हरियाली तीज का पर्व सावन मास में आती है। यह व्रत सुहागिन महिलाएं सुखी दांपत्य जीवन के लिए और कुंवारी कन्याएं अच्छे वर की प्राप्ति के लिए करती हैं। हरियाली तीज का त्योहार भगवान शंकर और माता पार्वती के मिलन का प्रतीक है। इसे सावन तीज भी कहते हैं। इस दिन निर्जल व्रत रखा जाता है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Sun, 14 Jul 2024 01:35:47 PM (IST)
Updated Date: Sun, 14 Jul 2024 01:35:47 PM (IST)
HighLights
- इस तिथि पर देवी पार्वती ने शिव जी को पति रूप में प्राप्त किया था।
- उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में हरियाली तीज का बहुत महत्व होता है।
- शिव जी-देवी पार्वती के आशीर्वाद से दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।
धर्म डेस्क, इंदौर। Hariyali Teej 2024 Date: पति की लंबी उम्र और शादीशुदा जिंदगी में सुख-शांति के लिए महिलाएं कई तरह के व्रतों का पालन करती हैं। इसमें से एक हरियाली व्रत भी माना जाता है। हरियाली व्रत बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
भगवान शिव और माता पार्वती के आशीर्वाद से दांपत्य जीवन खुशहाल बना रहता है। साथ ही जीवन में मधुरता आती है। उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड में हरियाली तीज का बहुत महत्व है। यह पर्व बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। इसे सावन तीज भी कहते हैं।
हरियाली तीज 2024 तिथि
सावन महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 6 अगस्त 2024 को रात 7:52 से शुरू होगी। यह 7 अगस्त 2024 को रात 10:05 पर समाप्त होगी। वैदिक पंचांग के अनुसार, इस साल हरियाली तीज का व्रत 7 अगस्त 2024 बुधवार को रखा जाएगा।
हरियाली तीज व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार शिव जी मां पार्वती को उनके पिछले जन्म की याद दिलाते हैं और कहते हैं कि तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए वर्षों तक कठोर तपस्या की है। आपने अन्न-जल तक त्याग दिया और सर्दी, गर्मी, बरसात आदि ऋतुओं की परवाह नहीं की। उसके बाद तुमने मुझे पति रूप में प्राप्त किया।
भगवान शिव मां पार्वती को कथा सुनाते हुए कहते हैं कि हे पार्वती! एक बार नारद मुनि आपके घर आए और आपके पिता से कहा कि मैं विष्णु जी की आज्ञा से यहां आया हूं। स्वयं भगवान विष्णु आपकी तेजस्वी पुत्री पार्वती से विवाह करना चाहते हैं।
नारद मुनि की बात सुनकर पर्वतराज बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने तुरंत इस विवाह प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। परन्तु जब तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हें यह बात बताई, तो तुम बहुत दुखी हुईं।
देवी पार्वती ने की कठिन तपस्या
जब तुमने अपनी सहेली को बताया, तो उसने तुम्हें जंगल की गहराई में जाकर तपस्या करने की सलाह दी। अपनी सहेली की बात मानकर तुमने जंगल की एक गुफा में रेत का शिवलिंग बनाया और मुझे पति रूप में पाने के लिए तपस्या करने लगी।
शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं कि तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हें पृथ्वी और पाताल में खोजा, लेकिन तुम नहीं मिली। तुम गुफा में सच्चे मन से तपस्या करती रही।
प्रसन्न होकर मैं सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया को तुम्हारे सामने उपस्थित हुआ और तुम्हारी इच्छा पूरी कर तुम्हें अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। उसके बाद तुम्हारे पिता भी तुम्हें ढूंढते हुए गुफा तक आए। तुमने अपने पिता से कहा कि मैं आपके साथ तभी आऊंगी, जब आप मेरा विवाह शिव से कर देंगे।
श्रावणी तीज के व्रत का महत्व
आगे भगवान शिव माता पार्वती से कहते हैं कि तुम्हारे पिता तुम्हारी जिद के आगे कुछ नहीं कर सके और इस विवाह की अनुमति दे दी। श्रावण तीज के दिन तुम्हारी मनोकामना पूरी हुई और तुम्हारी कठिन तपस्या के कारण ही हमारा विवाह संभव हो सका।
शिव जी ने कहा कि जो भी स्त्री श्रावणी तीज को विधि-विधान से पूजन करेगी, इस कथा को सुनेगी या पढ़ेगी, उसके वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाएंगी और मैं उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करूंगा।
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