मौसम में बदलाव होने के साथ सर्दी-खांसी की समस्या भी बढ़ने लगती है। कई बार खांसी 1 2 दिन में अपने आप ठीक हो जाती है, लेकिन कुछ मामलों में आपको इसके कारण काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। कोई व्यक्ति गीली खांसी के कारण परेशान रहता है, तो किसी को सूखी खांसी की समस्या रहती है। दोनों ही तरह की खांसी आपके खान-पान, बोलने और अन्य गतिविधियों को प्रभावित कर सकती हैं। ऐसे में अगर आप भी किसी भी तरह की खांसी के कारण परेशान हैं तो तुलसी आयुर्वेद क्लिनिक के आयुर्वेदिक डॉक्टर अंकित अग्रवाल से जानते हैं खांसी की समस्या से राहत पाने के लिए क्या खाएं?
खांसी के लिए आयुर्वेदिक उपाय
गीली खांसी के लिए सितोपलादि चूर्ण का उपयोग
गीली खांसी की समस्या तब होती है, जब आपके गले और वायुमार्ग में तरल पदार्थ या बलगम जमा होने लगता है। यह गले से जुड़े इंफेक्शन, पुरानी फेफड़ों की बीमारी या CHF के कारण हो सकता है। मौसम में बदलाव होने के कारण गीली खांसी की समस्या ज्यादा होती है, जिससे राहत पाने के लिए आप आयुर्वेदिक हर्ब सितोपलादि चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। यह चूर्ण गले और सीने में जमे कफ को कम करने, बलगम को निकालने और सांस के रास्ते पर होने वाली समस्या से राहत दिलाने में मदद करता है। यह चूर्ण गीली खांसी के लिए सबसे ज्यादा प्रभावी होता है, जो बलगम को साफ करने में मदद कर सकता है। सितोपलादि चूर्ण का सेवन आप रोजाना दिन में 2 से 3 बार आधा पाउडर को शहद में मिलाकर कर सकते हैं।
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सूखी खांसी के लिए तालीशादि चूर्ण
सूखी खांसी एक ऐसी समस्या है, जिसमें आपके गले में बलगम या कफ नहीं बनता है, लेकिन इसके कारण आपके गले और वायुमार्ग में जलन या सूजन की समस्या हो सकती है। इसलिए अगर आप सूखी खांसी से परेशान रहते हैं तो आयुर्वेदिक तालीशादि चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। यह चूर्ण सांस के रास्ते पर होने वाली समस्या को कम करने और ड्राईनेस को कम करने के साथ गले में होने वाली जलन से भी राहत दिलाने में मदद करता है। इसके साथ ही, यह चूर्ण सूखी खांसी से छुटकारा दिलाने और गले को आराम देने में काफी प्रभावी है। आप दिन में 2 से 3 बार आधा चम्मच तालीशादि चूर्ण को शहद में मिलाकर खाएं।
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सूखी या गीली खांसी से राहत पाने के लिए आप सितोपलादि और तालीशादि चूर्ण का सेवन कर सकते हैं। इसके साथ ही खांसी से आराम न मिलने पर अपने डॉक्टर से कंसल्ट करें और सही इलाज लेने की कोशिश करें।
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