इस बारे में जानकारी रखने वाले दो सूत्रों ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर बताया कि मस्क के साथ कुछ अन्य एग्जिक्यूटिव्स भी होंगे। इस बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय और टेस्ला ने टिप्पणी के लिए भेजे गए निवेदनों का उत्तर नहीं दिया है। पिछले वर्ष जून में प्रधानमंत्री मोदी और मस्क की अमेरिका के न्यूयॉर्क में मीटिंग हुई थी। टेस्ला ने देश में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर इम्पोर्ट टैक्स लगाने के लिए लॉबीइंग की थी। पिछले महीने केंद्र सरकार ने नई EV पॉलिसी की घोषणा की थी जिसमें ऑटोमोबाइल कंपनी के कम से कम 50 करोड़ डॉलर का इनवेस्टमेंट करने पर कुछ मॉडल्स पर इम्पोर्ट टैक्स को 100 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत किया गया है। हालांकि, देश की ऑटोमोबाइल कंपनियां इस छूट का कड़ा विरोध कर रही थी।
हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया था कि भारत में एक्सपोर्ट के लिए टेस्ला ने जर्मनी के अपने प्लांट में राइट-हैंड ड्राइव कारों की मैन्युफैक्चरिंग शुरू कर दी है। हालांकि, यह पता नहीं चला है कि टेस्ला के किस मॉडल का भारत को एक्सपोर्ट किया जाएगा। जर्मनी में बर्लिन के निकट कंपनी के प्लांट में मॉडल Y की मैन्युफैक्चरिंग की जाती है।
टेस्ला अपनी फैक्टरी के लिए गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों पर फोकस करेगी जहां पहले से ऑटोमोटिव इंडस्ट्री की मौजूदगी है। अमेरिका और चीन जैसे कंपनी के बड़े मार्केट्स में डिमांड घटने के कारण यह नए मार्केट्स में संभावना तलाश रही है। मौजूदा वर्ष की पहली तिमाही में टेस्ला की सेल्स 8.5 प्रतिशत घटी है। यह लगभग चार वर्ष में पहली बार है कि जब वर्ष-दर-वर्ष आधार पर कंपनी की तिमाही सेल्स में कमी हुई है। इससे टेस्ला की ग्रोथ को लेकर आशंका बढ़ गई है। कंपनी ने पहली तिमाही में 3,86,810 व्हीकल्स की डिलीवरी की है। दुनिया भर में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की सेल्स गिरना और BYD जैसे EV मेकर्स से कड़ी टक्कर मिलना इसके पीछे प्रमुख कारण हैं।
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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