Gupt Navratri Kalash Sthapana 2024: गुप्त नवरात्र में इस समय करें कलश स्थापना, नोट करें विधि


आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र की शुरुआत 6 जुलाई से हो रही है, जो 15 जुलाई तक रहेंगे। इस दौरान माता दुर्गा की 10 महाविद्याओं की पूजा तांत्रिक विधि से की जाती है। नवरात्र के पहले दिन घट स्थापना होती है। घट स्थापना के लिए तांबे, पीतल या मिट्टी से बने कलश से स्थापना की जाती है।

By Ekta Sharma

Publish Date: Thu, 04 Jul 2024 08:30:02 AM (IST)

Updated Date: Thu, 04 Jul 2024 09:57:45 AM (IST)

गुप्त नवरात्र कलश स्थापना 2024 (प्रतीकात्मक तस्वीर)

HighLights

  1. हर साल 4 बार नवरात्र पर्व मनाया जाता है।
  2. 4 नवरात्र में से दो नवरात्र गुप्त माने जाते हैं।
  3. हर नवरात्र में कलश स्थापना महत्वपूर्ण होती है।

धर्म डेस्क, इंदौर। Gupt Navratri Kalash Sthapna 2024: आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्र प्रारंभ होगी। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा के 9 अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। साल में 4 बार नवरात्र पड़ते हैं। तांत्रिक साधना करने वालों के लिए गुप्त नवरात्र का समय बहुत विशेष होता है। गुप्त नवरात्र में मां दुर्गा की तांत्रिक विधि और मंत्रों से पूजा करने से सभी प्रकार के दोष समाप्त हो जाते हैं। गुप्त नवरात्र के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। सभी को अपने घरों में कलश स्थापना करना चाहिए। इस कलश में सभी देवी-देवताओं का वास माना जाता है।

कलश स्थापना विधि

नवरात्र में पूजा के दौरान स्थापित किए गए कलश को नौ दिनों के बाद ही नदी में विसर्जित किया जाता है। यही कारण है कि गुप्त नवरात्र के दौरान मिट्टी से बने कलश की ही स्थापना करनी चाहिए, क्योंकि मिट्टी को सबसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है। मिट्टी से बने कलश को स्थापित करने के बाद उसमें मिट्टी से बने कलश का ढक्कन, जटा वाला नारियल, कलावा, लाल कपड़ा, मौली, गंगाजल, अक्षत रखें।

कलश स्थापना शुभ मुहूर्त

आषाढ़ माह के गुप्त नवरात्र में घट स्थापना का शुभ समय 6 जुलाई को सुबह 5.11 बजे से 7.26 बजे तक है। इस दौरान आप कलश स्थापना कर सकते हैं। इस मुहूर्त में कलश स्थापना नहीं कर पाएं, तो 6 जुलाई को अभिजीत मुहूर्त में सुबह 11 बजे से दोपहर 12 बजे तक भी कर सकते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

कलश स्थापना करते समय इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि मिट्टी के कलश पर कोई काला धब्बा न हो। ऐसा करने से पूजा का प्रभाव बुरा हो सकता है। कलश को हमेशा उत्तर-पूर्व दिशा में स्थापित करना चाहिए। कभी भी टूटा हुआ या खंडित कलश स्थापित नहीं करना चाहिए।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’



Source link

Exit mobile version