Post abortion care: अबॉर्शन के बाद फिजिकल, मेंटल और सेक्सुअल हेल्थ तीनों का रखना होता है ध्यान, एक्सपर्ट बता रही हैं कैसे


अगर आप अबॉर्शन पर विचार कर रही हैं, तो शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को तैयार कर लेना आवश्यक है। जानते हैं अबॉर्शन के बाद महिलाओं को किस प्रकार से रखना चाहिए अपना ख्याल

गर्भवती महिलाओं के शरीर में कई प्रकार के बदलाव आने लगते हैं। मगर कई बार वही बदलाव गर्भपात का कारण बन जाते हैं। वहीं अनचाही प्रेगनेंसी भी अबॉर्शन का मुख्य कारण साबित होता है। अगर आप अबॉर्शन पर विचार कर रही हैं, तो शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को तैयार कर लेना आवश्यक है। फिर चाहे वो सर्जिकल हो या मेडिकल। जानते हैं अबॉर्शन के बाद महिलाओं को किस प्रकार से रखना चाहिए अपना ख्याल।

अबॉर्शन दो प्रकार का होता है (Types of abortion)

1. मेडिकल अबॉर्शन (Medical abortion)

महिलाओं को मेडिकल अबॉर्शन के लिए दवाएं लेने की सलाह दी जाती है। इससे गर्भावस्था को विकसित होने से रोका जा सकता है। दवाओं को निगलकर या फिर योनि में रखकर इस्तेमाल किया जा सकता है। गोली रखने के 24 घंटों के भीतर ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है।

2. सर्जिकल अबॉर्शन (Surgical abortion)

सर्जिकल अबॉर्शन के दौरान डॉक्टर ऑपरेशन से भ्रूण को हटाते हैं। गर्भ की समय अवधि बढ़ने के अनुसार डॉक्टर सर्जिकल अवॉर्शन का सुझाव देते हैं। ये डॉक्टर और अन्य स्टाफ की देखरेख में किया जाता है। इस प्रकार के अबॉर्शन में ज्यादा ऐंठन का सामना करना पड़ता है।

Abortion ke prakaar
सर्जिकल अबॉर्शन के दौरान डॉक्टर ऑपरेशन से भ्रूण को हटाते हैं। गर्भ की समय अवधि बढ़ने के अनुसार डॉक्टर सर्जिकल अवॉर्शन का सुझाव देते हैं। चित्र : अडोबीस्टॉक

अबॉर्शन के बाद शरीर को कैसे स्वस्थ रखें

इस बारे में डॉ रितु सेठी बताती हैं कि अगर अर्ली प्रेगनेंसी में बच्चे की ग्रोथ नहीं हो रही है, तो अबॉर्शन की सलाह दी जाती है। मगर पांचवें महीने के बाद अगर अबॉर्शन किया जाता है, तो उस वक्त स्थिति गंभीर हो सकती है। सहीं जांच और इलाज न मिल पाने से स्वास्थ्य पर उसका नकारात्मक प्रभाव दिखता है।

दरअसल, अबॉर्शन के बाद ब्लीडिंग का खतरा बना रहता है। ऐसे में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयरन और मल्टी विटामिन लेने की सलाह दी जाती है। इस अलावा हाई इंटैसिटी एक्सरसाइज़ भी स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाती है।

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नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के अनुसार सर्जिकल अबॉर्शन की तुलना में मेडिकल अबॉर्शन में ब्लीडिंग का खतरा ज्यादा बढ़ जाता है और ये ब्लीडिंग 10 दिन तक रहती है। वहीं सर्जिकल अबॉर्शन में ब्लीडिंग धीरे धीरे कम हो जाती है और वो ऑफ एंड ऑन रहती है। वहीं एक रिसर्च के अनुसार 78.4 फीसदी महिलाओं ने सर्जिकलअबॉर्शन में ज्यादा दर्द का सामना किया है।

अगर आप अबॉर्शन पर विचार कर रही हैं, तो शारीरिक और मानसिक रूप से खुद को तैयार कर लेना आवश्यक है। चित्र : अडोबीस्टॉक।

अबॉर्शन के बाद किस प्रकार से रखें अपना ख्याल (Post abortion care tips)

1. आयरन रिच डाइट और सप्लीमेंट लें

अवॉर्शन के दौरान महिलाओं को हैवी ब्लीडिंग का सामना करना पड़ता है। इससे खून की कमी होने का खतरा बना रहता है। शरीर में खून की कमी को पूरा करने के लिए आयरन रिच डाइट और सप्लीमेंट्स अवश्य लें। इस के अलावा विटामिन सी का सेवन करने से भी शरीर में आयरन का एब्जॉर्बशन बढ़ने लगता है। इससे शबीटरूटरीर का इम्यून सिस्टम भी बूस्ट होता है। आहार में पालक, बीटरूट, कद्दू और खजूर को शामिल करें।

2. शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखें

बार बार होने वाली वॉमिटिंग और डायरिया के लक्षणों से शरीर में थकान और कमज़ोरी बढ़ती है। दरअसल, शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी इस समस्या को बढ़ा देती है। ऐसे में शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए भरपूर मात्रा में पानी पीएं।

3. भारी सामान न उठाएं

महिलाओं को अबॉर्शन के बाद भारी सामान को उठाने से मना किया जाता है। भारी बाल्टी हो या बच्चे को गोद में उठाना हो, इन सभी चीजों से परहेज करने की सलाह दी जाती है। दरअसल, ब्लडलॉस के चलते शरीर में कमज़ोरी बढ़ जाती है और पीठ दर्द की भी समस्या बनी रहती है। ऐसे में 2 सप्ताह तक वर्कआउट न करने की सलाह दी जाती है। वेटलिफ्टिंग से ब्लीडिंग का खतरा बना रहता है। इसके अलावा किसी भी भारी सामान को उठाने से भी बचना चाहिए और शारीरिक क्षमता के अनुसार ही कार्य करें।

4. बॉडी को रिलैक्स रखें

पीठ में दर्द व क्रैप्स से निपटने के लिए डॉक्टर की बताई दवाएं लें। दरअसल, ब्लीडिंग के दौरान क्रैप्स बढ़ जाते हैं। ऐसे में हीटिंग पैड व हॉट वॉटर बॉटल का प्रयोग करें। इसके अलावा पोस्ट अबॉर्शन बॉडी मसाज भी फायदेमंद साबित होती है।

5. परिवार के लोगों का सपोर्ट है ज़रूरी

अवॉर्शन के बाद महिलाओं को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इस समसया से निपटने के लिए परिवार के सदस्यों को साथ देने की सलाह दी जाती है। ताकि वे तनाव की स्थिति से बाहर आ पाएं। शरीर में होने वाले हार्मोनल बदलाव के कारण डिप्रेशन, सैडनेस और एंग्ज़ाइटी बढ़ जाती है। इस समस्या से बाहर आने के लिए दवाओं के अलावा पार्टनर का साथ भी बेहद ज़रूरी है।

महिलाओं को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है। इस समसया से निपटने के लिए परिवार के सदस्यों को साथ देने की सलाह दी जाती है। ताकि वे तनाव की स्थिति से बाहर आ पाएं। चित्र : अडोबीस्टॉक

6. मेडिकल चेकअप के लिए जाएं

महिलाओं को अबॉर्शन के बाद शरीर में शारीरिक और मानसिक कई प्रकार के बदलाव महसूस होने लगते हैं। ऐसे में महिलाओं को चेकअप के दौरान न केवल सप्लीमेंटस लेने की सलाह दी जाती है बल्कि गर्भनिरोधक के इस्तेमाल संबधी जानकारी भी दी जाती है। दरअसल, अबॉर्शन के बाद कंसीव करने के लिए जल्दबाज़ी स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है।

7 पीरियड और प्रेगनेंसी का ध्यान रखें

अधिकतर महिलाओं को अबॉर्शन के 4 से 8 सप्ताह के बाद दोबारा पीरियड साइकल की शुरूआत होती है। वहीं अबॉर्शन के दो सप्ताह के बाद वेजाइनल सेक्स करने की सलाह दी जाती है। मगर अगली प्रेगनेंसी ओवुलेशन पर डिपेंड करती है। महिलाओं में ओव्युलेशन मासिक धर्म के 14 दिनों के बाद होता है। अबॉर्शन के एकदम बाद सेक्स करने से बैक्टीरियल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। दरअसल, शरीर का इम्यून सिस्टम वीक होने से संक्रमण शरीर में फैल सकता है।



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