TCS market cap declined by ₹85,731 crore this week | TCS का मार्केट कैप इस हफ्ते ₹85,731 करोड़ कम हुआ: टॉप-10 कंपनियों में से 6 की वैल्यू ₹1.97 लाख करोड़ बढ़ी, ICICI बैंक टॉप गेनर रहा


नई दिल्ली2 घंटे पहले

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इस हफ्ते (16 से 20 सितंबर) के कारोबार के बाद टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) का मार्केट कैप इस दौरान 85,731‬ करोड़ रुपए कम हो गया है। एक सप्ताह पहले कंपनी का मार्केट कैप 16.36 लाख करोड़ रुपए था, जो अब 15.50 लाख करोड़ रुपए रह गया है।

वहीं, मार्केट कैपिटलाइजेशन के लिहाज से देश की टॉप-10 कंपनियों में से 6 की वैल्यू इस हफ्ते कंबाइंड रूप से 1,97,734.77 करोड़ रुपए (1.97 लाख करोड़ रुपए) बढ़ी है। इस दौरान ICICI बैंक टॉप गेनर रहा। हफ्तेभर के कारोबार के दौरान प्राइवेट सेक्टर बैंक वैल्यूएशन में 63,359.79 करोड़ रुपए की बढ़ोतरी हुई।

अब कंपनी का मार्केट कैप 9.44 लाख करोड़ रुपए हो गया। ICICI बैंक के अलावा, HDFC बैंक, भारती एयरटेल, रिलायंस इंडस्ट्रीज, हिंदुस्तान यूनिलीवर और ITC ने भी इस दौरान बाजार में खूब कमाई की।

शुक्रवार को बाजार ने ऑल टाइम हाई बनाया

ग्लोबल बाजारों से मिले मजबूत संकेतों के बाद सेंसेक्स ने शुक्रवार (20 सितंबर) को 84,694 का और निफ्टी ने 25,849 का नया ऑलटाइम हाई बनाया। दिनभर के कारोबार के बाद सेंसेक्स 1359 अंक की तेजी के साथ 84,544 के स्तर पर बंद हुआ।

वहीं, निफ्टी में 375 अंक की तेजी रही, यह 25,790 पर बंद हुआ। सेंसेक्स के 30 शेयरों में से 26 में तेजी और 4 में गिरावट रही। निफ्टी के 50 शेयरों में से 44 में तेजी और 6 में गिरावट रही। इस हफ्ते सेंसेक्स में 1,654 अंक की तेजी रही।

मार्केट कैपिटलाइजेशन क्या होता है?

मार्केट कैप किसी भी कंपनी के टोटल आउटस्टैंडिंग शेयरों यानी वे सभी शेयर, जो फिलहाल उसके शेयरहोल्डर्स के पास हैं, की वैल्यू है। इसका कैलकुलेशन कंपनी के जारी शेयरों की टोटल नंबर को स्टॉक की प्राइस से गुणा करके किया जाता है।

मार्केट कैप का इस्तेमाल कंपनियों के शेयरों को कैटेगराइज करने के लिए किया जाता है, ताकि निवेशकों को उनके रिस्क प्रोफाइल के अनुसार उन्हें चुनने में मदद मिले। जैसे लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप कंपनियां।

मार्केट कैप = (आउटस्टैंडिंग शेयरों की संख्या) x (शेयरों की कीमत)

मार्केट कैप कैसे काम आता है?

किसी कंपनी के शेयर में मुनाफा मिलेगा या नहीं इसका अनुमान कई फैक्टर्स को देख कर लगाया जाता है। इनमें से एक फैक्टर मार्केट कैप भी होता है। निवेशक मार्केट कैप को देखकर पता लगा सकते हैं कि कंपनी कितनी बड़ी है।

कंपनी का मार्केट कैप जितना ज्यादा होता है, उसे उतनी ही अच्छी कंपनी माना जाता है। डिमांड और सप्लाई के अनुसार स्टॉक की कीमतें बढ़ती और घटती है। इसलिए मार्केट कैप उस कंपनी की पब्लिक पर्सीवड वैल्यू होती है।

मार्केट कैप कैसे घटता-बढ़ता है?

मार्केट कैप के फॉर्मूले से साफ है कि कंपनी की जारी शेयरों की कुल संख्या को स्टॉक की कीमत से गुणा करके इसे निकाला जाता है। यानी अगर शेयर का भाव बढ़ेगा तो मार्केट कैप भी बढ़ेगा और शेयर का भाव घटेगा तो मार्केट कैप भी घटेगा।

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