मुंबई । प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव पी के मिश्रा ने कहा है कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए छोटी जोत वाले किसानों पर अधिक ध्यान देने और उनकी आय बढ़ाने की रणनीति बनाने की जरूरत है। मिश्रा ने यहां 19वां सी डी देशमुख स्मारक व्याख्यान देते हुए कहा कि पिछले दशक के दौरान केंद्र और राज्य दोनों स्तरों पर सरकारों ने छोटे और सीमांत किसानों की सहायता के लिए पहल की है। इस व्याख्यान का आयोजन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 28 नवंबर को किया था।
उन्होंने 21वीं सदी में भारत में छोटे किसानों की कृषि में बदलाव: चुनौतियां और रणनीतियां विषय पर अपना व्याख्यान देते हुए कहा कि 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने के लिए छोटे किसानों की कृषि के मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है। मिश्रा ने कहा कि फसल विविधीकरण, प्रौद्योगिकी का उपयोग, जलवायु अनुकूल फसल किस्में, कटाई के बाद नुकसान कम करने के लिए भंडारण, प्रत्यक्ष किसान-उपभोक्ता मंच, ग्रामीण औद्योगीकरण और किसान उत्पादक संगठनों की स्थापना जैसे कई उपाय किए गए हैं।
प्रधानमंत्री कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारी मिश्रा ने कहा, हमारे विश्लेषण से पता चलता है कि छोटे किसानों पर अधिक ध्यान देने और उनकी आय बढ़ाने के लिए रणनीति तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत की कृषि पर छोटी जोत वाले किसानों का वर्चस्व है और निकट भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा। 16.8 करोड़ खेत हैं, जिनमें से दो हेक्टेयर से कम आकार वाली छोटी जोत का योगदान 88 प्रतिशत है।
मिश्रा ने कहा कि एशिया में छोटे जोतों की सघनता बहुत अधिक बनी हुई है। उन्होंने कहा, अधिक समावेशी, न्यायसंगत और सतत आर्थिक विकास के लिए, कृषि परिवारों की आय में अधिक हिस्सेदारी होना आवश्यक है। इस व्याख्यान का आयोजन पूर्व वित्त मंत्री सी डी देशमुख की स्मृति में किया गया था। देशमुख ने भारत की वित्तीय प्रणाली, शासन संरचना और संस्थागत विकास को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।