नयी दिल्ली । उत्तर प्रदेश में यमुना एक्सप्रेसवे के पास स्थित कस्बा जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के कारण रियल एस्टेट बाजार के रूप में तेजी से उभर रहा है। पिछले पांच साल में यहां जमीन की कीमतों में 40 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। रियल एस्टेट के बारे में परामर्श देने वाली कोलियर्स की एक रिपोर्ट में यह कहा गया है। ‘बुनियादी ढांचा और वृहद परियोजनाएं… भारत में शहरी विस्तार के प्रमुख कारक’ शीर्षक से सोमवार को जारी रिपोर्ट के अनुसार, जेवर में जमीन की कीमतें 2030 तक 50 प्रतिशत तक बढ़ने की संभावना है।
इसमें कहा गया है, ‘‘जेवर यमुना-एक्सप्रेसवे के किनारे स्थित एक छोटा कस्बा है। यह रणनीतिक बुनियादी ढांचे, औद्योगिक विस्तार और विभिन्न सरकारी योजनाओं के साथ तेजी से एक प्रमुख निवेश गंतव्य के रूप में उभरा है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, जेवर रियल एस्टेट के छोटे बाजार के रूप में तेजी से उभर रहा है। इसका कारण जेवर हवाई अड्डा (नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा), मेट्रो का विस्तार और अन्य शहरी परियोजनाओं जैसे प्रमुख बुनियादी ढांचे का विकास है। इससे मजबूत आर्थिक विकास की संभावनाएं बनी है।’’
कुल 1,334 एकड़ में फैला जेवर हवाई अड्डा अभी निर्माणाधीन है और इसके 2025 तक पूरा होने की उम्मीद है। कोलियर्स इंडिया ने कहा, ‘‘जेवर हवाई अड्डा उत्तर प्रदेश में शहरीकरण को गति दे रहा है। दिल्ली, नोएडा और आगरा के शहरी केंद्रों को जोड़ने वाले नवनिर्मित यमुना एक्सप्रेसवे के साथ इसका रणनीतिक स्थान एक विशिष्ट लाभ के रूप में काम करता है।’’ रिपोर्ट के अनुसार, यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए), अंतरराष्ट्रीय फिल्म सिटी और मेट्रो लाइन विस्तार जैसी सरकारी उपायों ने एक कस्बे के रूप में जेवर के विकास को गति दी है।
इसमें कहा गया, ‘‘इन उपायों ने पिछले पांच साल में जमीन की कीमत 5,000 रुपये से बढ़कर 7,000 रुपये प्रति वर्ग फुट (2020-2024) तक पहुंच गयी है और 2030 तक इसके 10,482 रुपये प्रति वर्ग फुट होने का अनुमान है।’’ जेवर भारत के आठ उभरते छोटे रियल एस्टेट बाजारों में से एक है। अन्य सात छोटे बाजार सोनीपत (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र), खोपोली (मुंबई महानगर)गिफ्ट सिटी और साणंद (अहमदाबाद), डोड्डाबल्लापुर (बेंगलुरु) ओरगादम (चेन्नई) और मुचेरला (हैदराबाद) हैं।