Byju’s Crisis: संकटग्रस्त एडटेक स्टार्टअप Byju’s ने अपने कुछ इनवेस्टर्स के साथ विवाद में एक फैसला करने के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (NCLT) से 48 घंटे का वक्त मांगा है। यह फैसला इस बात को लेकर है कि क्या कंपनी अपनी संपत्ति को न बेचने या गिरवी न रखने या ट्रांसफर न करने को लेकर ट्राइब्यूनल द्वारा मांगी गई अंडरटेकिंग दे सकती है। Byju’s के वरिष्ठ वकील केजी राघवन ने ट्राइब्यूनल को बताया, “मुझे नहीं पता कि मेरा मुवक्किल (Byju’s) क्या करना चाहता है, लेकिन मैं उनसे निर्देश प्राप्त करूंगा कि क्या ऐसी अंडरटेकिंग दी जा सकती है।”
Byju’s के अंडरटेकिंग देने के फैसले के बारे में NCLT को सूचित किए जाने के बाद मामले की सुनवाई 9 जुलाई को होगी। वकील का यह बयान कंपनी के संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित ऋणदाताओं की ओर से दायर एक आवेदन के जवाब में था, जो चाहते हैं कि फर्म को अपने शेयरों को अलग करने से रोका जाए। ऋणदाताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील उदय होला ने अदालत को विभिन्न डॉक्युमेंट्स के माध्यम से बताया कि Byju’s के आचरण ने विश्वास को प्रेरित नहीं किया है। हालांकि, राघवन ने कहा कि ऋणदाता उन पर दबाव बनाने के लिए विभिन्न प्लेटफॉर्म्स का सहारा ले रहे हैं।
बायजू रवींद्रन शेयर बेचकर जुटा रहे पैसे
इस साल 29 मई को ऋणदाताओं ने एक आवेदन दायर किया था, जिसमें आरोप लगाया गया कि फरवरी में दिवालिया याचिका दायर करने के बाद भी Byju’s के प्रमोटर बायजू रवींद्रन ने अपने कुछ शेयरों के बदले में 350 करोड़ रुपये उधार लिए। ऋणदाताओं का कहना है कि चूंकि बायजू रवींद्रन दुबई में हैं, इसलिए अगर वह शेयरों के बदले में पैसे उधार लेना जारी रखते हैं, तो मुकदमा चलाने और पैसे वसूलने के लिए कुछ नहीं बचेगा। NCLT की बेंगलुरु बेंच में Byju’s के खिलाफ करीब 10 इनसॉल्वेंसी पिटीशन पेंडिंग हैं। ऋणदाताओं ने कहा कि ये मामले कंपनी की वित्तीय स्थिति को दर्शाते हैं।