Khushkhabri with IVF: प्रदूषण, दूषित खानपान, और बदलती आदतों के चलते लोगों के प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ा है। यही वजह है कि आज देश में संतान प्राप्ति के लिए मेडिकल ट्रीटमेंट लेने वालों की संख्या में इजाफा हुआ है। वहीं दूसरी ओर मेडिकल साइंस ने भी कई समस्याओं को दूर करने के लिए कई नए तकनीकों को खोजा है। इसमें आईवीएफ तकनीक को भी शामिल किया जा सकता है। यह तकनीक सालो से संतान प्राप्ति के लिए प्रयासरत होने के बावजूद भी सफल नहीं हो पाने वाले कपल्स के लिए आशा की नई किरण की तरह कार्य करती है। इस ट्रीटमेंट प्रक्रिया से पहले डॉक्टर महिला व पुरुष के प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े कुछ आवश्यक टेस्ट करते हैं। इसमें महिला के गर्भाशय की स्थिति, एंड्रोमेट्रियल की मौजूदा स्थिति, एग्स बनाने की क्षमता आदि कई चीजों की जांच की जाती है। ठीक इसी तरह पुरुष के स्पर्म काउंट्स, स्पर्म की मोबिलिटी और उनसे जुड़ी समस्याओं को लेकर टेस्ट किये जाते हैं। आईवीएफ ट्रीटमेंट में महिला की एंडोमेट्रियल लाइनिंग की परत का मोटा (Thin Endometrium Lining) होना आवश्यक होता है। इस लेख में जानते हैं कि एंडोमेटियल लाइनिंग का पतले होने से आईवीएफ पर क्या प्रभाव पड़ सकता है।
इंटरनेट में आईवीएफ से जुड़ी सही जानकारी न होने के चलते कई कपल्स इस ट्रीटमेंट को अपनाने से घबराते हैं। ऐसे में इस विषय को आसनी से समझाने के लिए ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF सीरीज को शुरु किया है। इस सीरीज में हमारी टीम आईवीएफ ट्रीटमेंट के सीनियर डॉक्टर्स से बात कर इससे जुड़े सभी छोटे-बड़े पहुलओं को आपको आसान भाषा में समझाने का प्रयास करती है। इस सीरीज की आज की कड़ी में आपको महिलाओं की एंडोमेट्रियल लाइनिंग की परत की मोटाई आईवीएफ ट्रीटमेंट को किस तरह से प्रभावित करती है और इस समस्या का समाधान कैसे किया जाता है, विषय को बताया गया है। इस जानकारी के लिए हमारी टीम ने यशोदा फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर कड़कड़डूमा की इन्फ़र्टिलिटी और आईवीएफ़ कंसलटेंट डॉ. स्नेहा मिश्रा से संपर्क किया। डॉक्टर स्नेहा ने जटिल विषय को आगे बेहद ही सरल शब्दों में विस्तार से बताया है।
IVF ट्रीटमेंट में एंडोमेट्रियल परत किस तरह से महत्वपूर्ण होती है? – Importance Of Endometrial Lining During IVF Treatment in Hindi
इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) तकनीक के तहत सफल गर्भधारण के लिए कई कारक महत्वपूर्ण होते हैं। इसमें एंडोमेट्रियल (गर्भाशय की अंदरूनी परत) की मोटाई को एक मुख्य कारक माना जाता है। इस प्रक्रिया में जिन महिलाओं की एंडोमेट्रियल लाइनिंग पतली होती है, उनको भ्रूण (Embryo) के गर्भाशय में प्रत्यारोपित (implantation) होने और सफल गर्भधारण की संभावना में मुश्किल का सामना करना पड़ सकता है। यही वजह है कि डॉक्टर IVF ट्रीटमेंट के दौरान एंडोमेट्रियल लाइनिंग की मोटाई को बढ़ाना को बढ़ाने पर कार्य करने की सलाह दे सकते हैं। इस लेख में आगे जानते हैं कि एंडोमेट्रियल परत के पतले होने के क्या कारण (causes of thin endometrial lining) हो सकते हैं। साथ ही, इसे मोटा करने के विभिन्न उपायों को भी जानेगें।
गर्भधारण में एंडोमेट्रियल परत का क्या महत्व होता है? – What size of endometrium is good for implantation In Hindi
एंडोमेट्रियल परत वह जगह होती है जहां पर एम्ब्रयो का इम्प्लांटेशन किया जाता है और यही से गर्भावस्था की शुरुआत होती है। सामान्य रूप से इस परत की मोटाई 7-14 मिमी के बीच होनी (size of endometrium lining) चाहिए। जब यह परत पतली (6 मिमी से कम) होती है, तो गर्भाशय में एम्ब्रयो का ट्रांसफर कठिन हो जाता है, जिससे गर्भधारण की संभावना कम हो जाती है।
एंडोमेट्रियल लाइनिंग के पतले होने के क्या कारण हो सकते हैं? – Causes Of Thin Endometrial Lining In Hindi
- हार्मोनल असंतुलन: एस्ट्रोजन की कमी के कारण एंडोमेट्रियम पर्याप्त रूप से विकसित नहीं हो पाती है।
- यूटराइन सर्जरी: इससे गर्भाशय की परत को नुकसान हो सकता है।
- उम्र: उम्र बढ़ने के साथ एंडोमेट्रियल परत पतली हो सकती है।
- ब्लड सर्कुलेशन में कमी: गर्भाशय तक ब्लड की सही आपूर्ति न होने से एंडोमेट्रियम ठीक से विकसित नहीं होता।
- अन्य मेडिकल कंडीशन: कुछ महिलाएं ओवरी की समस्याओं, पीसीओडी या अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के कारण एंडोमेट्रियल की परत के पतले होने का सामना कर सकती हैं।
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एंडोमेट्रियल परत को मोटा करने के उपाय – How to increase endometrial thickness for IVF in Hindi
अगर एंडोमेट्रियम पतला हो, तो IVF ट्रीटमेंट की सफलता बढ़ाने के लिए डॉक्टर कुछ तरीकों से इसे मोटा करने का प्रयास करते हैं। आगे जानते हैं इस बारे में विस्तार से
एस्ट्रोजन सप्लीमेंट्स
एंडोमेट्रियम की ग्रोथ के लिए सबसे महत्वपूर्ण हार्मोन एस्ट्रोजन माना जाता है। ऐसे में डॉक्टर IVF ट्रीटमेंट के दौरान महिलाओं को एस्ट्रोजन सप्लीमेंट्स दे सकते हैं। यह सप्लीमेंट्स टैबलेट, पैच या इंजेक्शन के रूप में हो सकते हैं। यह हार्मोन गर्भाशय की परत को मोटा करने में मदद करता है।
ब्लड सर्कुलेशन बढ़ाने वाली दवाएं
नाइट्रिक ऑक्साइड एंडोमेट्रियम तक ब्लड सर्कुलेसन बढ़ाने में मदद करता है, जिससे उसकी मोटाई बढ़ सकती है। इसके अलावा, पेंटॉक्सिफिलिन और विटामिन E जैसे सप्लीमेंट्स भी ब्लड सर्कुलेशन को सुधारने में मदद कर सकते हैं।
पीआरपी (प्लेटलेट रिच प्लाज्मा) थेरेपी
हाल के समय में, PRP थेरेपी का उपयोग एंडोमेट्रियल रिजनरेशन के लिए किया जाने लगा है। इसमें महिला के अपने ब्लड से प्राप्त प्लेटलेट्स का इस्तेमाल किया जाता है, जो गर्भाशय में इंजेक्ट की जाती हैं। यह तकनीक एंडोमेट्रियम की मोटाई बढ़ाने में फायदेमंद मानी जाती है।
एक्यूपंक्चर
एक्यूपंक्चर एक प्राचीन थेरेपी है, जो शरीर के विभिन्न अंगों में ब्लड सर्कुलेशन को सुधारने में सहायक हो सकती है। यह तकनीक एंडोमेट्रियल परत की मोटाई बढ़ाने के लिए सहायक हो सकती है।
योग और मेडिटेशन
स्ट्रेस भी एंडोमेट्रियम की मोटाई पर बुरा प्रभाव डाल सकता है। योग और मेडिटेशन करने से मानसिक तनाव कम होता है और गर्भाशय के ब्लड सर्कुलेशन में सुधर होता है, जिससे एंडोमेट्रियम मोटा हो सकता है।
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एंडोमेट्रियल परत का पतला होना, IVF ट्रीटमेंट के दौरान एक बड़ी समस्या बन सकती है, लेकिन इसे सुधारने के लिए कई उपाय उपलब्ध हैं। हार्मोनल सप्लीमेंट्स, पीआरपी थेरेपी, एक्यूपंक्चर और लाइफस्टाइल में बदलाव कर इसकी मोटाई में सुधार किया जा सकता है। IVF की सफलता के लिए एंडोमेट्रियम की उचित मोटाई सुनिश्चित करना आवश्यक है, इसलिए सही समय पर पहचान और इलाज करना बेहद आवश्यक होता है। ओनलीमाय हेल्थ की Khushkhabri with IVF की सीरीज का आज का लेख आप अपने दोस्तों और करीबियों के साथ शेयर करें, ताकि उनको भी आईवीएफ की संपूर्ण और सटिक जानकारी मिल सकें। आईवीएफ से जुड़े सभी प्रश्नों के जवाब के लिए आप हमारी इस सीरीज के लेख को पढ़ सकते हैं।