Bhairav Ashtami 2024: भैरव अष्टमी 22 नवंबर को, इस दिन व्रत रखने से सभी कार्य सिद्ध होंगे


मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। यह दिन काल भैरव अष्टमी के रूप में मनाया जाता है। इस साल अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम 6.07 से शुरू होकर अगले दिन 23 नवंबर की शाम 7.56 मिनट तक रहेगी।

By Prashant Pandey

Publish Date: Sun, 17 Nov 2024 02:21:34 PM (IST)

Updated Date: Sun, 17 Nov 2024 02:45:10 PM (IST)

भैरव अष्टमी को लेकर मंदिरों में शुरू हुई तैयारियां। फाइल फोटो

HighLights

  1. तंत्र विद्या सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर कठिन उपासना करते हैं।
  2. इस दिन मंदिरों में भैरवजी को सिंदुर का चोला अर्पित किया जाता है।
  3. भगवान शिव के रौद्र रूप का पूजन करने से परेशानियां दूर होती हैं।

नईदुनिया प्रतिनिधि, ग्वालियर(Bhairav Ashtami 2024)। ब्रह्म योग, इंद्र योग और रवि योग में 22 नवंबर को भैरव अष्टमी मनाई जाएगी। भैरव अष्टमी को देवाधिदेव महादेव के रूद्र रूप काल भैरव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर काल भैरव देव की पूजा की जाती है। भैरव अष्टमी का व्रत को करने से साधक को विशेष कार्य में सफलता और सिद्धि मिलती है। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन उपासना करते हैं।

धार्मिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव का जन्म हुआ था। इस दिन भगवान शिव के रौद्र स्वरूप काल भैरव की पूजा विधि-विधान के साथ की जाती है। मान्यता है कि इस दिन भगवान काल भैरव पूजा-पाठ, दान करने से प्रसन्न होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि का आशीर्वाद भी देते हैं।

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कालाष्टमी भैरव अष्टमी शुभ मुहूर्त

वैदिक पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि 22 नवंबर को शाम छह बजकर सात मिनट पर शुरू होगी। इस तिथि का समापन 23 नवंबर को शाम सात बजकर 56 मिनट पर होगा। काल भैरव देव की पूजा निशा काल में होती है। इसलिए 22 नवंबर को कालाष्टमी मनाई जाएगी। इस दिन मासिक कृष्ण जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी।

कालाष्टमी पर शुभ योग

इस दिन ब्रह्म योग के साथ ही इंद्र योग का निर्माण होगा। इसके अलावा, रवि योग भी बनेगा। इन योग में भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के शारीरिक और मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलेगी।

काल भैरव मंदिरों में तैयारियां शुरू

भैरव अष्टमी में सप्ताहभर शेष है। ग्वालियर के प्रमुख भैरव मंदिर नया बाजार चौराहा, सराफा बाजार, माधवगंज, स्टेशन पुल के नीचे मंशापूर्ण हनुमान मंदिर व सिटी सेंटर स्थित महाबली हनुमान मंदिर विराजित भैरव मंदिर सहित अन्य मंदिरों में तैयारियां शुरू हो गईं हैं।

मंदिरों की साफ-सफाई की जा रही है। हनुमान जी की तरह भैरवजी की प्रतिमा सिंदुर का चोला अर्पित किया जाता है। मूंग व उड़द की दाल के मंगौड़े, ईमरती, कचौड़ी का भोग विशेष अर्पित होता है। भैरव अष्टमी के साथ 56 भोग व भंडारों का भी आयोजन किया जाएगा।



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