LUNARSABER Project Scientists developing streetlights for the moon will be higher than Qutub Minar


Streetlight on Moon : दुनियाभर की स्‍पेस एजेंस‍ियां चंद्रमा को एक्‍सप्‍लोर कर रही हैं। अमेरिका से लेकर चीन, रूस और भारत वहां अपने मिशन उतार चुके हैं। अब तैयारी चांद पर इंसान को भेजने और वहां स्‍थायी सेटअप तैयार करने की है। वैज्ञानिक चांद पर इंसानी बस्तियां, ट्रेन सिस्‍टम, न्‍यूक्लियर रिएक्‍टर आदि बनाना चाहते हैं। हालांकि ऐसा कुछ भी करने से पहले उन्‍हें जरूरत होगी लाइट की। दरअसल चांद पर पृथ्‍वी की तरह 24 घंटों के दिन-रात नहीं होते। वहां का एक दिन पृथ्वी के दो हफ्तों के बराबर होता है। जब चांद पर रात होती है, वह भी लंबी और जमा देने वाली होती है। 

अगर इंसान लंबे वक्‍त के लिए चांद पर रुकने जाता है, तो उसे रोशनी के इंतजाम करने होंगे। लाइव साइंस की रिपोर्ट के अनुसार, स्‍पेस टेक्‍नॉलजी कंपनी हनीबी रोबोटिक्स (Honeybee Robotics) जोकि जेफ बेजोस की ब्लू ओरिजिन का पार्ट है, उसने चांद की गहरी रातों से बचने का सॉल्‍यूशन निकाला है। कंपनी लूनरस्‍ट्रीटलैंप की बात कर रही है, जोकि सोलर बैटरीज के रूप में भी काम करेंगे। 

इस प्रोजेक्‍ट का नाम LUNARSABER है। इसकी फुल फॉर्म है- Lunar Utility Navigation with Advanced Remote Sensing and Autonomous Beaming for Energy Redistribution। प्रोजेक्‍ट को अमेरिकी सरकार की एक एजेंसी फंड कर रही है। इसका प्रमोशनल वीडियो सामने आया है, जिससे पता चलता है कि प्रोजेक्‍ट अपनी स्‍पीड पर है। 

प्रोजेक्‍ट के प्रिंसिपल इन्‍वेस्टिगेटर विष्णु सनेगेपल्ली के अनुसार, चांद पर लगने वाला हरेक लूनरसेबर लैंप धरती पर सड़क किनारे लगीं स्‍ट्रीट लाइट्स से ऊंचा होगा। वह 100 मीटर ऊंचा होगा जोकि स्‍टैच्‍यू ऑफ लिबर्टी से भी ज्‍यादा है। 

जब तक चांद पर दिन होगा, लूनरसेबर लैंप सूर्य की रोशनी को स्‍टोर करते जाएंगे। फ‍िर जब चांद पर रातें गहराएंगी तो ये जगमगाने लगेंगे और कई दिनों तक आसपास के एरिया में रोशनी देंगे। सवाल उठता है कि आखिर लूनरसेबर लैंप की ऊंचाई क्‍यों ज्‍यादा रखी गई है। इसकी वजह है चंद्रमा के क्रेटर यानी गड्ढे। हमारी पृथ्‍वी की तरह वहां का इलाका सपाट नहीं है। चांद पर बहुत छोटे-बड़े गड्ढे हैं। लूनरसेबर लैंप की हाइट ज्‍यादा होने से उसकी रोशनी ज्‍यादा एरिया को कवर करेगी और उन गड्ढों पर भी वैज्ञानिक नजर रख पाएंगे। 

एक और सवाल उठता है कि इतने बड़े स्‍ट्रक्‍चर चांद पर लेकर कैसे जाएगा इंसान। इसकी भी तैयारी वैज्ञानिकों ने की है। हनीबी इंजीनियर्स ने एक ऑटोमेटिक सिस्‍टम तैयार किया है। इससे हरेक लूनरबेसर टावर चांद पर खुद ऊपर उठ सकता है। धरती से स्‍पेसक्राफ्ट में सिर्फ एक बेस ले जाया जाएगा। पूरा टावर उसके अंदर रहेगा जो चांद पर पहुंचने के बाद खुद खड़ा हो जाएगा। 

ये प्रोजेक्‍ट अभी शुरुआती स्‍टेज में है। अगर LUNARSABER जैसे प्रोजेक्‍ट कामयाब होते हैं, तो चांद पर रातें रोशन हो सकेंगी।
 



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