भारतीय संस्कृति की उत्सवप्रियता जगजाहिर है। वैदिक हिंदू सनातन धर्म व जीवन-शैली में करवा चौथ याानि करक चतुर्थी अमर प्रेम, समर्पण, पवित्रता,पति की दीर्घायु, पारिवारिक समरसता और शक्ति के अपूर्व सामर्थ्य का महाव्रत-महापर्व है। यह महाव्रत चौथ माता अर्थात आदि शक्ति माता पार्वती को समर्पित है। अतः यह महाव्रत सादगी और पारंपरिक रुप से ही रखा जाना श्रेयस्कर है।
By Surendra Dubey
Publish Date: Sat, 19 Oct 2024 10:25:53 AM (IST)
Updated Date: Sat, 19 Oct 2024 11:11:10 AM (IST)
HighLights
- श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को अर्जुन के लिए व्रत का वृत्तांत सुनाया।
- सावित्री ने सत्यवान के प्राण के लिए इस व्रत को रखा था।
- युवतियों के विधि-विधान से व्रत करने से अच्छा वर का मिलता है।
सुरेन्द्र दुबे, नईदुनिया जबलपुर (Karwa Chauth 2024)। वर्तमान में बालीवुड के तथाकथित सेक्युलर निर्देशकों, अभिनेता और अभिनेत्रियों ने इस महाव्रत को फिल्मी बनाकर खराब करने का आलोचनीय प्रयास किया है। इसकी जितनी निंदा की जाए कम है।
सावित्री ने सत्यवान के लिए इस व्रत को रखा था
यदि पौराणिक संदर्भ में देखें तो पाएंगे कि देवासुर संग्राम में परमपिता ब्रह्म ने देवताओं की विजय और दीर्घायु के लिए देवियों को इस व्रत का विधान बताया। सावित्री ने सत्यवान के लिए इस व्रत को रखा था।
श्रीकृष्ण ने द्रोपदी व शिव ने पार्वती को माहात्म्य बताया
भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को अर्जुन के लिए इस व्रत को रखने के लिए वृत्तांत बताया। भगवान शिव ने माता पार्वती को इस महान व्रत के माहात्म्य को बताया है। इसके साथ ही अन्य कथाएं भी प्रचलित हैं, जिनमें करवा माता एवं वीरावती की कथा भी प्रचलित हैं।
आत्मीय भाव से बहू को सरगी
सासु मां करवा चौथ पर आत्मीय भाव से बहू को सरगी देती हैं, जो दोनों के रिश्तों को वात्सल्य रस से भर देता है। मिट्टी के करवा यानि पात्र का विशेष महत्व है। यह करवा देवी और चौथ देवी का प्रतीक है।
मिट्टी का करवा पंच तत्व का प्रतीक है
मिट्टी को पानी में गला कर बनाते हैं, जो भूमि तत्व और जल तत्व का प्रतीक है, उसे बनाकर धूप और हवा से सुखाया जाता है, जो आकाश तत्व और वायु तत्व के प्रतीक हैं फिर आग में तपाकर बनाया जाता है।
मिट्टी के बर्तन में पानी पीना फायदेमंद
भारतीय संस्कृति में पानी को ही परब्रह्म माना गया है, क्योंकि जल ही सब जीवों की उत्पत्ति का केंद्र है। इस तरह मिट्टी के करवे से पानी पिलाकर पति पत्नी अपने रिश्ते में पंच तत्व और परमात्मा दोनों को साक्षी बनाकर अपने दाम्पत्य जीवन को सुखी बनाने की कामना करते हैं।
मिट्टी के बर्तन वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह उपयोगी
आयुर्वेद में भी मिट्टी के बर्तन में पानी पीने को फायदेमंद माना गया है इस कारण वैज्ञानिक दृष्टि से भी यह उपयोगी है। भगवान शिव-पार्वती, कार्तिकेय, श्रीगणेश, चंद्रमा की पूजा का विधान है। करवा चौथ का प्रतीकात्मक अर्थ है कि चंद्रमा को अर्घ्य देकर परायण और छलनी ने सभी राग-द्वेष छान दिए हैं, अब केवल निर्मल प्रेम ही शेष है।
करवा चौथ की तिथि
डा. आनंद सिंह राणा, श्रीजानकीरमण महाविद्यालय एवं इतिहास संकलन समिति महाकोशल प्रांत ने बताा कि इस वर्ष चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर, 2024 यानि रविवार के दिन सुबह छह बजकर 46 मिनट के बाद शुरू होती है और इसका समापन 21 अक्टूबर 2024 को सुबह चार बजकर 16 मिनट पर होगा।
करवा चौथ पर ब्रह्म मुहूर्त
करवा चौथ पर ब्रह्म मुहूर्त सुबह चार बजकर 44 मिनट से लेकर सुबह पांच बजकर 35 मिनट तक रहेगा। अभिजीत मुहूर्त का समय सुबह 11 बजकर 43 मिनट से लेकर 12 बजकर 28 मिनट तक रहेगा। करवा चौथ पर चांद निकलने का समय 20 अक्टूबर को रात सात बजकर 54 मिनट पर बताया जा रहा है।
चांद दिखने का समय थोड़ा अलग हो सकता
देश के अलग-अलग राज्यों और शहरों में चांद दिखने का समय इससे थोड़ा अलग हो सकता है। अपने शहर के हिसाब से चांद निकलने का सही समय एक बार जरूर देख लें।
अविवाहित लड़कियां भी रख सकती हैं व्रत
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जो अविवाहित लड़कियां होती है उन्हें निर्जला व्रत रखने की जरूरत नहीं होती है, क्योंकि निर्जला व्रत के लिए सरगी की आवश्यकता होती है और अविवाहित लड़कियों के लिए सरगी आदि नहीं मिल पाती है।
तो उन्हें माता करवा का आशीर्वाद मिलता …
करवा चौथ के दिन अविवाहित महिलाओं को व्रत में भगवान शिव, पार्वती, गणेश, कार्तिकेय और चंद्रमा की पूजा की जाती है। साथ ही मां करवा की कथा भी होती है। मान्यता है लड़कियां विधि-विधान से व्रत करती है उन्हें माता करवा का आशीर्वाद मिलता है।
तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल सकती हैं
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अविवाहित महिलाएं चांद को देखकर अर्घ्य नहीं देना चाहिए बल्कि तारों को अर्घ्य देकर अपना व्रत खोल सकती हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, चंद्रमा को अर्घ्य देने का नियम केवल विवाहित महिलाओं के लिए होता है।
यदि चंद्रमा का दर्शन न हो तो क्या करें
यदि आपके शहर में खराब मौसम के कारण चंद्रमा दिखाई नहीं देता है, तो ऐसी स्थिति में आप अपने किसी परिचित को काल कर सकते हैं, जो दूसरे शहर में रहता है।
वीडियो काल के माध्यम से अपना व्रत खोल सकते हैं
यदि आप अपने शहर में उग रहे हैं तो आप वीडियो काल के माध्यम से अपना व्रत खोल सकते हैं। वीडियो कॉल के माध्यम से व्रत खोलना संभव नहीं है, इसलिए आप जिस दिशा में चंद्रमा उगता है उस दिशा की ओर मुंह करके व्रत खोल सकते हैं।
शिव के सिर पर चंद्रमा की पूजा करके भी व्रत कर सकते हैं
यदि आकाश में चंद्रमा न दिखे तो आप भगवान शिव के सिर पर चंद्रमा की पूजा करके भी व्रत कर सकते हैं। यदि करवा चौथ के दिन आकाश में चंद्रमा नहीं दिखाई देता है तो आपको मंदिर में जिस दिशा की ओर एक स्थान रखना होता है उस दिशा में चंद्रमा निकल रहा होता है।
ओम चतुर्थ चंद्राय नम: मंत्र का तीन से पांच बार जाप करें
चावल की सहायता से कपड़े के ऊपर चंद्रमा की चोटी ऊपर। इस दौरान ओम चतुर्थ चंद्राय नम: मंत्र का तीन से पांच बार जाप करें। चंद्रमा की पूजा करने के बाद व्रत का पारण करें।