विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसियाँ (SAAs)


विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसियाँ (SAAs)

स्रोत: द हिंदू

हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय (Supreme Court – SC) ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को चेतावनी दी है कि यदि उन्होंने प्रत्येक ज़िले में विशिष्ट दत्तक ग्रहण एजेंसियाँ ​​(Specialised Adoption Agencies – SAAs) स्थापित नहीं कीं तो उनके खिलाफ अवमानना ​​की कार्यवाही की जाएगी।

  • भारत के 760 ज़िलों में से 370 ज़िलों में SAA क्रियाशील नहीं हैं, जबकि न्यायालय ने देश भर में SAA की स्थापना अनिवार्य करने का आदेश दिया है।
  • इस अंतर के कारण दत्तक ग्रहण पंजीकरण (वर्ष 2023-2024 में 13,467) और वास्तविक दत्तक ग्रहण (लगभग 4,000) के बीच काफी असमानता पैदा हो गई है, जिसका मुख्य कारण अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा है।
  • केवल गोवा, कर्नाटक, केरल, राजस्थान और चंडीगढ़ ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश का पूरी तरह से पालन किया है।
  • उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्यों को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जहाँ 75 में से 61 ज़िलों में SAA नहीं है।
  • भारत में दत्तक ग्रहण हिंदू दत्तक ग्रहण और भरण-पोषण अधिनियम (HAMA), 1956 (हिंदुओं, जैन, सिख और बौद्धों के लिये) और किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल और संरक्षण) अधिनियम, 2015 द्वारा शासित है।
  • केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (Central Adoption Resource Authority- CARA) भारत में अनाथ और परित्यक्त बच्चों के दत्तक ग्रहण को विनियमित करने वाली नोडल संस्था है।
    • इसकी स्थापना वर्ष 1990 में महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के तहत की गई थी।
    • यह बच्चों के संरक्षण और सहयोग पर हेग कन्वेंशन, 1993 का हस्ताक्षरकर्त्ता है।
    • यह राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी (SARA), SAA, प्राधिकृत विदेशी दत्तक ग्रहण एजेंसी (AFAA), बाल कल्याण समितियों (CWC) और ज़िला बाल संरक्षण इकाइयों (DPU) को नियंत्रित करता है।

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