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वैशाख माह 23 मई को खत्म होगा। वैशाख माह को सनातन पंचांग का दूसरा माह होता है।
By Sandeep Chourey
Publish Date: Thu, 25 Apr 2024 10:27 AM (IST)
Updated Date: Thu, 25 Apr 2024 10:27 AM (IST)

HighLights
- वैशाख माह को माधव मास के नाम से भी जाना जाता है।
- वैशाख माह में भगवान कृष्ण के माधव रूप की पूजा की जाती है।
- इस माह में गरीबों और जरूरतमंद लोगों को दान देने का विशेष महत्व है।
धर्म डेस्क, इंदौर। 24 अप्रैल 2024 से वैशाख माह की शुरुआत हो चुकी है। सनातन धर्म में वैशाख माह का विशेष महत्व है। इस माह के कई प्रमुख तीज और त्योहार मनाए जाते हैं। इस माह अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती के साथ कई महत्वपूर्ण त्योहार मनाए जाएंगे। वैशाख माह 23 मई को खत्म होगा। वैशाख माह को सनातन पंचांग का दूसरा माह होता है।
भगवान कृष्ण की पूजा का महत्व
वैशाख माह को माधव मास के नाम से भी जाना जाता है। पंडित चंद्रशेखर मलतारे के मुताबिक, वैशाख माह में भगवान कृष्ण के माधव रूप की पूजा की जाती है। इसके अलावा इस माह में गरीबों और जरूरतमंद लोगों को दान देने का विशेष महत्व है। इस माह में स्नान-दान, मांगलिक और शुभ कार्य करना शुभ होता है। वैशाख माह में भगवान विष्णु के कृष्णावतार की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है।
वैशाख माह के प्रमुख व्रत-त्योहार
- विकट संकष्टी चतुर्थी- 27 अप्रैल 2024
- कालाष्टमी- 1 मई 2024
- वरुथिनी एकादशी- 4 मई 2024
- प्रदोष व्रत- 5 मई 2024
- मासिक शिवरात्रि- 6 मई 2024
- वैशाख अमावस्या, शनि जयंती- 8 मई 2024
- अक्षय तृतीया, परशुराम जयंती- 10 मई 2024
- विनायक चतुर्थी- 11 मई 2024 (गुरुवार)
- शंकराचार्य जयंती, रामानुजन जयंती- 12 मई 2024
- वृष संक्रांति, गंगा सप्तमी- 14 मई 2024
- बगलामुखी जयंती- 15 मई 2024
- सीता नवमी- 16 मई 2024
- मोहिनी एकादशी- 19 मई 2024
- प्रदोष व्रत- 20 मई 2024
- नरसिंह जयंती, छिन्नमस्ता जयंती- 21 मई 2024
- वैशाख पूर्णिमा व्रत, बुद्ध पूर्णिमा- 23 मई 2024
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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