साल 2025 में महाकुंभ की शुरुआत पौष पूर्णिमा के स्नान पर्व से होगी और समापन महाशिवरात्रि पर खत्म होगा। महाकुंभ 45 दिनों तक चलता है। महाकुंभ के दौरान हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा, नासिक में गोदावरी और इलाहबाद में त्रिवेणी संगम पर स्नान किया जाता है। महाकुंभ का संबंध समुद्र मंथन से जुड़ा है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Wed, 31 Jul 2024 08:44:29 AM (IST)
Updated Date: Wed, 31 Jul 2024 08:44:29 AM (IST)
HighLights
- महाकुंभ को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा उत्सव और मेला माना जाता है।
- ग्रहों के हिसाब से महाकुंभ साल 2025 में 13 जनवरी से शुरू होगा।
- महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन होगा।
धर्म डेस्क, इंदौर। Mahakumbh 2025: हम सभी जानते हैं कि हर 12 साल में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। इस बार यह आयोजन उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में होने वाला है। इसके अलावा हर 3 साल में कुंभ मेला और हर 6 साल में अर्ध कुंभ मेले का आयोजन होता है। साल 2013 के बाद अब अगले महाकुंभ का आयोजन साल 2025 में होने वाला है।
महाकुंभ को हिंदू धर्म का सबसे बड़ा उत्सव और मेला माना जाता है। इस पवित्र मेले में दुनिया भर के लोग शामिल होते हैं। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में अगले महाकुंभ का आयोजन साल 2025 में होने वाला है।
महाकुंभ 2025 शाही स्नान
यह आयोजन जनवरी में होगा। ज्योतिषियों के अनुसार, वृषभ राशि में बृहस्पति ग्रह के होने पर कुंभ मेले का आयोजन होता है। इस हिसाब से महाकुंभ साल 2025 में 13 जनवरी से शुरू होगा।
- महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी मकर संक्रांति के दिन होगा।
- दूसरा शाही स्नान 29 जनवरी मौनी अमावस्या के दिन होगा।
- तीसरा शाही स्नान बसंत पंचमी यानी 3 फरवरी को होगा।
- इसके अलावा 13 फरवरी को पौष पूर्णिमा के दिन शाही स्नान होगा।
- माघी पूर्णिमा 12 फरवरी और 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन शाही स्नान किया जाएगा।
कुंभ स्नान का महत्व
कुंभ स्नान का बहुत महत्व माना जाता है। मान्यता है कि यदि व्यक्ति कुंभ स्नान करता है, तो उसे सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। साथ ही उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि अगर कुंभ में स्नान किया जाए, तो पितृ भी शांत होते हैं और इससे व्यक्ति के जीवन में सुख समृद्धि आती है।
बता दें कि देशभर में चार जगह पर महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। इसमें हरिद्वार, प्रयागराज, नासिक और उज्जैन शामिल है। हरिद्वार में गंगा के तट पर, प्रयागराज में संगम तट पर, उज्जैन में शिप्रा नदी के तट पर, और नासिक में गोदावरी नदी के तट पर महाकुंभ मेले का आयोजन होता है।
ग्रहों की स्थिति पर तय होता है स्थान
- महाकुंभ के स्थान और तिथियां ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करती है। इस हिसाब से ही सूर्य, मेष राशि और बृहस्पति, कुंभ राशि में होते हैं, तब हरिद्वार में महाकुंभ का आयोजन किया जाता है।
- जब बृहस्पति, वृषभ राशि में होते हैं और सूर्य, मकर राशि में होते हैं, तब प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन होता है।
- इसके अलावा जब सूर्य, बृहस्पति और सिंह राशि में होते हैं। तब नासिक में महाकुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।
- जब बृहस्पति ग्रह, सिंह राशि में और सूर्य ग्रह मेष राशि में होते हैं, तो उज्जैन में महाकुंभ आयोजित होता है।
डिसक्लेमर
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