Syphilis Causes Symptoms And Treatment In Hindi: सिफलिस एक तरह का सेक्सुअल ट्रांसमिटेड इंफेक्शन है। हालांकि, दवाईयों की मदद से इससे रिकवरी संभव है। लेकिन, अगर किसी वजह व्यक्ति इस संक्रमण के प्रति सजग नहीं होता है और अपना प्रॉपर ट्रीटमेंट नहीं करवाता है, तो इसकी वजह से कई गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। यहां तक कि सिफलिस की वजह से स्थाई रूप से हार्ट, ब्रेन, हड्डियां और आंखें खराब हो सकती हैं। सिफलिस जैसे सेक्सुअल ट्रांसमिटेड संक्रमण से बचने का एक ही तरीका है, हमेशा सुरक्षित यौन संबंध स्थापित करें। इसके लिए, सेक्सुअल एक्टिविटी के दौरान कंडोम पहनें। हर बार नया कंडोम इस्तेमाल करें। यही नहीं, अपने पार्टनर की सेक्सुअल हेल्थ के बारे में सभी जानकारी रखें ताकि यह बीमारी आपको न हो जाए। बहरहाल, इस बीमारी से बचे रहने के लिए बहुत जरूरी है कि आपको इस बीमारी से जुड़ी तमाम बारीक जानकारियां पता हों। इस लेख में आपको बता रहे हैं सिफलिस संक्रमण के लक्षण, कारण और इलाज। इस बारे में हमने नवी मुंबई स्थित मेडिकवर हॉस्पिटल के यूरोलॉजिस्ट और एंड्रोलॉजिस्ट डॉ. विजय दहिफले से विस्तार से बात की।
सिफलिस के लक्षण- Symptoms Of Syphilis In Hindi
सिफलिस के शुरुआती लक्षण (Syphilis Ke Lakshan) बहुत छोटे छाले जैसे होते हैं, जिसमें दर्द का अहसास भी नहीं होता है। आमतौर पर इसके शुरुआती लक्षण जेनिटल एरिया के पास यानी पेनिस, वजाइना, एनस, रेक्टम और होंठों पर नजर आते हैं। चूंकि, सिफलिस की शुरुआती दिनों में जो लक्षण उभरते हैं, उसमें ज्यादा तकलीफ नहीं होती है। यही कारण है कि लोगों का ध्यान उस ओर कम ही जाता है। जबकि, ऐसा नहीं किया जाना चाहिए। सिफलिस के पहले लक्षण दिखते ही, उसके प्रति सतर्क हो जाना चाहिए। यहां हम आपको बता सिफलिस अन्य लक्षणों में रैशेज, छाले, बुखार, लिम्फ नोड में सूजन, गले में खराश, सिरदर्द, पैच में बालों का झड़ना, अचानक वजन का कम हो जाना, मांसपेशियों में दर्द रहना और अक्सर थकान महसूस होना।
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सिफलिस के अलग-अगल स्टेज- Stages Of Syphilis In Hindi
सिफलिस चार स्टेजेस में विभाजित है। सिफलिस को बेहतर तरीके से समझने के लिए जरूरी है कि आप इसके हर स्टेज को समझें-
अर्ली या प्राइमरी स्टेज
सिफलिस के अर्ली स्टेज में व्यक्ति को छाले या फोड़े होने लगते हैं, जो कि 3 से 6 हफ्ते में अपने आप ठीक हो जाते हैं। जैसा कि पहले ही जिक्र किया है कि इन फोड़ों में दर्द नहीं होता है, इसलिए लोगों का अमूमन इस ओर ध्यान नहीं जाता है। फोड़े ठीक होने के बावजूद, मरीज को यह समझना चाहिए कि यह बीमारी अब तक अंदर मौजूद है। इसलिए, इसकी जांच की जानी चाहिए।
सेकेंडरी स्टेज
सिफलिस के इस स्टेज में घाव या कहें फोड़े सीने, पेट, पीठ और पेल्विस एरिया में नजर आने लगते हैं। जैसे-जैसे समय गुजरता है, यह दाने हथेलियों और पैरों में भी उभरने लगते हैं। आमतौर पर सिफलिस के दाने या फोड़े होने पर उनमें खुजली नहीं होती हैं। हां, इसमें रेडनेस नजर आती है।
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लेटेंट सिफलिस (Latent syphilis)
इस स्टेज का मतलब है कि सिफलिस अब एक स्टेज आगे बढ़ चुका है। इस स्टेज में मरीज को किसी तरह के लक्षण नहीं दिखेंगे। हैरानी की बात ये है कि इस स्तर में मरीज रहते हुए भी सालों तक कोई लक्षण नजर नहीं आ सकते हैं। इस स्तर में मरीज को लग सकता है कि उसे सिफलिस नहीं है। जबकि सिफलिस के बैक्टीरिया अब तक बॉडी के अंदर मौजूद है।
लेट सिफलिस (Tertiary or late syphilis)
अगर मरीज सिफलिस के आखिरी स्टेज तक पहुंच गया है, तो समझ जाइए कि कंडीशन बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी है। इस स्टेज में सिफलिस की वजह से मरीज का हार्ट, ब्रेन, ब्लड वेसल्स, लिवर और हड्डियों तथा जोड़ों की तकलीफ बढ़ने लगती है। अगर अब तक मरीज को सही ट्रीटमेंट न मिले, तो व्यक्ति पैरालाइज हो सकता है, उसके नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकते हैं।
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सिफलिस का कारण- Causes Of Syphilis In Hindi
जैसा कि आपको पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि सिफलिस सेक्सुअल ट्रांसमिटड इंफेक्शन है। इसके होने के पीछे मुख्य कारण (Syphilis Ke Karan) है, असुरक्षित यौन संबंध बनाना, एक से अधिक पार्टनर के साथ यौन संबंध में बने रहना, ऐसे पार्टनर के साथ यौन संबंध स्थापित करना, जिसे एचआईवी या एड्स है। इसके अलावा, अगर किसी को सेक्सुअल ट्रांसमिटड डिजीज जैसे गोनोरिया, क्लैमाइडिया और हर्पीस है। ऐसे व्यक्ति के साथ सेक्सुअल एक्टिविटी में इंवॉल्व होना।
सिफलिस का इलाज- Treatment Of Syphilis In Hindi
विशेषज्ञों की मानें, तो अगर सिफलिस के बारे में शुरुआती स्तर में ही पता चल जाए, तो इस बीमारी से बचा जा सकता है। लेकिन, जितनी देर होती है, बीमारी से रिकवरी के चांसेज उतने कम हो जाते हैं। क्योंकि तब तक यह बीमारी आपके हार्ट और ब्रेन को काफी हद तक डैमेज कर चुकी होती है। चूंकि सिफलिस बैक्टीरियल इंफेक्शन की वजह से फैलती है, इसलिए इसका ट्रीटमेंट एंटीबयोटिक की मदद से किया जाता है। सिफलिस का ट्रीटमेंट करवाते हुए मरीज को डॉक्टर की सभी सजेशंस को फॉलो करना चाहिए और समय पर सभी मेडिसिन लेनी चाहिए। इसके अलावा, ऐसे व्यक्ति के साथ अंतरंग संबंध नहीं रखने चाहिए, जिसे एसटीडी है।
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