AI Launch: टेक्नोलॉजी में हर दिन कोई न कोई बदलाव देखने को मिल रहा है। इस बीच इन दिनों AI का बोलबाला है और AI का विस्तार लगातार देखने को मिल रहा है। वहीं सरकार की ओर से भी अब AI को लेकर अहम बयान दिया गया है। हाल ही में सरकार की ओर से एडवाइजरी जारी की गई थी, जिसमें AI प्लेटफॉर्म्स को AI प्रॉडक्ट लॉन्च करने से पहले सरकारी अनुमति लेने का निर्देश दिया गया था, हालांकि अब इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने स्पष्ट किया कि एडवाइजरी स्टार्टअप पर लागू नहीं होती है।
एक्स पर एक पोस्ट में चंद्रशेखर ने कहा, “हाल की सलाह को समझने की जरूरत है। एडवाइजरी का उद्देश्य महत्वपूर्ण प्लेटफॉर्म हैं और अनुमति केवल बड़े प्लेटफॉर्म के लिए है और स्टार्टअप पर लागू नहीं होगी।” इसे फिर से एक अलग पोस्ट में चंद्रशेखर ने दोहराया जहां उन्होंने कहा, “खुद को बचाने का सबसे अच्छा तरीका लेबलिंग और स्पष्ट सहमति का उपयोग करना है और यदि आप एक प्रमुख मंच हैं तो त्रुटि-प्रवण प्लेटफार्मों को तैनात करने से पहले सरकार से अनुमति लें।”
एडवाइजरी की थी जारी
इससे पहले मनीकंट्रोल ने बताया था कि इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने 1 मार्च को एक एडवाइजरी जारी की थी, जिसमें उसने प्लेटफार्मों को यह भी सलाह दी थी कि किसी भी गलत सूचना या डीपफेक के निर्माता को निर्धारित करने के लिए एआई-जनरेटेड कंटेंट को एक पहचानकर्ता के साथ लेबल या एम्बेड किया जाए। प्लेटफार्मों को 15 दिनों के भीतर मंत्रालय को की गई कार्रवाई-सह-स्थिति रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है।
हुई थी आलोचना
एडवाइजरी जारी होने के बाद एआई इकोसिस्टम के कई स्टार्टअप लीडर्स ने इसके खिलाफ अपनी आलोचना व्यक्त की। पर्प्लेक्सिटी एआई के सीईओ अरविंद श्रीनिवास ने इसे बुरा कदम करार दिया। अबैकस एआई के सीईओ बिंदू रेड्डी ने कहा, “यदि आप भारत सरकार को जानते हैं, तो आप जानते हैं कि यह एक बड़ी बाधा होगी! सभी फॉर्मों को तीन प्रतियों में पूरा करना होगा और इसमें जाने के लिए एक दर्जन मुश्किलें होंगी! इस तरह एकाधिकार पनपता है, देशों का पतन होता है और उपभोक्ता पीड़ित हैं!”
इसके अलावा स्पष्टीकरण में चंद्रशेखर ने आगे कहा कि यदि उपभोक्ता उन पर मुकदमा करने का निर्णय लेते हैं तो प्लेटफॉर्म अपने लाभ के लिए अनुमति, लेबलिंग और सहमति का उपयोग “बीमा पॉलिसी” के रूप में कर सकते हैं।