ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन – Drishti IAS


ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में संशोधित सुअर किडनी प्रत्यारोपण के पहले प्राप्तकर्त्ता का अभूतपूर्व ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन सर्जरी के बाद निधन हो गया। उनकी मृत्यु प्रत्यारोपण से संबंधित नहीं थी।

ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन: 

  • परिचय: 
    • अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food and Drug Administration- FDA) के अनुसार, ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन के तहत जीवित कोशिकाओं, ऊतकों या गैर-मानवीय पशु स्रोत से प्राप्त अंगों (या ऐसे ऊतक या अंग जिनका जीवित गैरमानवीय पशु कोशिकाओं, ऊतकों या अंगों से पूर्व संपर्क रहा हो) का मानव शरीर में प्रत्यारोपण करना शामिल है।

  • उद्देश्य: इसका प्राथमिक उद्देश्य मानव के लिये अंगदान करने वालों की संख्या में कमी को दूर करना है।
    • उदाहरण के लिये, संयुक्त राज्य अमेरिका में लगभग 90,000 लोगों को किडनी प्रत्यारोपण की आवश्यकता है और प्रतिवर्ष 3,000 से अधिक लोगों की इसके कारण मृत्यु हो जाती है।

  • ऐतिहासिक संदर्भ: यह प्रणाली वर्ष 1980 के दशक से चली आ रही है, जिसमें सर्वप्रथम हृदय को जानवरों से मनुष्यों में प्रत्यारोपित करने के प्रयास किये गए थे।
  • प्रक्रिया: ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन में पशु अंग का चयन करके (जैसे सुअर की किडनी), मानव शरीर हेतु इसे अनुकूलित करने के लिये आनुवंशिक रूप से संसोधित किया जाता है।
    • इस प्रक्रिया में सुअर के कुछ जीनों को पृथक करने के लिये (जिनसे ऐसी एंटीबॉडी के साथ शर्करा का उत्पादन होता है जिसके प्रति मानव की प्रतिरक्षा प्रणाली प्रतिक्रया करती है) CRISPR-Cas9 जैसी जीन-संपादन प्रौद्योगिकियों का उपयोग होता है तथा मानव शरीर के अनुसार, अंग की अनुकूलता में सुधार हेतु इसमें मानव जीन को भी जोड़ा जाता है।

  • ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन में जटिलताएँ: 
    • अंग अस्वीकृति: मानव शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को सुअर के प्रत्यारोपित अंगों के प्रतिकूल प्रक्रिया करने से रोकना, एक महत्त्वपूर्ण चुनौती है। सुअर की थाइमस ग्रंथि को गुर्दे से जोड़ने जैसी तकनीकों का प्रयोग प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया की इस प्रतिकूल प्रक्रिया को रोकने में सहायक है।
    • संक्रमण का खतरा: FDA द्वारा मान्यता प्राप्त और अज्ञात दोनों संक्रामक एजेंटों से संभावित संक्रमणों के बारे में चिंताओं पर प्रकाश डाला जाता है।
    • रेट्रोवायरसः रेट्रोवायरस द्वारा क्रॉस-स्पीशीज़ संक्रमण का खतरा होता है, जो अव्यक्त रह सकता है तथा संक्रमण के वर्षों बाद बीमारियों का कारण बन सकता है। 

  • भारत में ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन: वर्ष 1997 में असम में एक सर्जन ने एक सुअर के हृदय को एक मानव रोगी में प्रत्यारोपित करके ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन किया।
    • दुर्भाग्य से, एक सप्ताह बाद रोगी की मृत्यु हो गई, जिसके परिणामस्वरूप कानूनी परिणाम सामने आए।

CRISPR-Cas9:

  • CRISPR-Cas9 एक अभूतपूर्व तकनीक है जो आनुवंशिकीविदों तथा चिकित्सा शोधकर्त्ताओं को जीनोम के विशिष्ट भागों को संशोधित करने का अधिकार देती है। यह DNA अनुक्रम के भीतर खंडों को सटीक रूप से हटाने, जोड़ने या संशोधित करने के माध्यम से प्राप्त की जाती है।
  • CRISPR-Cas9 प्रणाली में दो महत्त्वपूर्ण घटक शामिल हैं जो DNA में परिवर्तन या उत्परिवर्तन लाते हैं। ये घटक हैं:
    • Cas9 नामक एक एंज़ाइम, जो सटीक ‘आण्विक कैंची’ (Molecular Scissors) के एक युग्म की तरह कार्य करता है।
    • RNA का एक खंड, जिसे गाइड RNA (gRNA) कहा जाता है। इसमें एक छोटा, पूर्व-डिज़ाइन किया गया RNA अनुक्रम शामिल है।
      • यह गाइड मैकेनिज़्म Cas9 एंज़ाइम को जीनोम में सटीक स्थान पर निर्देशित करता है जहाँ उसे पृथक करना चाहिये। 

  • यह कोशिका की DNA मरम्मत मशीनरी को ट्रिगर करता है, जिसका उपयोग वैज्ञानिक कोशिका के जीनोम में परिवर्तन लाने के लिये कर सकते हैं।
  • इमैनुएल चार्पेंटियर और जेनिफर ए. डौडना को CRISPR/Cas9 नामक जीन प्रौद्योगिकी से संबंधित एक शक्तिशाली उपकरण खोजने के लिये रसायन विज्ञान में वर्ष 2020 का नोबेल पुरस्कार मिला।

ज़ेनोट्रांसप्लांटेशन के लिये अक्सर सूअरों का उपयोग क्यों किया जाता है?

  • ऐतिहासिक उपयोग: सुअर के हृदय वाल्व का उपयोग मानव सर्जरी में 50 वर्षों से अधिक समय से किया जा रहा है।
  • मनुष्यों से समानता: सूअर और मनुष्य शरीर रचना और शरीर विज्ञान की दृष्टि से समान हैं। व्यापक स्तर पर पालन के कारण ये एक किफायती और सुलभ स्रोत हैं।
  • आकार समानता: सुअर की विविध नस्लें अंग आकारों की एक शृंखला प्रदान करती हैं, जिन्हें मानव प्राप्तकर्त्ताओं की विशिष्ट आवश्यकताओं के अनुरूप तैयार किया जा सकता है।

Xenotransplantation




  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

प्रश्न.1  भारत में कृषि के संदर्भ में प्रायः समाचारों में आने वाले “जीनोम अनुक्रमण (जीनोम सिक्वेंसिंग)” की तकनीक का आसन्न भविष्य में किस प्रकार उपयोग किया जा सकता है? (2017) 

  1. विभिन्न फसली पौधों में रोग प्रतिरोध और सूखा सहिष्णुता के लिये आनुवंशिक सूचकों का अभिज्ञान करने के लिये जीनोम अनुक्रमण का उपयोग किया जा सकता है।
  2. यह तकनीक, फसली पौधों की नई किस्मों को विकसित करने में लगने वाले आवश्यक समय को घटाने में मदद करती है।
  3.  इसका प्रयोग फसलों में पोषी रोगाणु-संबंधों को समझने के लिये किया जा सकता है। 

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग कर सही उत्तर चुनिये:   

(a) केवल 1  
(b) केवल 2 और 3  
(c) केवल 1 और 3  
(d) 1, 2 और 3 

उत्तर: (d)


प्रश्न.2  निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (2022)

  1. DNA बारकोडिंग किसका उपसाधन हो सकता है?
  2. किसी पादप या प्राणी की आयु का आकलन करने के लिये,
  3.  समान दिखने वाली प्रजातियों के बीच भिन्नता जानने के लिये,
  4.  प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों में अवांछित प्राणी या पादप सामग्री को पहचानने के लिये, 

उपर्युक्त कथनों में कौन-सा/से सही है/हैं?

(a) केवल 1
(b)  केवल 3
(c) 1 और 2
(d)  2 और 3

उत्तर: (d)

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