ज्येष्ठ माह शुरू हो चुका है और इस माह में 2 विशेष एकादशियां आएंगी, जिनका अपना-अपना महत्व है।
By Ekta Sharma
Publish Date: Sat, 01 Jun 2024 12:01:57 PM (IST)
Updated Date: Sat, 01 Jun 2024 12:01:57 PM (IST)
HighLights
- प्रत्येक माह में दो एकादशियां होती हैं।
- इस व्रत के प्रभाव से मनोवांछित फल प्राप्त होता है।
- ज्येष्ठ माह शुरू हो चुका है।
धर्म डेस्क, इंदौर। Ekadashi in June 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस व्रत को करने से भगवान विष्णु की कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं, साथ ही सुख-समृद्धि बनी रहती है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित है।
प्रत्येक माह में दो एकादशियां होती हैं, एक कृष्ण पक्ष में और एक शुक्ल पक्ष में। एकादशी के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। माना जाता है कि इस व्रत के प्रभाव से मनोवांछित फल प्राप्त होता है। ज्येष्ठ माह शुरू हो चुका है और इस माह में 2 विशेष एकादशियां आएंगी, जिनका अपना-अपना महत्व है। आइए जानते हैं कि इस बार जून महीने में कौन-सी एकादशी मनाई जाएंगी।
अपरा एकादशी और निर्जला एकादशी
ज्येष्ठ माह की पहली एकादशी अपरा एकादशी है, जो 2 जून 2024 को है। यह व्रत अपार धन प्राप्ति का आशीर्वाद देता है। इस व्रत का पारण 3 जून 2024 को सुबह 8.05 बजे से 8.10 बजे के बीच किया जा सकेगा।
ज्येष्ठ माह की दूसरी एकादशी निर्जला एकादशी है, जो 21 जून 2024 को पड़ रही है। इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। इस व्रत के पारण का समय 19 जून 2024 को सुबह 5:08 बजे से 7:28 बजे के बीच है।
एकादशी 2024 पूजा विधि
- सुबह उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं। घर के मंदिर को अच्छी तरह साफ करें।
- भगवान विष्णु का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें।
- एक चौकी पर श्रीयंत्र, भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें।
- भगवान को गंगाजल से स्नान कराएं। देसी घी का दीपक जलाएं।
- भगवान विष्णु को तुलसी के पत्तों के साथ पीले फल और पंचामृत चढ़ाएं।
- इस दिन भगवान विष्णु के वैदिक मंत्रों का जाप करें।
- शाम को, एकादशी व्रत कथा का पाठ किया जाता है और अंत में आरती के साथ पूजा समाप्त होती है।
- एकादशी का व्रत करने वाले लोग फल और डेयरी उत्पादों का सेवन कर सकते हैं। निर्जला एकादशी व्रत के दौरान कुछ भी खाना या पीना नहीं चाहिए।
- एकादशी व्रत का पारण द्वादशी तिथि को ही करना चाहिए।
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