नाबार्ड द्वारा कृषि-स्टार्टअप के लिये वित्तपोषण


नाबार्ड द्वारा कृषि-स्टार्टअप के लिये वित्तपोषण

स्रोत: लाइव मिंट

चर्चा में क्यों? 

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) प्रौद्योगिकी-संचालित कृषि स्टार्टअप और ग्रामीण उद्यमों को बढ़ावा देने हेतु 1,000 करोड़ रुपए का एक कोष स्थापित किया है। इसके अलावा 750 करोड़ रुपए अतिरिक्त नवोन्मेषी समाधानों को बढ़ावा देने हेतु आरंभिक निवेश के लिये अलग रखे गए हैं।

  • इसका उद्देश्य कृषि वित्त पोषण को पारंपरिक किसानों से नवीन प्रौद्योगिकियों वाले नए अभिकर्त्ताओं तक पुनर्निर्देशित करना है, जिसका लक्ष्य उत्पादन ऋण से निवेश ऋण पर ध्यान केंद्रित करना है।                       

कृषि स्टार्टअप एवं संबद्ध चुनौतियाँ क्या हैं?

  • परिचय:
    • कृषि स्टार्टअप, एक नवीन कंपनी अथवा व्यावसायिक उद्यम है जो कृषि क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने एवं दक्षता में सुधार करने हेतु नवीन समाधान, प्रौद्योगिकी अथवा व्यवसाय मॉडल विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है।

  • एग्रीटेक स्टार्टअप्स द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएँ:
    • स्मार्ट कृषि संवर्धन: फसल की पैदावार, वर्षा पैटर्न, कीट संक्रमण एवं मृदा के पोषण पर जानकारी प्रदान करना।
    • एक सेवा के रूप में खेती: उदाहरण के लिये, EM3 एग्री सर्विसेज़ किसानों को उपयोग के लिये भुगतान के आधार पर कृषि सेवाएँ और मशीनरी किराये पर प्रदान करती है।
    • बिग डेटा एनालिटिक्स: मृदा और फसल के स्वास्थ्य को बढ़ाने के लिये कृषि- विशेष, डेटा-संचालित निदान विकसित करना, जिससे उत्पादकता तथा किसान आय में वृद्धि होगी। इसमें अक्सर अन्य तकनीकों के अलावा कृत्रिम बुद्धिमत्ता का उपयोग शामिल होता है।

  • चुनौतियाँ:
    • बिज़नेस मॉडल: कृषि-स्टार्टअप अक्सर स्वतंत्र उत्पादन और विपणन को प्राथमिकता देते हैं, व्यापक मूल्य शृंखला चुनौतियों की उपेक्षा करते हैं तथा प्रारंभिक सफलता से आगे बढ़ने में बाधा डालते हैं।
    • सीड फंड की कमी: मामूली शुरुआत से कृषि-स्टार्टअप को विचारों को मान्य करने, न्यूनतम व्यवहार्य उत्पाद (MVP) विकसित करने और व्यवहार्य व्यावसायिक योजनाएँ बनाने के लिये फंडिंग तथा सलाह की आवश्यकता होती है, जिससे छोटे अनुदान के अवसर अपर्याप्त हो जाते हैं।
    • इन्क्यूबेटरों की क्षमता: कृषि विश्वविद्यालयों और अनुसंधान संस्थानों में स्थित कृषि व्यवसाय इन्क्यूबेटर प्रारंभिक चरण में हैं तथा उन्हें विविध विशेषज्ञता वाले पेशेवरों के नेटवर्क की आवश्यकता है।
    • उपलब्ध प्रौद्योगिकी का सीमित ज्ञान: उभरते उद्यमियों में अनुसंधान संगठनों द्वारा प्रस्तुत की जाने वाली डिजिटल तकनीकों सहित व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य कृषि प्रौद्योगिकियों के प्रति जागरूकता या जुड़ाव की कमी है।

  • सरकार द्वारा अन्य पहल:

नैबवेंचर्स: ग्रामीण कृषि स्टार्टअप के लिये फंड

  • परिचय:
    • भारत सरकार ने कृषि स्टार्ट-अप्स और ग्रामीण उद्यमों को सहायता प्रदान करने के लिये 750 करोड़ रुपए के मिश्रित पूंजी कोष का शुभारंभ करने की योजना बनाई जिसका लक्ष्य संबद्ध क्षेत्र में निवेश तथा दक्षता बढ़ाना है।
      • आर्थिक सहयोग और विकास संगठन के अनुसार मिश्रित वित्त विकासशील देशों में सतत् विकास के लिये अतिरिक्त वित्त जुटाने के लिये विकास वित्त का रणनीतिक उपयोग है।

  • उद्देश्य:
    • इसका लक्ष्य अप्रमाणित विचारों अथवा अनिश्चित विकास क्षमता वाले प्री-सीड स्टार्टअप, विशेष रूप से स्केलिंग के लिये अपर्याप्त इक्विटी से बाधित स्टार्ट-अप्स का समर्थन करना है।
    • इसका लाभ एग्रीटेक, पशुपालन, मत्स्य पालन, खाद्य प्रसंस्करण और जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित स्टार्ट-अप्स को प्रदान किया जाएगा।

  • पर्यवेक्षण:
    • कृषि आधारित स्टार्ट-अप्स और ग्रामीण उद्यमों को वित्तपोषित करने के लिये यह मिश्रित पूंजी समर्थन कृषि मंत्रालय द्वारा शुरू किया जाएगा तथा नाबार्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी नैबवेंचर्स (Nabventures) द्वारा प्रबंधित किया जाएगा।

और पढ़ें: राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), एग्री-टेक और एग्री स्टार्टअप्स




  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

Q. ग्रामीण परिवारों को निम्नलिखित में से कौन सीधी ऋण सुविधा प्रदान करता है/करते हैं? (2013)

  1. क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक
  2. कृषि और ग्रामीण विकास के लिये राष्ट्रीय बैंक
  3. भूमि विकास बैंक

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये।

(a) केवल 1 और 2
(b) केवल 2
(c) केवल 1 और 3
(d) 1, 2 और 3

उत्तर: (c)


मेन्स:

Q. “गाँवों में सहकारी समिति को छोड़कर, ऋण संगठन का कोई भी अन्य ढाँचा उपयुक्त नहीं होगा।”-अखिल भारतीय ग्रामीण ऋण सर्वेक्षणा भारत में कृषि वित्त की पृष्ठभूमि में, इस कथन की चर्चा कीजिये। कृषि वित्त प्रदान करने वाली वित्तीय संस्थाओं को किन बाध्यताओं और कसौटियों का सामना करना पड़ता है? ग्रामीण सेवार्थियों तक बेहतर पहुँच और सेवा के लिये प्रौद्योगिकी का किस प्रकार इस्तेमाल किया जा सकता है? (2014)

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