Jupiter And Venus : शुभ-विवाह मुर्हूत पर दो मास का लगा विराम, मुंडन व उपनयन संस्कार भी नहीं होंगे
By Surendra Dubey
Publish Date: Sat, 27 Apr 2024 08:05 AM (IST)
Updated Date: Sat, 27 Apr 2024 09:14 AM (IST)
HighLights
- गृहप्रवेश, संपत्ति, वाहन खरीदी व अन्य शुभकार्य होंगे यथावत।
- अब जुलाई में हैं विवाह मुहूर्त, फिर नवंबर तक नहीं है विवाह की शुभ-घड़ी।
- 16 जुलाई देवशयनी एकादशी से फिर विराम।
Jupiter And Venus : नईदुनिया प्रतिनिधि, जबलपुर। भारतीय संस्कृति में ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति को अत्यंत महत्व दिया गया है। इनके अनुकूल व प्रतिकूल होने के आधार पर शुभ कार्य करने व न करने का निर्धारण पुरातन काल से अधुनातन काल तक बदस्तूर है। सनातन मान्यतानुसार, गुरु व शुक्र ग्रह के अस्त होने पर विवाह समारोह पर विराम लग जाता है। गुरु व शुक्रोदय तक फिर विवाह नहीं होते। इस अवधि में विवाह सहित मुंडन व उपनयन संस्कार वर्जित माने जाते हैं।
विवाह समारोह सहित मुंडन व उपनयन संस्कार वर्जित रहेंगे
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल शुक्र ग्रह 23 अप्रेल को अस्त हो गए हैं। शुक्रोदय अब 29 जून को होगा। गुरु ग्रह भी 3 मई को अस्त हो जाएंगे। इस तरह 24 अप्रेल से 29 जून तक विवाह समारोह सहित मुंडन व उपनयन संस्कार वर्जित रहेंगे। जबकि गृहप्रवेश, संपत्ति, वाहन खरीदी व अन्य शुभकार्य यथावत होते रहेंगे। जुलाई में भी महज आठ दिन ही विवाह की शुभघड़ी हैं। 16 जुलाई को देवशयनी एकादशी है। चातुर्मास के चलते 16 जुलाई से 12 नवंबर तक भी विवाह नहीं होंगे। इस तरह अब आने वाले साढ़े छह माह में महज जुलाई में ही आठ दिन विवाह के लिए शुभमुहूर्त मिलेंगे।
गुरु व शुक्र का रखा जाता है ध्यान
ज्योतिषाचार्यो के अनुसार विवाह के लग्न मुहूर्त देखते समय गुरु और शुक्र ग्रह का अच्छी स्थिति में होना आवश्यक होता है। इनमें से एक भी ग्रह अस्त होने या खराब स्थिति में होने पर उस तिथि में विवाह का मुहूर्त नहीं बनता है। देवगुरु बृहस्पति और शुक्र देव को विवाह के लिए कारक माना जाता है। यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु और शुक्र ग्रह मजबूत स्थिति में होते हैं तो जल्द शादी के योग बनते हैं। इन दोनों ग्रहों के कमजोर होने पर विवाह में बाधा आने लगती है।
29 जून तक शुक्र, गुरु 3 मई को अस्त हो रहे हैं
ज्योतोषाचार्य जनार्दन शुक्ला ने बताया कि गुरु और शुक्र तारा के अस्त होने पर विवाह नहीं किया जाता है। इस बार 23 अप्रैल को शुक्र ग्रह अस्त हो गए हैं। 29 जून तक शुक्र अस्त रहेंगे। इसी दौरान गुरु ग्रह 3 मई को अस्त हो रहे हैं। 3 जून को फिर से देव गुरु बृहस्पति उदय हो जाएंगे। इस तरह 30 जून के बाद ही विवाह सम्भव हैं। गुरु व शुक्रास्त होने की दशा में मुंडन, उपनयन व विवाह को छोड़ कर अन्य मंगलकार्य होते रहेंगे।
16 जुलाई देवशयनी एकादशी से फिर विराम
देवशयनी एकादशी अर्थात् आषाढ़ शुक्ल एकादशी 16 जुलाई को देव उठनी एकादशी है। कार्तिक शुक्ल एकादशी 12 नवंबर तक चार माह देव शयन काल होता है। इस अवधि में विवाह समेत मांगलिक कार्यों पर रोक रहेगी। ऐसे में 10 मई को अक्षय तृतीया के अबूझ मुहूर्त में जमकर विवाह होंगे। जुलाई में विवाह मुहूर्त