Hartalika Teej 2024: पहली बार करने जा रही हैं हरतालिका तीज व्रत, तो न भूलें ये बातें


हरतालिका तीज का पावन त्योहार आने वाला है, जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु की कामना लेकर शिव-पार्वती की उपासना करती हैं। साथ ही उनके लिए कठिन उपवास का पालन करती हैं। पहली बार व्रत करने वाले लोगों को कुछ नियमों का पालन जरूर करना चाहिए।

By Ekta Sharma

Publish Date: Sat, 24 Aug 2024 12:29:21 PM (IST)

Updated Date: Sun, 25 Aug 2024 07:25:10 AM (IST)

हरतालिका तीज व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। (प्रतीकात्मक तस्वीर)

HighLights

  1. इस व्रत में आप 24 घंटे तक बिना पानी और भोजन के रहें।
  2. शाम के समय नए कपड़े पहनकर सोलह श्रृंगार जरूर करें।
  3. इस दिन हरतालिका तीज की व्रत कथा सुनें और सुनाएं।

धर्म डेस्क, इंदौर। Hartalika Teej 2024: हिंदू धर्म में हरतालिका तीज व्रत सबसे कठिन और फलदायी व्रतों में से एक माना जाता है, जिसे विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए करती हैं। वहीं, कुंवारी कन्याएं अच्छा वर पाने के लिए यह व्रत रखती हैं। यह हर साल भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है।

कहा जाता है कि इस दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए निर्जला व्रत किया था। इस दिन न केवल निर्जला व्रत रखा जाता है, बल्कि पूरी रात जागकर भगवान भोलेनाथ की पूजा भी की जाती है। यदि आप पहली बार यह व्रत रखने जा रही हैं, तो इससे जुड़ी कुछ जरूरी बातें जान लें।

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हरतालिका तीज 2024 तिथि

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हरतालिका तीज का त्योहार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है, जो इस बार 5 सितंबर गुरुवार को दोपहर 12.21 बजे शुरू होगी। यह तिथि समापन 6 सितंबर 2024 दिन शुक्रवार को दोपहर 3 बजकर 01 मिनट पर होगा।

उदया तिथि के अनुसार, हरतालिका तीज व्रत 6 सितंबर को रखा जाएगा। पहली हरतालिका तीज पूजा का शुभ समय 6 सितंबर को सुबह 6:01 बजे से सुबह 8:32 बजे तक रहेगा। इस व्रत में शिव जी और माता गौरी की पूजा की जाती है। महिलाएं दिन में निर्जला व्रत रखती हैं और रात में पूरा श्रृंगार करके शिव जी और पार्वती जी की पूजा करती हैं।

हरतालिका तीज क्या है?

जब माता पार्वती को पता चला कि उनके पिता ने उनका विवाह भगवान विष्णु से तय कर दिया है, तो वह बहुत दुखी हुईं। उनकी उदासी देखकर पार्वती जी की एक सखी ने उनसे उनकी उदासी का कारण पूछा। पार्वती जी ने अपनी व्यथा बताते हुए कहा कि वह पूरे मन से भगवान शिव की पूजा करती हैं और उनके अलावा किसी और को अपने पति के रूप में सोच भी नहीं सकतीं। तब उनकी सहेली ने उन्हें समझाया कि उन्हें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए।

इस प्रकार पार्वती जी को समझा कर उनकी सखी उन्हें जंगल में एक तपस्या स्थल पर ले गयी, जहां उनके पिता भी नहीं पहुंच सकते थे। वहां पार्वती जी शिव जी की घोर तपस्या करने लगीं। इसके परिणामस्वरूप शिव जी उनके सामने प्रकट हुए और तथास्तु कहकर पार्वती जी की इच्छानुसार विवाह करने को कहा। इसके बाद पार्वती जी ने अपना व्रत तोड़ा और अगली सुबह पारण किया। वह दिन भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि थी।

इन बातों का रखें ध्यान

  • इस व्रत में आप 24 घंटे तक बिना पानी और भोजन के रहें।
  • एक दिन पहले हाथों पर मेहंदी लगाएं।
  • मिट्टी से भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की मूर्ति बनाएं।
  • केले के पत्ते का मंडप बनाएं।
  • शाम के समय नए कपड़े पहनकर सोलह श्रृंगार करें।
  • मूर्ति के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
  • फल, फूल, मिठाई, माला, दूर्वा, बेलपत्र और शमी पत्र अर्पित करें।
  • देवी पार्वती को चूड़ियां, बिंदी, आलता, नेल पॉलिश, लिपस्टिक, लाल पोशाक आदि श्रृंगार सामग्री अर्पित करें।
  • हरतालिका तीज व्रत कथा सुनें और सुनाएं।
  • इसके बाद गणेश, शिवजी और पार्वती जी की आरती करें।
  • अगले दिन व्रत पारण करें।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’



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