Skanda Sashti 2024: भगवान कार्तिकेय को समर्पित माना जाता है यह दिन, संतान प्राप्ति के लिए जरूर करें पूजा


भगवान कार्तिकेय गणेश जी के बड़े भाई और शिव-पार्वती के पुत्र हैं। स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय का जन्म हुआ था। मान्यता है कि जो जातक इस दिन का उपवास रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें मनचाहा वरदान मिलता है। स्कंद षष्ठी व्रत की पूजा सूर्योदय के समय ही की जानी चाहिए।

By Ekta Sharma

Publish Date: Wed, 03 Jul 2024 08:38:47 AM (IST)

Updated Date: Wed, 03 Jul 2024 08:38:47 AM (IST)

स्कंद षष्ठी 2024 (प्रतीकात्मक तस्वीर)

HighLights

  1. हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी मनाई जाती है।
  2. स्कंद षष्ठी का पर्व भगवान कार्तिकेय को समर्पित माना जाता है।
  3. इस दिन कार्तिकेय.के साथ गणेश जी और नवग्रहों की पूजा करें।

धर्म डेस्क, इंदौर। Skanda Sashti 2024: हिंदू धर्म में आषाढ़ माह में पड़ने वाली स्कंद षष्ठी महत्वपूर्ण मानी जाती है। हर महीने शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय की पूजा की जाती है। भगवान कार्तिकेय को भगवान स्कंद के नाम से भी जाना जाता है। इसी कारण से इस दिन को स्कंद षष्ठी कहा जाता है। स्कंद षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। आइए, जानते हैं कि इस बार स्कंद षष्ठी किस दिन मनाई जाने वाली है और इसकी पूजा विधि क्या है।

स्कंद षष्ठी 2024 तिथि

पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की स्कंद षष्ठी तिथि 11 जुलाई को सुबह 10.03 बजे शुरू होगी और अगले दिन 12 जुलाई को दोपहर 12.32 बजे समाप्त होगी। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी 11 जुलाई 2024 को मनाई जाएगी।

ऐसा माना जाता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत पूरी श्रद्धा-भाव के साथ किया जाए, तो जल्द ही संतान की प्राप्ति होती है। इ जिन लोगों के घर में संतान नहीं हो रही है, उन्हें भगवान कार्तिकेय की पूजा अवश्य करनी चाहिए। साथ ही हर महीने स्कंद षष्ठी तिथि के दिन व्रत भी रखना चाहिए।

स्कंद षष्ठी पूजा विधि

  • स्कंद षष्ठी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें। फिर सूर्य देव की पूजा करें और अर्घ्य दें।
  • गंगाजल छिड़क कर घर को शुद्ध कर लें। घर के मंदिर को अच्छी तरह साफ करें।
  • भगवान गणेश और नवग्रहों की पूजा करें। देवी-देवताओं का भी आह्वान करें।
  • एक चौकी रखें और उस पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • सबसे ऊपर भगवान कार्तिकेय की फोटो या मूर्ति रखें।
  • व्रत का संकल्प लेने के बाद भगवान कार्तिकेय को वस्त्र, इत्र, फूल, आभूषण, दीपक, धूप और नैवेद्य चढ़ाएं।
  • पूजा के दौरान ओम स्कंद शिवाय नम: मंत्र का 3 बार जाप करें।
  • अंत में भगवान कार्तिकेय की आरती करें और उनकी तस्वीर या मूर्ति की तीन बार परिक्रमा करें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’



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