Khushkhabri with IVF: क्या बच्चेदानी में गांठ होने पर IVF से प्रेग्नेंसी संभव है? डॉक्टर से जानें इसका सक्सेस | is it possible to get pregnant by ivf with ovarian fibroids doctor tells in hindi


Khushkhabri with IVF: लोगों की लाइफस्टाइल में हुए बदलाव असर उनकी सेहत पर भी पड़ता है। हालांकि यह बदलाव के प्रभाव लंबे समय के बाद दिखाई दे, लेकिन कई बार यह गंभीर समस्याओं की एक बड़ी वजह बन सकते हैं। आपने खुद इस बात को नोटिस किया होगा कि कुछ सालों से संतान प्राप्ति के लिए लोगों के कई तरह की समस्याओं के गुजरना पड़ता है। शादी के बाद संतान प्राप्ति के लिए पुरुष और महिलाओं की प्रजनन क्षमता का सही होना बेहद आवश्यक है। लेकिन, महिलाओं से जुड़ी कुछ समस्याएं जैसे पीसीओएस, पीसीओडी, एंडोमेट्रियोसिस और ओवरियरन फाइब्रॉइड्स गर्भाधारण के लिए पेरशानी का कारम बन सकते हैं। प्रेग्नेंसी में आने वाली समस्याओं में डॉक्टर दंपत्ति को आईवीएफ ट्रीटमेंट को चुनने का विकल्प दे सकते हैं। इस लेख में जानते हैं कि क्या ओवेरियन फाइब्रॉइड्स आईवीएफ की सफलता दर को प्रभावित कर सकता है।

देश में कई निःसंतान दंपत्तियों की संतान प्राप्ति की इच्छा को पूरा करने में आईवीएफ का एक बड़ा रोल अदा करती है। लेकिन, आज इससे जुड़ी कई सही जानकारियों का अभाव है। ऐसे में लोगों की जरूरत को समझते हुए ऑनलीमायहेल्थ ने Khushkhabri with IVF सीरीज को शुरु किया है। इस सीरीज में आईवीएफ के सभी छोटे-बड़े पहलुओं पर चर्चा की जाती है। इस सीरीज में आज की कड़ी में हम आपको ओवरियन फाइब्रॉइड्स का आईवीएफ ट्रीटमेंट की सफलता दर पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे में बताया गया है। इस समस्या को समझने के लिए हमने यशोदा फर्टिलिटी एंड आईवीएफ सेंटर कड़कड़डूमा की इन्फ़र्टिलिटी और आईवीएफ़ कंसलटेंट डॉ. स्नेहा मिश्रा से बात कि उन्होंने इस विषय को बेहद ही सरल ढंग से आगे समझाया है। तो इस लेख ओवरी में फाइब्रॉइड्स के आईवीएफ की सफलता दर पर पड़ने वाले प्रभाव, उनके प्रकार, उनके कारण होने वाले जोखिम, और उन महिलाओं में इसका मैनेज कैसे किया जा सकता है, इस पर विस्तार से चर्चा की गई है।

ओवरी में फाइब्रॉइड्स क्या होते हैं? – What Is Ovarian Fibroids In Hindi

ओवरी में फाइब्रॉइड्स, जिन्हें अंडाशयी लेयोमायोमा (Ovarian Leiomyomas) भी कहा जाता है, अंडाशय में विकसित होने वाले सौम्य (बेनाइन) ट्यूमर होते हैं। ये फाइब्रॉइड्स मांसपेशियों और फाइब्रोस टिश्यू से बने होते हैं और विभिन्न आकारों के हो सकते हैं। ये छोटे मटर के आकार से लेकर बड़े अंगूर के साइज के हो सकते हैं। ओवरी के साथ-साथ, ये महिला के आस-पास के अन्य प्रजनन अंगों को भी प्रभावित कर सकते हैं।

फाइब्रॉइड्स कितने प्रकार के होते हैं? 

  • इंट्राम्यूरल फाइब्रॉइड्स: ये फाइब्रॉइड्स अंडाशय (ovary) या गर्भाशय (Utrine) की दीवार के भीतर विकसित होते हैं।
  • सबम्यूकोसल फाइब्रॉइड्स: ये गर्भाशय की भीतरी परत के ठीक नीचे विकसित होते हैं और गर्भाशय में भी प्रवेश कर सकते हैं।
  • सबसेरोसल फाइब्रॉइड्स: ये गर्भाशय या ओवरी की बाहरी सतह पर विकसित होते हैं और आसपास के टिश्यू में फैल सकते हैं।

इन फाइब्रॉइड्स का आकार, संख्या, और स्थान यह निर्धारित करते हैं कि वे आईवीएफ की सफलता दर को किस हद तक प्रभावित करेंगे।

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ओवरी में फाइब्रॉइड्स का प्रजनन क्षमता पर क्या प्रभाव पड़ता है? – Impact of Ovarian Fibroids on Fertility

ओवरी में फाइब्रॉइड्स का महिलाओं की नेचुरल प्रेग्नेंसी की क्षमता और आईवीएफ की सक्सेस रेट पर गहरा असर पड़ सकता है। कुछ प्रमुख प्रभाव को आगे बताया गया है। 

एग्स के निकलने में बाधा

ओवरी के पास या उसके ऊपर स्थित फाइब्रॉइड्स एग्स के सामान्य रूप से बाहर निकलने में रुकावट पैदा कर सकते हैं। इससे आईवीएफ प्रक्रिया के दौरान एग्स की संख्या कम हो सकती है, जिससे गर्भधारण की संभावना भी कम हो सकती है।

हार्मोनल असंतुलन

फाइब्रॉइड्स के कारण हार्मोनल असंतुलन हो सकता है, जो प्रजनन प्रणाली के कार्य में बाधा उत्पन्न करता है। हार्मोन जैसे एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन, जो गर्भधारण और मासिक धर्म को नियंत्रित करते हैं, फाइब्रॉइड्स के कारण प्रभावित हो सकते हैं। इससे एग्स की क्वालिटी में गिरावट आ सकती  है। साथ ही, एंब्रियो को गर्भाशय में ट्रांसफर करने में भी परेशानी हो सकती है। 

ब्लड सर्कुलेशन में रुकावट

फाइब्रॉइड्स ओवरी और गर्भाशय तक पहुंचने वाले ब्लड सर्कुलेशन को बाधित कर सकते हैं। ब्लड सर्कुलेशन में कमी से एग्स की गुणवत्ता पर असर पड़ सकता है, जिससे आईवीएफ की सफलता दर कम हो सकती है। 

प्रजनन अंगों में सूजन

फाइब्रॉइड्स के कारण प्रजनन अंगों में सूजन और प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाएं हो सकती है, जो गर्भाशय में भ्रूण के इम्प्लांटेशन के लिए खराब हो सकता है। इससे गर्भधारण में रुकावट आ सकती है और आईवीएफ प्रक्रिया असफल हो सकती है।

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ओवरी फाइब्रॉइड्स से आईवीएफ सफलता दर किन कारकों से प्रभावित हो सकती है? – Ovarian Fibroids and IVF Success Rates

आईवीएफ की सफलता दर कई कारकों पर निर्भर करती है, जिनमें महिला की उम्र, एग्स की गुणवत्ता, और उसके प्रजनन स्वास्थ्य की स्थिति शामिल है। ओवरी में मौजूद फाइब्रॉइड्स आईवीएफ की सफलता दर को कई तरीकों से प्रभावित कर सकते हैं। इन्हें आगे बताया गया है। 

ओवरी रिजर्व को कम करना 

जिन महिलाओं के ओवरी में फाइब्रॉइड्स होते हैं, उनमें एग्स रिजर्व (अंडाणुओं की मात्रा) कम हो सकते हैं। इससे आईवीएफ के दौरान एग्स की संख्या और क्वालिटी पर असर पड़ता है, जो सफल गर्भधारण की संभावना को कम कर सकता है।

फाइब्रॉइड्स का साइज और स्थान 

फाइब्रॉइड्स का आकार और स्थान आईवीएफ की सफलता दर पर प्रभाव डाल सकता है। यदि फाइब्रॉइड्स बड़े हैं या ओवरी के पास स्थित हैं, तो ये एग्स के उत्पादन और उनके इकट्ठा होने में बाधा डाल सकते हैं। इसी प्रकार, यदि ये गर्भाशय की बाहरी परत के पास हैं, तो भ्रूण के सही ढंग से गर्भाशय में इम्प्लांटेशन की संभावना को कम कर सकते हैं।

गर्भाशय पर प्रभाव

ओवरी में फाइब्रॉइड्स होने के बावजूद, ये गर्भाशय को भी प्रभावित कर सकते हैं। गर्भाशय में फाइब्रॉइड्स होने से गर्भाशय की बनावट में बदलाव आ सकता है, जिससे भ्रूण का इम्प्लांटेशन असफल हो सकता है।

गर्भपात का जोखिम 

जिन महिलाओं में फाइब्रॉइड्स होते हैं, उनमें गर्भपात का जोखिम अधिक हो सकता है। फाइब्रॉइड्स के कारण गर्भाशय का सही आकार न हो पाना या भ्रूण का विकास सही ढंग से न हो पाने की वजह से गर्भपात की संभावनाएं बढ़ा सकती है।

फाइब्रॉइड्स को हटाने से सफलता में बढ़ोतरी होना 

फाइब्रॉइड्स को हटाने से, विशेषकर जब वे बड़े होते हैं या ओवरी के पास स्थित होते हैं, आईवीएफ की सफलता दर में वृद्धि हो सकती है। सर्जिकल प्रक्रिया जैसे मायोमेक्टॉमी (फाइब्रॉइड्स को हटाना) से गर्भधारण की संभावनाओं को बढ़ाया जा सकता है।

आईवीएफ उपचार में ओवरी फाइब्रॉइड्स को कैसे मैनेज करें? – Managing Ovarian Fibroids in IVF Treatment In Hindi

जो महिलाएं ओवरी फाइब्रॉइड्स के साथ आईवीएफ की योजना बना रही हैं, उनके लिए कई तरह की जांच और उपचार योजना बनाना आवश्यक है। एक प्रजनन विशेषज्ञ आमतौर पर फाइब्रॉइड्स के आकार, स्थान, और संख्या के समझने के लिए अल्ट्रासाउंड या एमआरआई जैसे इमेजिंग टेस्ट्स के माध्यम की सलाह दे सकते हैं।

नियमित रूप से जांच (Monitoring) 

यदि फाइब्रॉइड्स छोटे हैं और रिप्रोडक्टिव फंक्शन में समस्या नहीं कर रहे हैं, तो डॉक्टर फाइब्रॉइड्स की लगातार जांच करने की सलाह दे सकते हैं। नियमित इमेजिंग द्वारा फाइब्रॉइड्स के आकार और उनकी प्रगति का ट्रैक रखा जा सकता है।

सर्जरी के द्वारा फाइब्रॉइड को हटाना (Myomectomy) 

यदि फाइब्रॉइड्स बड़े होते हैं और प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर रहे होते हैं, तो मायोमेक्टॉमी सर्जरी की सलाह दी जाती है। इस प्रक्रिया के दौरान फाइब्रॉइड्स को हटाया जाता है, जिससे ओवरी और गर्भाशय की बनावट सामान्य हो जाती है, और गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

कुछ दवाएं 

कुछ मामलों में हार्मोनल दवाओं का उपयोग फाइब्रॉइड्स को अस्थायी रूप से सिकुड़ने के लिए किया जा सकता है। गोनाडोट्रोपिन-रिलीजिंग हार्मोन (GnRH) एगोनिस्ट्स जैसे दवाओं का उपयोग फाइब्रॉइड्स के आकार को कम करने के लिए किया जाता है, जिससे आईवीएफ की सफलता दर बढ़ सकती है।

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यूटराइन फाइब्रॉइड एम्बोलाइजेशन 

यह एक बिना सर्जिकल विकल्प है जिसमें फाइब्रॉइड्स तक रक्त की आपूर्ति को कम किया जाता है, जिससे वे सिकुड़ने लगते हैं। हालांकि, यह प्रक्रिया आईवीएफ की सफलता पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है, इसलिए इसका उपयोग केवल चुनिंदा मामलों में किया जाता है।

ओवरी में फाइब्रॉइड्स आईवीएफ की सफलता दर को प्रभावित कर सकते हैं, खासकर अगर वे बड़े हैं या एग्स उत्पादन और भ्रूण के प्रत्यारोपण में बाधा डालते हैं। हालांकि, सही समय पर जांच, उपचार और मैनेज करने के तरीके से फाइब्रॉइड्स के प्रभाव को कम किया जा सकता है, और आईवीएफ की सफलता दर को बढ़ाया जा सकता है। हमारी Khushkhabri with IVF सीरीज की यह कड़ी आपको जानकारी प्रदान करने वाली लगी हो तो इसे आप अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ शेयर कर सकते हैं।

 



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