आयरन लंग के जरिए जिंदा रहने वाले पॉल अलेक्जेंडर का निधन, लोहे के फेफड़ों के अंदर गुजारे 70 साल | polio survivor paul alexander died after spending 70 years in iron lung in hindi


Iron Lung Man: 70 साल तक आयरन लंग मशीन में जीवन ब‍िताने वाले पॉल अलेक्जेंडर का 78 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 11 मार्च 2024 को पॉल ने दुन‍िया को अलव‍िदा कहा। उनकी मृत्यु की घोषणा मंगलवार को उनके गो फंड मी पेज पर की गई। पॉल के शरीर का पूरा हिस्सा मशीन में रहता था। सिर्फ उनका चेहरा बाहर दिखाई देता था। आयरन लंग मशीन में सालों तक कैद रहने वाले पॉल को नर्स और उनके केयर टेकर ही खाना ख‍िलाया करते थे। डॉक्‍टरों के मुताब‍िक पॉल को एक समय के बाद मशीन से बाहर न‍िकालना संभव नहीं था, क्‍योंक‍ि उस मशीन के सहारे ही पॉल सांस ले पाते थे। पोल‍ि‍यो के चलते पॉल के फेफड़े सांस लेने और छोड़ने में असमर्थ थे।     

6 साल की उम्र में पोल‍िया से लकवाग्रस्‍त हुआ शरीर   

अमेर‍िका में साल 1946 में जन्‍मे पॉल एलेक्‍जेंडर को छह साल की उम्र में पोल‍ियो हो गया था। इस वजह से उन्‍हें आयरन लंग नाम की मशीन में कैद होना पड़ा। पॉल की गर्दन के नीचे का ह‍िस्‍सा लकवाग्रस्‍त हो गया था। वह खुद से सांस लेने में असमर्थ थे। गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स के मुताब‍िक, पॉल अब तक के सबसे लंबे समय तक आयरन लंग्‍स रोगी घोष‍ित हुए। पॉल ने अमेर‍िकी इत‍िहास के सबसे भयानक पोल‍ियो प्रकोप को देखा है ज‍िसमें 58,000 मामले सामने आए थे। इनमें ज्‍यादातर बच्‍चे थे और पॉल भी उन्‍हीं बच्‍चों में से एक थे।  

इसे भी पढ़ें- पोलियो वैक्सीन लगवाना क्यों जरूरी है? डॉक्टर से जानें किन रोगों से बचाती है ये वैक्सीन

मशीन में रहकर ह‍िलना या खांसना भी संभव नहीं था 

पोल‍ियो एक जानलेवा बीमारी है। यह वायरस एक से दूसरे व्‍यक्‍त‍ि में फैलता है और रीढ़ की हड्डी को संक्रमित कर देता है।1955 में पूरे अमेरिका में पोलियो वैक्सीन को मंजूरी दी गई और व्यापक रूप से इसे बच्चों को द‍िया गया। 1979 में देश को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया, लेकिन उस समय तक पॉल अलेक्जेंडर के लिए बहुत देर हो चुकी थी। उनके शरीर को घातक बीमारी से लड़ने में मदद करने के लिए उन्हें लोहे के फेफड़े में रखा गया। 7 फीट की मशीन को आयरन लंग भी कहा जाता है। तब से वह जीवित रहने के लिए गर्दन से पैर तक की मशीन पर निर्भर थे। द गार्जियन की एक पुरानी रिपोर्ट में यह बताया गया है क‍ि वह मशीन उन्हें हिलने-डुलने या खांसने तक की अनुमति नहीं देती थी। उस मशीन के देखने का क्षेत्र भी सीमित था।

मुंह में पेन पकड़कर ल‍िखी क‍िताब   

शुरुआती समय में कुछ घंटों के लिए पॉल को उस मशीन से निकलने की अनुमति मिलती थी। इस समय का फायदा उठाते हुए पॉल ने स्कूल खत्म करने के बाद लॉ की डिग्री के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कई वर्षों तक कानून का अभ्यास किया। पॉल अपनी जिंदगी पर एक किताब भी लिख चुके हैं। इसका नाम ‘My Life in an Iron Lung’ है। किताब लिखने के पीछे की कहानी के बारे में पॉल ने ल‍िखा है कि जिंदगी कैसी भी हो, लेकिन बड़ी चुनौतियों का सामना करके ही आप मंजिल हासिल कर सकते हैं। पॉल ने यह क‍िताब आयरन लंग मशीन में रहते हुए अपने मुंह से पेन को पकड़कर ल‍िखी है।

उम्‍मीद करते हैं आपको यह जानकारी पसंद आई होगी। इस लेख को शेयर करना न भूलें।

image credit: allthatsinteresting.com, longreads.com 



Source link

What’s your Reaction?
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
+1
0
Exit mobile version