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ज्योतिषियों के अनुसार, चैत्र नवरात्र के सातवें दिन भद्रावास योग का निर्माण भी होता है। इस योग में मां की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
By Ekta Sharma
Publish Date: Sun, 14 Apr 2024 06:21 PM (IST)
Updated Date: Mon, 15 Apr 2024 08:26 AM (IST)

HighLights
- मां काली की पूजा रात्रि में की जाती है।
- तंत्र विद्या सीखने वाले साधक के लिए यह दिन बहुत खास होता है।
- इस दिन मां काली की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
धर्म डेस्क, इंदौर। Chaitra Navratri 2024 Day 7: चैत्र नवरात्र के सातवें दिन जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के सातवें स्वरूप मां काली की पूजा की जाती है। साथ ही किसी विशेष कार्य की सिद्धि के लिए भी व्रत रखा जाता है। इस दिन तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधक रात होने तक कठिन साधना करते हैं। ऐसा करने से विशेष मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इतना ही नहीं, साथ ही आय, आयु, सुख और भाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिषियों के अनुसार, चैत्र नवरात्र के सातवें दिन भद्रावास योग का निर्माण भी हो रहा है। इस योग में मां की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
शुभ मुहूर्त
चैत्र नवरात्र की सप्तमी तिथि सुबह 11.44 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 15 अप्रैल को दोपहर 12.11 बजे समाप्त होगी। उसके बाद नवमी तिथि शुरू हो जाएगी। मां दुर्गा के सातवें स्वरूप जगत जननी मां काली की पूजा रात्रि में की जाती है। इसलिए, पूजा निशा काल के दौरान की जाएगी। तंत्र विद्या सीखने वाले साधक के लिए यह दिन बहुत खास होता है। इस दिन मां काली की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
भद्रावास योग का निर्माण
ज्योतिषियों के अनुसार, चैत्र नवरात्र के सातवें दिन दुर्लभ भद्रावास योग बन रहा है। यह योग दोपहर 12 बजकर 11 मिनट से शाम 08 बजकर 39 मिनट तक बना हुआ है। इस दौरान मां काली की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। इस दौरान भद्रा स्वर्ग लोक में रहेंगी। भद्रा के स्वर्ग में रहने के दौरान, पृथ्वी पर मौजूद सभी जीवित प्राणियों और मनुष्यों को आशीर्वाद मिलता है।
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
- सूर्योदय : सुबह 05 बजकर 56 मिनट पर
- सूर्यास्त : शाम 06 बजकर 46 मिनट पर
- चन्द्रोदय : सुबह 10 बजकर 08 मिनट पर
- चंद्रास्त : देर रात 12 बजकर 57 मिनट पर
पंचांग
- ब्रह्म मुहूर्त : सुबह 04 बजकर 27 मिनट से 05 बजकर 12 मिनट तक
- विजय मुहूर्त : दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 21 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त : शाम 06 बजकर 45 मिनट से 07 बजकर 08 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त : रात्रि 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 43 मिनट तक
अशुभ समय
- राहु काल : सुबह 05 बजकर 10 मिनट से 06 बजकर 46 मिनट तक
- गुलिक काल : दोपहर 03 बजकर 34 मिनट से 05 बजकर 10 मिनट तक
- दिशा शूल : पश्चिम
डिसक्लेमर
‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’
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