सूर्य ग्रहण के समय जो फल दान से प्राप्त होता है। वहीं, वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से मिलता है। इस साल वरुथिनी एकादशी 4 मई (शनिवार) को है।
By Kushagra Valuskar
Publish Date: Sun, 14 Apr 2024 06:30 PM (IST)
Updated Date: Sun, 14 Apr 2024 06:30 PM (IST)
![Varuthini Ekadashi 2024: कब है वरुथिनी एकादशी, नोट करें तिथि, पूजा विधि व महत्व](https://img.naidunia.com/naidunia/ndnimg/14042024/14_04_2024-2024varuthini_ekadashi.jpg)
धर्म डेस्क, इंदौर। Varuthini Ekadashi 2024: हिंदू धर्म में वरुथिनी एकादशी का व्रत सुख और सौभाग्य का प्रतीक माना गया है। मान्यता है कि वरुथिनी एकादशी व्रत के प्रभाव से समस्त पाप दूर होते हैं और शक्ति मिलती है। इस दिन भक्तिभाव से भगवान मधुसूदन की पूजा की जाती है। सूर्य ग्रहण के समय जो फल दान से प्राप्त होता है। वहीं, वरुथिनी एकादशी का व्रत रखने से मिलता है। इस व्रत के प्रभाव से जातक लोक और परलोक में सुख भोगता है।
कह है वरुथिनी एकादशी?
पंचांग के अनुसार, इस साल वरुथिनी एकादशी 4 मई (शनिवार) को है।
वरुथिनी एकादशी व्रत पूजा विधि
वरुथिनी एकादशी व्रत करने वाले साधक को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। दूसरों की बुराई और गलत संगत से बचना चाहिए। व्रत से एक दिन पहले एक ही बार भोजन करना चाहिए। व्रत वाले दिन स्नान के बाद संकल्प लेकर भगवान की पूजा करें। एकादशी व्रत की अवधि में तेल से बना खाना, शहद, चना और मसूर की दाल का सेवन नहीं करना चाहिए। व्रती सिर्फ एक बार अन्न ग्रहण करना चाहिए। रात में भगवान का स्मरण करते हुए जागरण करें। अगले दिन व्रत का पारण करें।
वरुथिनी एकादशी व्रत का महत्व
वरुथिनी एकादशी का व्रत पुण्यदायी माना जाता है। यह व्रत ब्राह्मण को दान देने, ध्यान करने और कन्या दान से मिलने वाले फल से कई गुना है। इस व्रत करने वाले जातक को भगवान मधुसूदन की कृपा प्राप्त होती है। दुख-दर्द दूर होते हैं और सौभाग्य में बढ़ोतरी होती है।
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