महाकाल मंदिर परिसर में चार से नौ मई तक आयोजित सोमयज्ञ के दूसरे दिन रविवार को प्रवर्ग्य विधि (देशी गाय का घी तथा बकरी व गाय के दूध से आहुति) संपन्न हुई। इसके पूर्व सोम राजा का स्वरूप धारण किए विद्वान को बैलगाड़ी में बैठाकर यज्ञशाला का भ्रमण कराया।
By Anurag Mishra
Publish Date: Sun, 05 May 2024 10:29:50 PM (IST)
Updated Date: Sun, 05 May 2024 10:30:11 PM (IST)
धर्म डेस्क, इंदौर। महाकाल मंदिर परिसर में चार से नौ मई तक आयोजित सोमयज्ञ के दूसरे दिन रविवार को प्रवर्ग्य विधि (देशी गाय का घी तथा बकरी व गाय के दूध से आहुति) संपन्न हुई। इसके पूर्व सोम राजा का स्वरूप धारण किए विद्वान को बैलगाड़ी में बैठाकर यज्ञशाला का भ्रमण कराया। सोमयज्ञ की परंपरा में सोम राजा यज्ञ की सुरक्षा का प्रतीक है। मान्यता है कि इससे आसुरी शक्तियां यज्ञ को हानि नहीं पहुंचा सकती हैं।
सोमयज्ञ सुवृष्टि, उत्तम खेती तथा प्रजा की खुशहाली के लिए किया जाने वाला काम्य अनुष्ठान है, इसलिए इसकी विधियों में नाट्य रूपांतरण भी देखने को मिलता है। यज्ञ के दूसरे दिन सोम राजा का बैलगाड़ी में बैठकर यज्ञशाला का भ्रमण करना, यजमान द्वारा व्यापारी से मोलभाव कर यज्ञ के लिए सोमवल्ली वनस्पति खरिदना आदि क्रियाएं हुईं। उसके बाद अग्नि, सोम व सूर्यदेवता का होम होने के पश्चात वास्तविक यज्ञ का प्रारंभ हुआ। इस यज्ञ में भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए सुबह व शाम घी की आहुति दी जा रही है। सुवृष्टि के लिए इंद्र देवता को प्रसन्न करने के लिए सोमरस पान करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा। तृतीय दिवस सोमवार सुबह 10 से 11 बजे तथा शाम को पांच से सात बजे तक प्रवर्ग्य विधि संपन्न की जाएगी।
यज्ञ के दर्शन करने पहुंच रहे भक्त
सोमयज्ञ के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में भक्त मंदिर पहुंच रहे हैं। बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए यज्ञशाला के आसपास परिक्रमा पथ बनाया गया है। भक्त यज्ञ की परिक्रमा कर पुण्य अर्जित कर रहे हैं।
आसमान में बादल छाए, वर्षा के आसार बने
महाकाल में सोमयज्ञ आने वाली वर्षा ऋतु में सुवृष्टि के लिए किया जा रहा है। यज्ञ के दूसरे दिन दोपहर से आसमान में काले बादल छा गए और वर्षा के आसार दिखाई देने लगे। विद्वानों का कहना था कि विशेष कामना से अगर कोई अनुष्ठान किया जाए, तो उसके शुभ लक्षण शीघ्र दिखाई देते हैं। बताया जाता है यज्ञ से होने वाले प्रभाव व मौसम में परिवर्तन की स्थितियों का आकलन करने के लिए इस यज्ञ में विज्ञानी भी शामिल होंगे।