मार्गशीर्ष मास यानी अगहन मास 16 नवंबर से शुरू हो गया है, जो 15 दिसंबर तक चलेगा। इस माह में भैरव अष्टमी, उत्पन्ना एकादशी व विवाह पंचमी का विशेष महत्व है। श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करने से पाप खत्म होते हैं और पुण्य प्राप्त होता है। विवाह पंचमी पर श्रीराम व माता जानकी का विवाह होगा।
By Prashant Pandey
Publish Date: Mon, 18 Nov 2024 07:37:45 AM (IST)
Updated Date: Mon, 18 Nov 2024 07:44:22 AM (IST)
HighLights
- अगहन मास में शंख पूजा, नदी स्नान और दान का भी है विशेष महत्व है।
- संकष्टी चतुर्थी, कालभैरव जयंती, विवाह पंचमी और मोक्षदा एकादशी भी।
- विवाह पंचमी पर श्रीराम और माता जानकी का विवाह होगा।
नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर। पवित्र कार्तिक मास की समाप्ती के साथ मार्गशीर्ष यानी अगहन महीना शुरु हो गया है. इस माह भैरव अष्टमी, उतन्पन एकादशी व विवाह पंचमी का विशेष महत्व होता है। मार्गशीर्ष माह यानी की अगहन मास 16 नवंबर से 15 दिसंबर तक चलेगा।
ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि श्रीकृष्ण और विष्णु पूजा के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है यह माह, इस महीने में शंख पूजा, नदी स्नान, दान, भजन-कीर्तन और पूजा-पाठ करने का विशेष महत्व है।अगहन महीने में श्रीकृष्ण और भगवान विष्णु की पूजा करने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं और पुण्य प्राप्त होता है।
भागवत कथा के लिए यह मास सबसे श्रेष्ठ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा का चंद्रमा मृगशिरा नक्षत्र में होने की वजह से इस महीने को मार्गशीर्ष कहते हैं। भगवान कृष्ण की स्तुति एवं भागवत कथा करने के लिए यह मास सबसे श्रेष्ठ होता है। इस महीने यमुना नदी के तट पर स्नान करने से जीवन के सारे कष्ट मिट जाते हैं और व्यक्ति को अपने सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
मार्गशीर्ष मास में संकष्टी चतुर्थी, कालभैरव जयंती, विवाह पंचमी, गीता जयंती और मोक्षदा एकादशी जैसे कई व्रत और त्योहार पड़ते हैं। इन सभी व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व होता है।
विवाह पंचमी अत्यंत शुभ, इस दिन होते है अनुष्ठान
विवाह पंचमी के दिन भगवान श्रीराम और माता सीता की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन माता सीता और भगवान राम का विवाह जनकपुर में संपन्न हुआ था। इसलिए इस दिन को विवाह पंचमी के नाम से जाना जाता है।
विवाह पंचमी के अवसर पर कई स्थानों पर सामूहिक विवाह का आयोजन भी किया जाता है। जिन युवाओं का विवाह में विलम्ब हो रहा है या किसी अन्य कारणवश शादी नहीं हो रही है। उनके लिए इस दिन पूजा-अर्चना करना विशेष फलदायी माना जाता है। इसके अलावा विवाहित जोड़े इस दिन पूजा कर अपने दांपत्य जीवन को मधुर और प्रेममय बनाने के लिए आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
मार्गशीर्ष माह में पड़ने वाले मुख्य व्रत एवं त्योहार
- 18 नवंबर सोमवार – संकष्टी चतुर्थी
- 21 नवंबर गुरुवार – गुरु पुष्य योग
- 22 नवंबर शुक्रवार – भैरव अष्टमी
- 26 नवंबर मंगलवार – उत्पन्ना एकादशी
- 28 नवंबर गुरुवार – प्रदोष व्रत (कृष्ण पक्ष)
- 29 नवंबर शुक्रवार – मासिक शिवरात्रि
- 1 दिसंबर रविवार – मार्गशीर्ष अमावस्या
- 5 दिसंबर गुरुवार – विनायक चतुर्थी
- 6 दिसंबर शुक्रवार – विवाह पंचमी
- 11 दिसंबर बुधवार – मोक्षदा एकादशी, गीता जयंती
- 13 दिसंबर शुक्रवार – प्रदोष व्रत , अनंग त्रयोदशी
- 14 दिसंबर शनिवार – दत्तात्रेय जयंती
- 15 दिसंबर रविवार – धनु संक्रांति, मार्गशीर्ष पूर्णिमा, अन्नपूर्णा जयंती।