव बाजारों में घरेलू बैंकों की भागीदारी सिर्फ सक्रिय बाजार निर्माताओं के एक छोटे समूह के साथ सीमित है।

अंतरराष्ट्रीय बाजारों में भारतीय बैंकों की भागीदारी बढ़ रही है, लेकिन वह बहुत कम है। घरेलू बैंक अंतिम ग्राहक के बजाय वैश्विक बाजार निर्माताओं के साथ काम कर रहे हैं और अभी भी विश्व स्तर पर उल्लेखनीय बाजार-निर्माता के रूप में पहचान बनाना बाकी है।’

रिजर्व बैंक के गवर्नर ने कहा कि मूल्य निर्धारण पारदर्शिता की दिशा में यात्रा जारी है, जिसमें और सुधार की गुंजाइश है। खुदरा ग्राहकों को अभी भी बड़े ग्राहकों को दिए जाने वाले सौदों की तुलना में खास सौदे नहीं मिलते हैं। एनडीएस-ओएम पर छोटे लेनदेन के प्रभावी बाजार और सटीक मूल्य निर्धारण भी जरूरी है।

विदेशी मुद्रा विनिमय (एफएक्स)बाजारों में छोटे और बड़े ग्राहकों के बीच मूल्य निर्धारण में असमानताएं अकेले परिचालन कारकों द्वारा उचित ठहराई जा सकने वाली तुलना से कहीं अधिक हैं।

First Published – April 8, 2024 | 10:29 PM IST

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