Agahan Month Lakshmi Puja: अगहन माह के हर गुरुवार इस विधि से करें मां लक्ष्मी की पूजा, धन-संपत्ति से भरें अपना भंडार


16 नवंबर से अगहन माह की शुरुआत हो रही है, जो 15 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान छत्तीसगढ़ में हर गुरुवार को महालक्ष्मी का पूजन होगा, जो घरों में भक्तिभाव का वातावरण बनाएगा। महिलाएं विशेष रूप से रंगोली सजाकर लक्ष्मी के स्वागत के लिए पूजा करेंगी। इस दौरान रायपुर में तीन प्राचीन लक्ष्मी मंदिरों में विशेष पूजन होगा।

By Shravan Kumar Sharma

Publish Date: Sat, 16 Nov 2024 05:55:09 PM (IST)

Updated Date: Sat, 16 Nov 2024 05:55:57 PM (IST)

अगहन माह में लक्ष्मी पूजन

HighLights

  1. कार्तिक में भगवान विष्णु और अगहन में महालक्ष्मी पूजा की परंपरा।
  2. अगहन के प्रत्येक गुरुवार को महिलाएं करतीं हैं मां लक्ष्‍मी की पूजा।
  3. अगहन माह की शुरुआत – 16 नवंबर से 15 दिसंबर तक चलेगा।

रायपुर। हिंदू पंचांग के 12 महीनों में किसी ना किसी देवी-देवता की पूजा करने का विधान है। प्रत्येक महीने घर-घर में और मंदिरों में भक्तिभाव का माहौल छाया रहता है। चैत्र में नवरात्र पर दुर्गा, वैशाख में अक्षय तृतीया पर परशुराम, जेठ में यमराज, सावित्री, आषाढ़ में जगन्नाथ, श्रावण में भोलेनाथ, भाद्रपद में गणेश पर्व, क्वांर में पितृ और नवरात्र, कार्तिक में धनतेरस, गोवर्धन पूजा, देव दीपावली, अगहन में भैरव जयंती, लक्ष्मी पूजन, पौष में शाकंभरी जयंती, माघ में वसंत पंचमी पर सरस्वती पूजन, फाल्गुन में होलिका दहन, नृसिंह पूजन की महत्ता है।

कार्तिक माह पर शुक्रवार को पूर्णिमा स्नान का समापन होने के पश्चात अब 16 नवंबर से अगहन माह का शुभारंभ हो रहा है। छत्तीसगढ़ के गांव-गांव में अगहन माह के प्रत्येक गुरुवार को महालक्ष्मी का पूजन करने की परंपरा है। अगहन माह के सभी गुरुवार को घर-घर में लक्ष्मी पूजन से भक्तिभाव छाएगा। यह जानकारी दे रहे हैं श्रवण शर्माnaidunia_image

देवउठनी पर भगवान विष्णु के बाद मां लक्ष्मी के स्‍वागत की तैयारी

कार्तिक में देवउठनी एकादशी पर क्षीरसागर में विश्राम कर रहे भगवान विष्णु को जगाने की परंपरा निभाई गई थी। चातुर्मास में चार माह तक भोलेनाथ सृष्टि का संचालन कर रहे थे। कार्तिक पूर्णिमा पर 15 नवंबर को हरिहर मिलन परंपरा निभाई गई। भगवान भोलेनाथ ने सृष्टि का भार पुन: भगवान विष्णु को सौंपा। अब, 16 नवंबर से अगहन का शुभारंभ हो रहा है। जिसका समापन 15 दिसंबर को होगा। इस पूरे महीने में भगवान विष्णु की अर्धांगिनी महालक्ष्मी को घर-घर में आमंत्रित कर पूजन किया जाएगा।

तीन प्राचीन लक्ष्मी मंदिर प्रसिद्ध

महालक्ष्मी पूजन के लिए राजधानी में तीन महालक्ष्मी मंदिर प्रसिद्ध है, जहां महिलाएं दर्शन, पूजन करने उमड़ेंगी। इनमें सत्ती बाजार स्थित 200 वर्ष पुराना लक्ष्मीनारायण मंदिर, कमासीपारा स्थित 100 वर्ष पुराना लक्ष्मीनारायण मंदिर एवं नयापारा स्थित 50 वर्ष पुराना लक्ष्मीनारायण मंदिर में पूरे माह विशेष पूजन किया जाएगा।

बुधवार को रंगोली सजाकर आमंत्रण देने की परंपरा

अगहन माह के गुरुवार से एक दिन पूर्व बुधवार को महिलाएं अपने घर के मुख्य द्वार, आंगन में आटे से आकर्षक रंगोली सजाकर, पूजा घर में कलश और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित कर माता को पधारने का आमंत्रण देने की रस्म निभाएंगी। अगले दिन गुरुवार को सुबह स्नान, पूजन करके दिनभर व्रत रखने का संकल्प लेंगी। दोपहर में भाेग अर्पित करके और शाम को पुन: पूजा करके प्रसाद ग्रहण कर व्रत का पारणा करेंगी।

मान्यता-घर पधारतीं हैं मां लक्ष्मी

महामाया मंदिर के पुजारी पं.मनोज शुक्ला के अनुसार ऐसी मान्यता है कि अगहन माह में महालक्ष्मी को विधिवत आमंत्रित कर पूजा, अर्चना की जाए तो मां लक्ष्मी स्थायी रूप से उस घर में निवास करतीं हैं। मां लक्ष्मी का पूजन, व्रत करने से परिवार में सुख, समृद्धि बढ़ती है। माता को आमंत्रित करने के लिए मुख्य द्वार से लेकर पूजा घर तक चावल के आटे को घोलकर मां लक्ष्मी के पदचिन्ह अंकित करना चाहिए।

कलश और प्रतिमा स्थापना

पूजा घर में चावल, गेहूं से स्वास्तिष्क बनाकर उस पर कलश स्थापना करेंगी। दूसरी ओर पीढ़े पर मां लक्ष्मी की प्रतिमा विराजित करके आंवला और आम पत्ता से तोरण, मंडप सजाएंगी। कटोरी में धान रखकर दीप प्रज्ज्वलित करके मां लक्ष्मी का आह्वान करते हुए अपने घर पर आमंत्रित करने की रस्म निभाएंगी।

दिन में तीन बार पूजा का महत्व

बुधवार की शाम मां लक्ष्मी को आमंत्रण देने के पश्चात महिलाएं गुरुवार को सूर्योदय से पूर्व स्नान करेंगी। व्रत रखने का संकल्प लेकर मुख्य द्वार पर दीप प्रज्ज्वलित करेंगी। दोपहर 12 बजे चावल की खीर, अनरसा, बबरा, चावल का चीला आदि व्यंजनों का भोग लगाएंगी। शाम को पुन: पूजा-अर्चना कर प्रसाद ग्रहण करके व्रत का पारणा करेंगी।

पूजन की सामग्री

मां लक्ष्मी की पूजा के लिए नारियल, केला, सिंघाड़ा, आंवला, बेर, सीताफल, धान की बाली का झालर, कुम्हड़ा, आंवला, पान, कपड़ा, टोकरी, प्याज, तेल, घी, शक्कर, चावल से पूजा करने की रस्म निभाएंगी।

लक्ष्मी के पदचिन्ह

महिलाएं अपने घर-आंगन को गोबर से लीपकर चावल के आटे को पानी में घोलकर चौक पूरने की रस्म निभाएंगी। मुख्य द्वार को रंगोली से सजाएंगी। आंगन से लेकर पूजा घर तक मां लक्ष्मी के पदचिन्ह, स्वास्तिक, नाग आदि के चित्र बनाने की परंपरा निभाएंगी।

16 के आंकड़े का महत्व

अगहन गुरुवार पर लक्ष्मी पूजन की अजब परंपरा है। पूजन में 16 के आंकड़े को विशेष महत्व दिया जाता है। महिलाएं स्नान के दौरान 16 बार मुंह धोने की रस्म निभातीं हैं। 16 लड़ वाली डोरी बनाकर केले पत्तों व आंवला से मंडप सजाकर दीप प्रज्ज्वलित करतीं हैं। दोपहर को केवल चावल से बने व्यंजन का भोग लगाकर शाम को आरती करके प्रसाद ग्रहण करतीं हैं।

इन चार गुरुवार पर करेंगे पूजन

इस साल अगहन माह में चार गुरुवार महालक्ष्मी पूजा के लिए विशेष माने जाएंगे:

  1. पहला गुरुवार – अगहन कृष्ण षष्ठी, 21 नवंबर
  2. दूसरा गुरुवार – अगहन कृष्ण त्रयोदशी, 28 नवंबर
  3. तीसरा गुरुवार – अगहन शुक्ल चतुर्थी, 5 दिसंबर
  4. चौथा गुरुवार – अगहन शुक्ल द्वादशी, 12 दिसंबर



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