Chaitra Navratri 2024 Day 2: मनोकामना पूर्ति के लिए इस शुभ योग में करें मां ब्रह्मचारिणी की पूजा, यह है सही विधि


ज्योतिषियों के अनुसार, चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन शिववास का विशेष संयोग बन रहा है। इस योग में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से निश्चित और अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

By Ekta Sharma

Publish Date: Wed, 10 Apr 2024 09:10 AM (IST)

Updated Date: Wed, 10 Apr 2024 09:10 AM (IST)

मां ब्रह्मचारिणी पूजा मुहूर्त और विधि।

HighLights

  1. नवरात्र की द्वितीया तिथि 10 अप्रैल को शाम 5.32 बजे तक है।
  2. इसके अलावा बालव और कौलव करण भी बन रहे हैं।
  3. नवरात्र के दूसरे दिन भगवान शिव जगत जननी मां गौरी के साथ रहेंगे।

धर्म डेस्क, इंदौर। Chaitra Navratri 2024 Day 2: चैत्र नवरात्र का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है। इस दिन तप और आचरण की देवी मां ब्रह्मचारिणी की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन देवी मां के निमित्त व्रत भी रखा जाता है। मां ब्रह्मचारिणी के एक हाथ में कमंडल और दूसरे हाथ में तपस्या की माला है। ज्योतिषियों के अनुसार, चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन शिववास का विशेष संयोग बन रहा है। इस योग में मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से निश्चित और अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजा विधि।

शुभ मुहूर्त

चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि 10 अप्रैल को शाम 5.32 बजे तक रहेगी। इस समय मां ब्रह्मचारिणी की पूजा कर सकते हैं। नवरात्र के दूसरे दिन प्रीति योग का भी संयोग बन रहा है। इसके अलावा बालव और कौलव करण भी बन रहे हैं।

शिववास योग

ज्योतिषियों के मुताबिक, चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन भगवान शिव जगत जननी मां गौरी के साथ रहेंगे। इस दौरान पूजा करना शुभ माना जाता है। इस दिन शिववास यानी भगवान शिव शाम 5 बजकर 32 मिनट तक मां गौरी के साथ रहेंगे। शाम 5 बजकर 32 मिनट पर चैत्र नवरात्र की द्वितीया तिथि भी समाप्त हो जाएगी। शिववास के दौरान रुद्राभिषेक करने से घर में सुख-समृद्धि आती है।

पूजा विधि

  • चैत्र नवरात्र के दूसरे दिन ब्रह्म बेला में उठना चाहिए।
  • इस समय माता गौरी को प्रणाम करके दिन की शुरुआत करें।
  • इसके बाद दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर गंगाजल युक्त जल से स्नान करें।
  • इस समय व्रत का संकल्प लें और नए वस्त्र धारण करें।
  • अब पूजा कक्ष को गंगा जल छिड़क कर शुद्ध कर लें।
  • एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। –
  • अब पंचोपचार करें और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करें।
  • पूजा के दौरान चालीसा, कवच और स्तोत्र का पाठ करें।
  • अंत में आरती करें और भोग लगाएं।

डिसक्लेमर

‘इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।’



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