वैसे तो इस धाम में अनेक पर्व, त्योहार और आयोजन संपन्न होते हैं, लेकिन वर्ष में दो बार होने वाले संतों के बरसी महोत्सव में विशेष रौनक होती है। एक वर्ष में एक बार पाकिस्तान से लगभग 200 श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।
By Shashank Shekhar Bajpai
Publish Date: Sat, 07 Dec 2024 11:57:13 AM (IST)
Updated Date: Sat, 07 Dec 2024 02:55:38 PM (IST)
HighLights
- संत बाबा गेलाराम का बरसी महोत्सव 10 दिसंबर को होगा।
- पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भी यहां दर्शन करे आते हैं श्रद्धालु।
- दरबार परिसर की पाठशाला में पढ़ते हैं 300 से ज्यादा छात्र।
श्रवण शर्मा, रायपुर। राजधानी के देवपुरी इलाके में सिंधी समाज का प्रसिद्ध गोदड़ीवाला धाम स्थित है। देशभर में सिंधी समाज के लाखों श्रद्धालुओं के लिए यह धाम तीर्थस्थल की तरह है। यहां सिंधी समाज के दो प्रसिद्ध संतों की प्रतिमा स्थापित है।
प्रतिमा के समक्ष मत्था टेकने और आशीर्वाद लेने के लिए देशभर के श्रद्धालुओं के अलावा पाकिस्तान के सिंध प्रांत में रहने वाले श्रद्धालु भी दर्शन करने आते हैं। वैसे तो इस धाम में अनेक पर्व, त्योहार और आयोजन संपन्न होते हैं, लेकिन वर्ष में दो बार होने वाले संतों के बरसी महोत्सव में विशेष रौनक होती है।
एक वर्ष में एक बार पाकिस्तान से लगभग 200 श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं। ये श्रद्धालु शहर के गोदड़ीवाला धाम, शदाणी दरबार के दर्शन करने के साथ ही देशभर के तीर्थों के भी दर्शन करते हैं।
सेवा, परोपकार की मिसाल बने संत गेलाराम
गोदड़ीवाला धाम से संत बाबा गेलाराम ने घर-घर में सेवा, परोपकार की अलख जगाई। अनेक वर्षों तक सेवा कार्य के पश्चात 10 दिसंबर, 2008 को बाबा ब्रह्मलीन हुए। इसके बाद से हर वर्ष 10 दिसंबर को निर्वाण दिवस पर तीन दिवसीय भव्य आयोजन किया जाता है।
साथ ही 12 फरवरी को जन्मोत्सव पर भी तीन दिनों तक भक्ति, सत्संग, रक्तदान, निर्धनों को अनाज वितरण, सामूहिक जनेऊ, सामूहिक विवाह आदि आयोजनों की धूम मचती है।
दरबार परिसर में हिंदू धर्म के सभी जाति के लोगों के लिए पाठशाला संचालित की जा रही है। इस पाठशाला में 300 से अधिक विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। साथ ही प्रत्येक माह की 12 तारीख को संत के जन्मोत्सव दिवस पर महाभंडारे में दो हजार से अधिक लोग भोजन ग्रहण करते हैं।
2009 में संत बाबा गेलाराम की प्रतिमा स्थापित
संत गेलाराम ने देशभर में सिंधी समाज के लोगों को प्रेम, सद्भावना, सेवा, परोपकार का संदेश दिया। 2008 में परलोकगमन के एक वर्ष बाद 2009 में समाज के लोगों ने संत की समाधि बनवाई और प्रतिमा की स्थापना की। धाम में पिछले 15 वर्ष से बरसी महोत्सव मनाया जा रहा है।
देशभर से सिंधी समाज के संत, महात्मा और श्रद्धालु शामिल होते हैं। अन्य शहरों से आने वाले श्रद्धालुओं के ठहरने, भोजन की व्यवस्था गोदड़ीवाला धाम परिसर में की जाती है। धाम की महंत हैं अम्मा मीरादेवी गोदड़ीवाला धाम की महंत अम्मा मीरादेवी के सान्निध्य में सभी धार्मिक आयोजन संपन्न होते हैं।
जलगांव के महंत देवीदास, शदाणी दरबार के पीठाधीश्वर संत युधिष्ठिरलाल, चकरभाठा के संत सांई लालदास सहित अनेक संतों के मार्गदर्शन में हवन, झंडारोहण, बहिराणा साहिब की यात्रा, पल्लव साहिब आदि रस्म निभाई जाती है।
तीर्थ के रूप में प्रसिद्ध गोदड़ी वाला धाम
ऐसी मान्यता है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत में हयात पिताफी में संत शदाराम साहिब का धूनी स्थल है। इसी तरह संत बाबा गेलाराम की तपस्या स्थली गोदड़ी वाला धाम है। जो सिंधी समाज के लोगों के लिए प्रेरणादायी तीर्थ स्थल है। बाबा गेलाराम ने अपने जीवन के अंतिम वर्ष इसी धाम में व्यतीत किया था।
धाम की सेवा में जुटे सेवादार
दरबार में गोदड़ीवाला सेवा मंडल एवं महिला मंडल के सदस्यों के अलावा दरबार के सेवादारी अमर गिदवानी, राम खूबचंदानी, हरी इसरानी. पवन प्रीतवानी, दिलीप इसरानी सहित 25 सेवादारी सेवा दे रहे हैं।
आठ से 10 दिसंबर तक बरसी महोत्सवगोदड़ीवाला धाम के सेवादारी अमर गिदवानी, पवन प्रीतवानी ने बताया कि संत बाबा गेलाराम का तीन दिवसीय बरसी महोत्सव 8 से 10 दिसंबर तक मनाया जाएगा। तीनों दिन निश्शुल्क स्वास्थ्य शिविर में थैलेसीमिया जांच एवं अन्य बीमारियों का परीक्षण किया जाएगा।
35 वर्ष पूर्व धाम की स्थापना
शहर के ह्दय स्थल जयस्तंभ चौक से लगभग सात किलोमीटर दूर धमतरी रोड पर देवपुरी गांव में 35 वर्ष पूर्व संत गेलाराम बाबा ने गोदड़ीवाला धाम की स्थापना की थी। पहले केवल संत हरदासराम बाबा का बरसी महोत्सव मनाया जाता था।
संत गेलाराम के ब्रह्मलीन होने के पश्चात उनका भी बरसी महोत्सव मनाने के साथ विविध संस्कारों का आयोजन होने लगा है। निश्शुल्क दवाखाना में प्रतिदिन 200 से अधिक मरीजों का इलाज होता है।